पूरे गाँव के बच्चों की सेहत सुधार रही यह महिला

अपनी बेटी को निरोगी काया देने के बाद ममता गांव की दूसरी औरतों को भी मातृ-शिशु स्वास्थ्य का आजमाया हुआ नुस्खा बताते फिरती है

Update: 2019-03-09 10:55 GMT

गोरखपुर। ब्लॉक सरदारनगर की पंसारही गांव की रहने वाली ममता (26वर्ष) उन माताओं के लिए प्रेरणा हैं, जो प्रसव के बाद अपने बच्चे की देखभाल में रूढ़िगत तौर-तरीकों का इस्तेमाल करती हैं। ममता के परिवार के लोगों ने भी उसके दो बच्चों के मामले में यही रूख अपनाया था। नतीजा यह रहा कि दोनों बच्चे अक्सर बीमार रहते थे। इसी बीच ममता ने राजीव गांधी महिला विकास परियोजना की स्वयं सहायता समूह की सदस्या बनीं। अब ममता की बेटी ब्यूटी बीमार नहीं पड़ती है। यही नहीं अब ममता गांव की दूसरी औरतों को भी मातृ-शिशु स्वास्थ्य का आजमाया हुआ नुस्खा बताते फिरती हैं।

ये भी पढ़ें:पाबीबैग के जरिए एक आदिवासी महिला ने दो साल में बना डाली 24 लाख रुपए टर्नओवर वाली कंपनी 

प्रतीकात्मक तस्वीर। 

ऐसे बदला ममता का व्यवहार

ब्यूटी की मां ममता ने बताया," परियोजना से मिली जानकारी के अनुसार गर्भावस्था के दौरान अपना पूरा ध्यान रखा। टीकाकरण करवाया। जब ब्यूटी का जन्म हुआ तो सबसे पहले अपना गाढ़ा पीला दूध दिया और 6 माह तक केवल अपना दूध ही पिलाया। इसके अलावा कंगारू मदर केयर (केएमसी) भी दिया जिससे ब्यूटी स्वस्थ है। उसे अभी तक किसी अस्पताल ले जाने की जरूरत नहीं पड़ी।"

ये भी पढ़ें:नक्सल क्षेत्र की ये महिलाएं कभी घर से नहीं निकलती थीं, आज संभाल रहीं कोटा की दुकान

इसी गाँव की गुड़िया ने बताया, " मेरा बेटा पहले बहुत बीमार रहता था,लेकिन एक दिन ममता दीदी आईं और उन्होंने मुझे बच्चे की देखभाल कैसा करना है बताया। अब मेरा बेटा बहुत कम बीमार पड़ता है।" 


मां के लिए ममता के मंत्र

- गर्भावस्था के दौरान रोटी-चावल के साथ मां को गाढ़ी दाल, गहरी हरे पत्ते वाली सब्जी, पीले नारंगी गुदे वाले फल व सब्जियां, मीट, मछली, अंडा, दूध या दूध से बने पदार्थों में से किन्हीं पांच चीजों का सेवन अवश्य करना चाहिए।

- गर्भावस्था के दौरान की नियमित पांच जांचें स्वास्थ्य केंद्र से अवश्य करवानी चाहिए। इन जांचों में पेशाब, खून, वजन, पेट का घेराव और ब्लड प्रेशर शामिल है।

- गर्भावस्था के दौरान 180 और प्रसव के बाद छह महीने तक 180 आयरन की गोली का सेवन अवश्य करना चाहिए।

- ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस में दिए जाने वाले सुझाव के अनुसार कैल्शियम का सेवन भी करना चाहिए। मां का गाढ़ा पीला दूध बच्चे के जन्म के एक घंटे के भीतर अवश्य दें। यह दूध पहले टीके की तरह होता है। छह महीने तक मां का ही दूध दें। यह बच्चे को हर प्रकार के संक्रमण से बचाता है।

ये भी पढ़ें: बचत करना इन महिलाओं से सीखिए, सालाना ब्याज के पैसे से कमाती हैं चार से छह लाख रुपए

प्रतीकात्मक तस्वीर।

केएमसी के ये हैं फायदे

परियोजना से महिलाओं को प्रशिक्षित करने में सक्रिय भूमिका निभा रहे अनिल कुमार ने बताया," कंगारू मदर केयर (केएमसी) का मतलब मां और नवजात के त्वचा से त्वचा का सम्पर्क है। बड़े सरकारी अस्पतालों में भी इसका प्रशिक्षण दिया जाता है। केएमसी से मां का कनहर जल्दी गिरता है, दूध जल्दी उतरता है, बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास तेजी से होता है, शिशु चौकता नहीं है और मां-बच्चे के बीच भावनात्मक जुड़ाव बढ़ता है।" 

ये भी पढ़ें: पढ़िए 'किसान चाची' की कहानी, जिन्हें मिल रहा पद्मश्री सम्मान


Similar News