'लड़कों को भी होनी चाहिए पीरियड्स की जानकारी'

मनीषा गर्ग उत्तर प्रदेश में मेरठ के यूपीएस नारंगपुर में शिक्षिका हैं, मनीषा अपने स्कूल का एक किस्सा साझा कर रहीं हैं।

Update: 2023-08-10 09:09 GMT

मैंने जब स्कूल में पढ़ाना शुरू किया था, तब क्लास के कुछ बच्चे एक लड़की की तरफ इशारा करके हँस रहे थे जो मैंने देख लिया था । बच्ची के कपड़ों पर माहवारी के कारण दाग लगे हुए थे, फिर क्या था मैंने क्लास के सारे बच्चों को एक पास बैठाया और उस लड़की को दूसरे रूम में भेज दिया था।

उन बाकी लड़कों को मैंने रिप्रोडक्शन सिस्टम में मेंस्ट्रुअल साइकिल (मासिक धर्म चक्र) टॉपिक समझाया। मैंने समझाया कि आप लड़कियों की अगर इस समय मदद नहीं कर सकते हैं तो मजाक भी नहीं उड़ा सकते हैं।


मैंने बच्चों को सारी परेशानियों के बारे में अच्छे से समझाया था। ये सारी चीजें मैंने बच्चों को पढ़ाया। कुछ समय बाद मैं ये बात भूल भी गयी , एक दिन बहुत ज़्यादा ठंड का मौसम था मैंने देखा दो बच्चे इतनी ठंड में बिना स्वेटर के घूम रहे थे।

मैंने बच्चों से पूछा इतनी ठंड में बिना स्वेटर के क्यों हो तो बच्चों ने बोला मैम क्लास में एक लड़की को पीरियड्स आ गए थे और उसकी ड्रेस खराब हो गयी थी तो मैंने अपना स्वेटर उसे दे दिया, उसे इसकी ज़्यादा ज़रुरत थी। मुझे बच्चों की ये बात बहुत पसंद आयी। मुझे खुशी हुई कि मैंने पूरी क्लास को पढ़ाया था, लेकिन उनमें से अगर दो बच्चे भी इस बात को समझ पाए ये मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी।

एक बार मैंने बच्चों से कहा चलो इस बार मैं आपको दिवाली की शॉपिंग पर ले चलती हूँ, फिर क्या था हम मार्केट गए सब बच्चों को बोल दिया जिसे जो चाहिए वो ले सकता है।


बच्चों ने कई सामान ले लिए लेकिन, एक बच्ची ने कुछ नहीं लिया बच्ची का नाम रितु था, मैंने रितु से पूछा बेटा आपने कुछ नहीं लिया तो बच्ची ने बोला मैम जो सामान मेरे गाँव में पाँच रुपए में मिलता यहाँ वही सामान 20 रुपए में दे रहें हैं तो मैं कैसे ले लूँ।

और रितु की बाते सुनकर और बच्चों ने भी अपने सामान लौटा दिए। और बच्चों ने कहा जहाँ ठीक दाम पर सामान मिलेगा, वहीं से लेंगे और बच्चों ने कुछ नहीं लिया।

मेरी कोशिश हैं बच्चे सिर्फ पढ़ाई तक ही सीमित ना रहें, इसलिए मैं बच्चों को मार्केट लेकर गयी और जब बच्चों को समझ आ जाए कि उन्हें पैसे कहाँ और कितने ख़र्च करने हैं। इससे अच्छा मेरे लिए क्या होगा कि उनके साथ ठगी ना हो इस बात की समझ बच्चों को बहुत बढ़िया से है।

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