गाँव के इस शख्स ने लगाए दो लाख पौधे

Update: 2017-06-12 09:39 GMT
संतोष कुमार ने अब तक दो लाख पौधे लगाकर समाज के लिए नई मिसाल पेश की है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए जहां सरकार लोगों को जागरूक करने के लिए प्रयास कर रही है, वहीं अंबेडकरनगर के तरेम गाँव के संतोष कुमार ने अब तक दो लाख पौधे लगाकर समाज के लिए नई मिसाल पेश की है।

बचपन से वृक्षों से लगाव रखने वाले संतोष सिंह (43 वर्ष) उस समय चिंतित हुए जब उनके आस-पास पेड़ों की संख्या कम होती दिखाई दी। ऐसे में संतोष ने दस वर्ष पहले बड़ी संख्या में पौधे लगाने का फैसला किया। इसकी शुरुआत संतोष ने अम्बेडकर नगर जिला मुख्यालय से 65 किमी दूर पूरब दिशा में अपने तरेम गाँव से की।

संतोष कुमार सिंह ने वर्ष 1993 में बीएससी एग्रीकल्चर से किया है। उन्होंने अपने गाँव में सबसे पहले बरगद, आंवला, पीपल, गूलर, सागौन, कटहल, अमरुद जैसे तमाम पौधे लगाए। संतोष का कहना है, “मिट्टी की जांच की समझ मुझे बहुत अच्छे से थी। मिट्टी की जांच कर जिस मिट्टी के लिए जो पेड़ उपयुक्त होता, वही लगा देते।

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शुरुआत में सभी ने बहुत मजाक बनाया, लेकिन आज मैं बहुत खुश हूँ कि 10 साल की मेहनत में मैं दो लाख पौधे लगा चुका हूं। इस साल मैंने एक बीघा तालाब में जल संरक्षण शुरू किया है, जिसमें सीप पालन और मछली पालन भी हो रहा है।” पेड़ों को वापस लाने के लिए संतोष पिछले 10 वर्षों में प्रदेश के चार जिलों में अब तक विभिन्न प्रकार के दो लाख पौधे लगा चुके हैं।

संतोष खुद पौधे लगाने के साथ ही हर किसी को दो पौधे लगाने के लिए प्रेरित भी करते हैं। पौधरोपण में अपनी समझ बढ़ाने के लिए संतोष ने एग्रीकल्चर से बीएससी करने के बाद बनारस से ‘एग्री क्लीनिक एग्री बिजनेस’ कोर्स किया। इसके साथ ही संतोष ने सड़क के किनारे पीपल, गूलर, बरगद, नीम के पेड़ लगाए, जिससे राहगीरों को इसकी छांव मिल सके। इसके अलावा प्रदेश के अम्बेडकरनगर, प्रतापगढ़, आजमगढ़, देवरिया जनपदों में संतोष ने किराए पर खेत लेकर अब तक 184 बीघा खेती में हजारों की संख्या में पौधे लगाए।

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संतोष को मिला सम्मान

कृषि विभाग के सहयोग से मल्टीस्टोरेज क्रापिंग और फार्मिंग सिस्टम एप्रोच को अपनाते हुए धान उत्पादन में संतोष सिंह को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है। इन्हें प्रदेश सरकार और कृषि विभाग अम्बेडकरनगर ने कई बार पुरस्कारों से नवाजा है। संतोष सिंह का कहना है, “जबतक जिंदा रहूंगा तब तक पौधरोपण करता रहूँगा। मैं अपने इस शौक को कभी खत्म नहीं होने दूंगा। मेरे इस काम में मेरी पत्नी सुमन सिंह बहुत सहयोग करती हैं।”

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