वीडियो: बस की कंडक्टरी करते हुए आनंदी तुम नहीं जानती तुमने कितनी लड़कियों में हौसला भरा है ...

Update: 2017-06-16 12:48 GMT
2005 से बस कंडक्टर हैं आनंदी, फोटो- उमेश पंत

बदलाव एक दिन में नहीं होता, हालात भी एक दिन में नहीं सुधरते। बदलाव छोटी-छोटी कोशिशों, छोटे-छोटे कदमों से होता है। बदलाव का ऐसा ही एक चेहरा हैं आनंदी तिवारी। आनंदी कई सालों से एक ऐसे प्रोफेशन में हैं, जो आमतौर पर महिलाओं के लिए नहीं माना जाता। उत्तराखंड रोडवेज़ की बस में कंडक्टर का काम करने वाली आनंदी उत्तराखंड की पहली दो महिला कंडक्टरों में से एक है।

आनंदी के साथ यात्रा के बाद कंचन पंत की फेसबुक पोस्ट

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2005 में, जब आनंदी बस कंडक्टर बनीं तो, तो लोग उन्हें अजीब नज़रों से देखते थे, कुछ लोग सवाल उठाते थे, तो कुछ ताने भी मारते थे। आनंदी बताती हैं कि “पहले लोग बातें करते थे कि देखो औरतें आ रही हैं कंडक्टरी में, पर मैं कहती थी कि औरतें जब हवाई जहाज चला सकती हैं तो बस कंडक्टर क्यों नहीं बन सकतीं”

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आनंदी को देखकर अब और भी कई महिलाएं पुरुषों के लिए आरक्षित समझे जाने वाले इस क्षेत्र में आने लगी हैं। आनंदी को नहीं लगता कि उन्होंने कोई अनोखा काम किया है, हां उन्हें इस बात का गर्व ज़रूर है कि वो जो काम कर रही हैं, उसे अच्छी तरह करती हैं। हावभाव और अंदाज़ से किसी स्कूल टीचर या परिवार की मुखिया नज़र आने वाली आनंदी, परेशान करने वाले यात्रियों से निपटना भी खूब जानती हैं। आनंदी कहती हैं-“कई बार परेशान करने वाले यात्री भी मिल जाते हैं, रात की बस में कई बार शराब पीकर भी लोग बस में चढ़ जाते हैं, लेकिन जो यात्री जैसा होता है, उसे मैं उसी तरह ठीक करती हूं। शराब पीकर बदतमीज़ी करने वाले कई यात्रियों को मैं बस से उतार भी चुकी हूं।”

आनंदी तिवारी जैसी महिलाएं उन लड़कियों के लिए प्रेरणा हैं जो पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्रों में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पातीं।

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