किसान आंदोलन पर गरमाई उत्तर प्रदेश की सियासत, अखिलेश यादव हिरासत में

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव कृषि कानूनों का विरोध करने करने के लिए आज पहली बार राजधानी लखनऊ की सड़कों पर उतरे थे, लेकिन उन्हें यूपी पुलिस ने समर्थकों सहित हिरासत में ले लिया।

Update: 2020-12-07 13:39 GMT

लगातार दस दिनों से राजधानी दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन का समर्थन देने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव आज राजधानी लखनऊ की सड़कों पर उतरें। हालांकि उन्हें कोरोना महामारी का हवाला देते हुए प्रदर्शन करने की इजाजत नहीं मिली और उनको समर्थकों के साथ हिरासत में ले लिया गया।

इससे पहले पत्रकारों से बातचीत करते हुए अखिलेश यादव ने कहा, "बीजेपी जब और जहां चुनाव होता है, वहां पर बड़े स्तर पर चुनावी रैलियों का आयोजन करती है, जिसमें हजारों और लाखों लोग आते हैं। तब कोरोना का हवाला नहीं दिया जाता। लेकिन जब विपक्ष किसानों, मजदूरों का समर्थन करने सड़कों पर उतरती है, तब कोरोना का हवाला दिया जाता है। यह बीजेपी की किसान और मजदूर विरोधी मानसिकता को दिखाता है।"

उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, "ख़ुद समारोह कर रही व विपक्ष को कोरोना के नाम पर गिरफ़्तार कर रही भाजपा के दोहरे मानदंड जनता देख रही है। भाजपा हताश है क्योंकि किसानों के साथ अब जनता भी जुड़ गयी है। जब सत्ता दमनकारी हो जाती है तो आंदोलन को क्रांति बनते देर नहीं लगती। हम भी देखते हैं कि भाजपा कितने दिन रोकेगी।" उन्होंने प्रदेश के अलग-अलग जिलों में आंदोलन को जारी रखने की अपील अपने कार्यकर्ताओं से की।

अखिलेश यादव की गिरफ्तारी पर समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह ने कहा कि सरकार कितना भी दमन करने की कोशिश कर ले, उनके मुखिया और उनकी पार्टी अब दबने वाली नहीं है। सपा किसानों की लड़ाई को संसद से लेकर सड़क तक हर जगह लगातार लड़ेगी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने 8 दिसंबर को होने जा रहे भारत बंद को भी समर्थन दिया है और प्रत्येक जिले में उनके कार्यकर्ता इस किसान विरोधी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।

हालांकि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने ट्वीट करते हुए कहा कि किसान और मजदूर विरोधी पार्टियां किसानों के नाम पर सिर्फ अपना राजनीति चमका रही हैं और अराजकता फैला रही हैं। उन्हें अराजकता फैलाने नहीं दिया जाएगा। केंद्र की बीजेपी सरकार असल में किसान हितैषी है, इसलिए वह लगातार किसानों से बातचीत कर मामले को सुलझाने में लगी हुई है।

इससे पहले कल बिहार के विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी किसान आंदोलमन को समर्थन देने सड़कों पर उतरे थे। इस तरह पंजाब और हरियाणा के अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों से भी अब किसान आंदोलन को समर्थन मिलने लगा है।  

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