विकास में तेजी की होड़ ने भारत के पर्यावरणीय संतुलन को बिगाड़ कर रख दिया है। प्रदेश की बात करें तो हाल ही में लखनऊ और आसपास के जिलों में सड़कों के चौड़ीकरण के लिए लाखों की संख्या में हरे पेड़ काट दिए गए।
उन्नाव-शुक्लागंज मार्ग में करीब दस हजार पेड़ केवल इसलिए काट दिए गए क्योंकि सड़क चौड़ी की जानी थी।
यही हाल लखनऊ- सीतापुर मार्ग के चौड़ीकरण के दौरान किया गया। फारेस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया की 2015 के रिपोर्ट में सामने आया है कि पूर्वोत्तर राज्यों में तेज़ी से वन सम्पदा घटी है वहीं दूसरी तरफ अन्य पहाड़ी इलाकों और आदिवासी जिलों में वन सम्पदा तेज़ी से बढ़ी है।वर्ष 2013 के मुकाबले पूर्वोत्तर राज्यों में 628 वर्ग किलोमीटर जंगल गायब हो गए हैं। सुंदरवन के सदाबहार जंगल 112 वर्ग किलोमीटर बढ़े हैं।