आशा ज्योति केंद्र पर महिलाओं की मदद के साथ अब उन्हें बनाया जा रहा आत्मनिर्भर 

Update: 2017-06-21 18:43 GMT
लखनऊ आशा ज्योति केंद्र पर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए दिया जा रहा प्रशिक्षण

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। प्रदेश के 11 जिलों में चल रहे रानी लक्ष्मीबाई आशा ज्योति केंद्र के 181 नम्बर पर कॉल करके महिलाएं अभी तक सिर्फ घरेलू हिंसा, दुराचार, एसिड अटैक, छेड़छाड़ और दहेज से पीड़िताओं की मदद की जाती थी, लेकिन अब इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे ये पीड़ित महिलाएं स्वरोजगार कर अपने पैरों पर खड़ी हो सकें, जिससे वो आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें। ये प्रशिक्षण इन्हें नि:शुल्क दिया जा रहा है साथ ही प्रतिदिन के 150 रुपये भी दिए जा रहे हैं।

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लखनऊ के लोकबन्धु हास्पिटल में बने आशा ज्योति केंद्र में भारत सरकार द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कौशल विकास के अंतर्गत चिकनकारी और टाई एंड डाई का प्रशिक्षण शुरू हो गया है। यहां पर प्रशिक्षण लेने आयी पूनम यादव (25 वर्ष) का कहना है, “कुछ महीने पहले हमारे पति के बीच कुछ मनमुटाव हो गया था, 181 पर फोन करके मदद माँगी थी, हम दोनों को यहां बुलाकर समझाया गया अभी एक साथ रह रहे हैं, पति दिन में काम करने चले जाते हैं हम यहां ट्रेनिग लेने आ जाते हैं, मेरी तरह कई महिलाओं से मिलना हुआ जब सबकी दुःख तकलीफ सुनती हूं तो अपनी कम लगती है।”

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मूल रूप से झांसी की रहने वाली पूनम इस समय लखनऊ में अपने पति के साथ रह रही हैं उनका आगे कहना है, “यहां ट्रेनिंग लेने के बाद जब चिकनकारी कढ़ाई सीख जाऊंगी तो खुद का काम करने लगूंगी, घर पर अकेले बहुत परेशान रहती थी यहां 11 से पांच सभी के साथ मन लगा रहता है, घर से खाना लेकर आते हैं एक साथ सबके साथ खाना बहुत अच्छा लगता है, ट्रेनिंग के साथ प्रतिदिन 150 रुपए भी मिलते हैं।”

महिलाओं को मिलेगा रोजगार।

महिला कल्याण निगम के स्टेट ट्रेनिंग कोऑर्डिनेटर अमित कुमार मिश्रा का बताते हैं, “अभी लखनऊ और कानपुर के आशा ज्योति केंद्र में ये प्रशिक्षण शुरू हो गया है, यहां पर एक महीने से छह महीने तक अलग-अलग कोर्सों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसमे कम्प्यूटर, सिलाई-कढ़ाई, ब्यूटीशियन, चिकनकारी, फैशन डिजाईनिंग जैसे कई तरह के कोर्स शामिल हैं।” जल्द ही गोरखपुर, बनारस, इलाहाबाद, मेरठ, गाजियाबाद में ये ट्रेनिग शुरू हो जायेगी। वो आगे बताते हैं, “इन महिलाओं को ट्रेनिंग के बाद प्रधानमंत्री मुद्रा लोंन, खादी ग्रामउद्योग तथा बैंक की कई योजनाओं के तहत इन्हें रोजगार दिलाया जाएगा जिससे ये आर्थिक रूप से सशक्त हो सके, अभी आशा ज्योति केंद्र के 11 जिलो में ही फोकस्ड रहेंगे।”

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लखनऊ आशा ज्योति केंद्र की सामाजिक कार्यकर्ता अर्चना सिंह का कहना है, “जो महिलाएं गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही हैं ये फिर जो पीड़ित महिलाएं है जिन्होंने 181 पर फोन करके मदद की गुहार लगाई है ऐसी महिलाओं को प्रशिक्षण के लिए चुना गया है, 11 से पांच बजे तक का प्रतिदिन महिलाओं के लिए समय देना थोड़ा मुश्किल था, दूर की महिलाओं को फोन द्वारा पास की महिलाओं को घर-घर जाकर जब काउंसलिंग की तो अब ये ट्रेनिग के लिए तैयार हो गयी।”

वो आगे बताती हैं, “अब ये महिलाएं यहाँ आकर बहुत खुश है, इनका ट्रेनिग के साथ-साथ मानसिक तनाव भी कम हो रहा है, ट्रेनिंग के बाद इन्हें एक कार्ड बनाकर दिया जाएगा, अगर सरकार की किसी योजना के अंतर्गत कोई रोजगार की योजना आयी तो सबसे पहले इन्हें रोजगार दिया जाएगा।”

यहां ट्रेनिंग लेने आयीं खुशी रस्तोगी (35 वर्ष) का कहना है, “यहां आकर लग रहा है कि हम भी कुछ कर सकते हैं, सीखने के साथ-साथ मोटीवेट भी किया जा रहा है जिससे हम सीखने के लिए आगे आयें, अगर यहां सीखकर कुछ करने लगे तो अपने पैरों पर खड़े हो जायेगे फिर अपने खर्चों के लिए किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा।”

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