देश में तेजी से पैर पसार रहा स्वाइन फ्लू, तीन हफ्ते में 2777 मामले सामने आए

पिछले साल स्वाइन फ्लू इसका प्रकोप ज्यादा रहा और कुल 38,811 मरीजों में 2,270 को बचाया नहीं जा सका। इस साल भी यह बीमारी दबे पांव चली आ रही है और स्वास्थ्य एजेंसियां इसपर नियंत्रण के तमाम उपाय कर रही हैं

Update: 2019-01-28 09:12 GMT

लखनऊ। पिछले कुछ बरसों से स्वाइन फ्लू की दस्तक स्वास्थ्य सेवाओं को चौकन्ना कर देती है। पिछले दो बरस में तीन हजार से ज्यादा लोगों की जान लेने वाली यह खतरनाक बीमारी इस साल भी दबे पांव चली आ रही है और जनवरी के पहले तीन हफ्ते में देशभर में इसके 2777 मामले सामने आए हैं और कुल 85 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें अकेले राजस्थान में मरीजों की तादाद 1233 है और मरने वालों का आंकड़ा 49 तक पहुंच चुका है।

स्वाइन फ्लू का प्रकोप राजधानी दिल्ली सहित देश के तमाम हिस्सों में बढ़ रहा है। दिल्ली में 20 जनवरी तक इसके कुल 229 मामले दर्ज किए गए। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के समेकित रोग निगरानी कार्यक्रम के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में इसके मरीजों और मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है, जबकि उसके बाद पंजाब का स्थान है, जहां 90 लोग इसकी चपेट में आए और नौ की मौत हो गई।

ये भी पढ़ें:हर किसी से न मिलाएं हाथ, नहीं तो हो जाएंगे बीमार

आईडीएसपी के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल 14,992 लोग स्वाइन फ्लू के वायरस के शिकार हुए और इनमें से 1,103 की मौत हो गई। उससे पिछले बरस इसका प्रकोप ज्यादा रहा और कुल 38,811 मरीजों में 2,270 को बचाया नहीं जा सका। इस साल भी यह बीमारी दबे पांव चली आ रही है और स्वास्थ्य एजेंसियां इसपर नियंत्रण के तमाम उपाय कर रही हैं।

रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली , गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना में भी बीमारी की आमद दर्ज की गई है। सुअरों के श्वसन तंत्र से निकले वायरस के कारण होने वाली यह बीमारी बेहद संक्रामक है। हालांकि सामान्य अवस्था में यह बीमारी सुअरों से मनुष्यों में नहीं फैलती, लेकिन सूअर पालने वाले और उनके साथ काम करने वाले मनुष्यों में इसके संक्रमण की आशंका रहती है। इसके अलावा मांसाहार करने वाले लोग अगर संक्रामक मांस को अच्छी तरह पकाए बिना उसका सेवन कर लें तो उनमें बीमारी होने का जोखिम बढ़ जाता है और दूसरों में भी इसके संक्रमण का खतरा रहता है।

ये भी पढ़ें: जरूरी है फेफड़ों की सेहत बनाए रखना

Full View

उत्तर प्रदेश में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के श्वसन विभाग के अध्यक्ष और आईएमए (लखनऊ) अध्यक्ष डॉ सूर्यकान्त ने बताया, "स्वाइन फ्लू श्वसन से संबंधित एक बीमारी है जो स्वाइन एन्फ्लूएंजा वायरस (SIV) की वजह से फैलती है। दुनियाभर में अब तक इस वायरस के सब-टाइप H1N1 ने बेहद कोहराम मचाया है लेकिन इसके अन्य सब-टाइप जैसे H1N2, H1N3, H3N1, H3N2 और H2N3 भी कई बार गंभीर समस्याएं पैदा कर देते हैं। H1N1 वायरस का पहला आक्रमण सुअर होते हैं और सुअर पालन करने वालों या सुअरों के नजदीक में रहने वाले मनुष्यों पर इसका अगला आक्रमण होता है और फिर बड़े ही भयावह तरीकों से यह अन्य मनुष्यों को भी संक्रमित करता चला जाता है।

ये भी पढ़ें:प्रोटॉन थेरेपी : रेडिएशन से नहीं प्रभावित होंगी जीवित कोशिकाएं

डॉ सूर्यकान्त सलाह देते हैं, " इस घातक बीमारी पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है, अन्यथा यह एक राष्ट्रीय बोझ बन सकती है। छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं, डायबिटीज और दिल की बीमारी से मरीजों के इस बीमारी की चपेट में आने की आशंका अधिक होती है क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली सामान्य लोगों की तुलना में कमजोर होती है।"


किन्हें है ज्यादा खतरा

चूंकि स्वाइन फ्लू रोगी के द्वारा छींके या खांसे जाने से हवा के माध्यम से एक से दूसरे मनुष्य तक पहुंच सकता है इसलिए ये उन लोगों को अपनी चपेट में आसानी से ले लेता है जो भीड़-भाड़ के इलाकों में रहते हैं और स्वयं सावधानी बरतने में भूल कर जाते हैं। इसके अलावा जिन्हें निमोनिया या सांस से जुड़े विकार जैसे अस्थमा, ब्रोंकायटिस हो, गर्भवति महिलाएं, हृदय या डायबिटिस जैसे रोगों से जूझ रहे लोग, 65 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग और 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चे इस रोग से जल्दी प्रभावित हो सकते हैं।

ये भी पढ़ें: स्तन कैंसर: ये बदलाव दिखें तो तुरंत जाएं डॉक्टर के पास या खुद ऐसे करें जांच

( इनपुट: भाषा) 

Similar News