प्रिय नीति आयोग, ये किसान हैं शेख चिल्ली नहीं

सरकार जीरो बजट प्राकृतिक खेती बढ़ाने की बात कर रही है। लेकिन जैविक खेती के लिए बजट कम कर दिया है। परंपरागत कृषि विकास योजना का बजट मामूली बढ़ा है जबकि रसायनिक उर्वरक के लिए सब्सिडी में करोड़ों रुपए की बढ़ोतरी की गई है।

Update: 2019-07-13 12:34 GMT

आंध्र प्रदेश ने सुभाष पालेकर को बनाया था अपना कृषि सलाहकार 

सुभाष पालेकर को सबसे पहले आंध्र प्रदेश सरकार ने अपना सलाहकार बनाया था। जिसके बाद दक्षिण और उत्तर भारत के कई राज्यों ने इसे अपनाया। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत भी शून्य लागत खेती को बढ़ावा दे रहे हैं।

प्राकृतिक कृषि अभियान के संयोजक गोपाल उपाध्याय बताते हैं, “चंद्रबाबू नायडु ने मुख्यमंत्री रहते सबसे पालेकर जी को बुलाकर इसकी शुरुआत कराई थी। उन्होंने 100 करोड़ रुपए से 100 एकड़ जमीन में शुरुआत कराई थी। वहां 14 हजार गांव है, उनमें से 7 हजार गांवों में पहले चरण शामिल किया गया था, वहां की प्रगति काफी अच्छी है।”


गोपाल उपाध्याय के मुताबिक आंध्र प्रदेश के बाद कर्नाटक और केरल ने इसे अपनाया जबकि मेघालय और छत्तीसगढ़ भी पालेकर पद्दति की तरफ आगे बढ़े हैं। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल पहले अपने गुरुकुल में ऐसी ही खेती करते रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में सवा लाख किसानों को एक एक गाय देने की बात भी चल रही है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भी वार्ता हो चुकी है।'

क्लाइमेंट चेंज, खेती की बढ़ती लागत, देसी बीजों की फिर से बढ़ती मांग और जैविक खेती पर आधारित गांव कनेक्शन की विशेष सीरीज खेती में देसी क्रांति यहां पढ़ें

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