जानिए जुकाम और फ्लू में अंतर, जुकाम को साधारण बीमारी समझकर न करें लापरवाही

जुकाम होने पर गले में खराश होने लगती है। कई बार हम फ्लू को भी मामूली जुकाम समझ बैठते हैं। जुकाम और फ्लू अलग अलग होते हैं

Update: 2019-02-12 10:17 GMT

लखनऊ। मौसम में बदलाव होने पर तमाम बीमारियां पनपने लगती हैं। इनमें से है जुकाम और फ्लू । जुकाम को नजले के नाम से ही जाना जाता है। जुकाम होने पर गले में खराश होने लगती है। कई बार हम फ्लू को भी मामूली जुकाम समझ बैठते हैं। जुकाम और फ्लू अलग अलग होते हैं।

जुकाम अपने आप में कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह इस बात का लक्षण है कि श्वसन तंत्र में संक्रमण हो चुका है और निमोनिया और यूआरआई जैसी दूसरी बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए जुकाम को साधारण बीमारी समझकर लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।

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जुकाम की शुरूआत गले में खराश और हल्के जुकाम से होती है।                   साभार: इंटनेट

जुकाम

ज़ुकाम बहुत अधिक समय तक ठंडे मौसम में रहने के कारण होता है जैसे कि, बरसात या सर्दियों में और इसी कारण इस बीमारी को यह नाम भी दिया गया है। जुकाम एक वायरस के कारण होता है। कोरोना वायरस, रेस्पिरेटरी सिनसिशल वायरस, इन्फ्लुएंजा कुछ ऐसे वायरस हैं जिनकी वजह से जुकाम होता है। जुकाम की शुरूआत गले में खराश और हल्के जुकाम से होती है, फिर नाक भी बहने लगती है।

जुकाम के कारण हल्का बुखार भी बना रहता है। जुकाम के लक्षण आम तौर पर ठंडा होने वाले वायरस के संपर्क में आने के एक से तीन दिन बाद दिखाई देते हैं। वायरस आपके शरीर में आपके मुंह, आंखों या नाक के माध्यम से प्रवेश करता है। वायरस हवा में बूंदों के माध्यम से फैल सकता है।

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राममनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय, लखनऊ के वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर एससी मौर्य ने बताया, " शुरुआती समय में जुकाम औ फ्लू दोनों के लक्षण एक समान होते हैं, लेकिन जुकाम का एक चक्र होता है जो करीब चार दिन का होता है।इसके बाद यह ठीक हो जाता है। लेकिन अगर शरीर का तापमान कम नहीं हो रहा हो, कमजोरी आ रही हो, सांस तेजी से फूल रहा हो तो ये फ्लू के लक्षण हैं। ऐसे मरीज को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। "

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जुकाम के लक्षण

- नाक से पानी आना

- गले में खरास

- खांसी

- शरीर में दर्द

- सिरदर्द

- छींक आना

- हल्का बुखार

- अस्वस्थ महसूस होना

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ठंड वाली चीजें आपको और बीमार कर सकती हैं।  साभार: इंटरनेट 

जुकाम में न करें ये काम

-गर्म से ठंडे वातारवरण में न जाएं

-ठंडी चीज़ों का सेवन न करें

-अपने आप एंटीबायोटिक्स न लें

-खांसी या छींक आने पर हाथ मुंह में न रखें

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मौसमी फ्लू

इन्फ्लुएंजा या फ्लू वर्ष के किसी भी समय आपको प्रभावित कर सकता है। फ्लू आम तौर पर मौसमी बीमारी है। फ्लू का मौसम आम तौर पर पतझड़ से वसंत तक चलता है, जो सर्दियों के महीनों के दौरान चरम पर होता है। किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से आप बीमार हो सकते हैँ। मौसमी फ्लू इन्फ्लूएंजा ए, बी और सी वायरस के कारण होता है, जिसमें इन्फ्लूएंजा ए और बी सबसे आम प्रकार हैं।

डॉक्टर एससी मौर्य ने बताया, " फ्लू का हमला एक झटके से होता है। बहुत ही जल्दी रोगी बहुत ज्यादा बीमार महसूस करने लगता है। अचानक तेज बुखार आ जाता है। नाक बहने के साथ साथ सिर में और जोड़ों में दर्द होने लगता है। रोगी को हफ्ते भर तक बहुत ही ज्यादा थकान महसूस होती है।फ्लू हमेशा आपके शरीर के तापमान में वृद्धि का कारण बनता है। इसे बुखार के रूप में भी जाना जाता है।

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फ्लू के इलाज के लिए सबसे अच्छे तरीका है मरीज को खूब पानी पिलाते रहें।  साभार: इंटरनेट

अधिकांश फ्लू-संबंधी बुखार लगभग 100 डिग्री से लेकर 104 डिग्री तक होता है। इन्फ्लूएंजा को फ्लू के नाम से भी जाना जाता है। यह आरएनए वायरस से फैलता हे। इसके प्रभाव से लोगों को बुखार, खांसी, सिरदर्द और बदनदर्द जैसी समस्याएं होती हैं।"

दुनिया भर में H1N1 सहित मौसमी इन्फ्लूएंजा 30 से 50 लाख लोगों को संक्रमित होते हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के आंकड़ों की मानें तो हर साल इसकी वजह से 2.90 से 6.50 लाख लोगों की मौत हो जाती है। सिरदर्द, बुखार, बहती नाक, खांसी और मांसपेशियों में दर्द इसके सामान्य लक्षण हैं।

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फ्लू के लक्षण

-बुखार

-खांसी

-सिरदर्द

-थकान

-मचली

-उल्टी

-दस्त

-गले में खराश

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दुनिया भर में H1N1 सहित मौसमी इन्फ्लूएंजा 30 से 50 लाख लोगों को संक्रमित होते हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के आंकड़ों की मानें तो हर साल इसकी वजह से 2.90 से 6.50 लाख लोगों की मौत हो जाती है। सिरदर्द, बुखार, बहती नाक, खांसी और मांसपेशियों में दर्द इसके सामान्य लक्षण हैं।

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फ्लू के दौरान बरतें ये सावधानियां

-ज्यादा से ज्यादा आराम करें

-लोगों के संपर्क में आने से बचें

-अधिक मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें

-शराब और धूम्रपान न करें


फ्लू का इलाज कैसे करें

ज्यादातर मामलों में, फ्लू और बाकी फ्लू के इलाज के लिए सबसे अच्छे तरीका है मरीज को खूब पानी पिलाते रहें। तरल पदार्थों का खूब सेवन करें। दर्द निवारक दवाएं जैसे इबुप्रोफेन और एसिटामिनोफेन, आपके लक्षणों को नियंत्रित कर सकते हैं और आपको बेहतर महसूस करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, बच्चों को एस्पिरिन कभी न दें।

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