तपेदिक की दवा पर नई जानकारी दे रहे वैज्ञानिक

Update: 2016-07-12 05:30 GMT
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देश में एक ऐसा खूंखार आतंकी मौजूद है, जो यहां हर रोज लगभग 1000 लोगों की जान ले लेता है। यह हर मिनट एक व्यक्ति की मौत के बराबर है। इस हिंसक पशु को बांधकर रखने के लिए कोई जेल भी नहीं है और भारत की लगभग आधी जनसंख्या तक पहुंच चुका है।

यह आपके शरीर की प्रतिरक्षा कम होने पर हमला करने के लिए तैयार रहता है। तपेदिक बैक्टीरिया नामक यह खौफनाक हत्यारा अपने हाथ में कोई राइफल लेकर नहीं चलता लेकिन इसका धीमा जहर हर साल लगभग पांच लाख भारतीयों को तपेदिक का शिकार बना देता है।

तपेदिक की चपेट में आ सकने वाले 50 करोड़ से ज्यादा लोगों की देखभाल के लिए सरकार ने 1640 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं, जो इस खूंखार आतंकी पर काबू पाने के लिए समुद्र में एक बूंद के समान है।

इसके विपरीत भारत सरकार 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 58 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने की उम्मीद कर रही है। हर लड़ाकू विमान की कीमत लगभग उतनी ही राशि है, जितनी भारत वार्षिक तौर पर पांच लाख तपेदिक मरीजों के इलाज पर खर्च करता है।

तपेदिक के खिलाफ जारी जंग में सारी उम्मीदें खत्म नहीं हुई हैं। बेंगलूरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) ने टीबी बैक्टिरिया के उस बेहद सुरक्षित खूफिया तंत्र का तोड़ निकाल लिया है, जो धीमी गति से विकसित होने वाले इसके जीव पर हमला बोलने में इस्तेमाल की जा रही दवाओं को पहचान लेता है। यहां उम्मीद यह है कि यदि यह पता लगा लिया जाता है कि तपेदिक बैक्टीरिया उसको मारने के लिए इस्तेमाल की जा रही दवाओं का पता लगाकर कैसे उनका प्रतिरोधी हो जाता है तो इससे निपटना ज्यादा आसान हो जाएगा।

किसी आतंकी संगठन की जड़ों पर वार करने के लिए जरूरी है उसकी अंदरूनी और विश्वसनीय जानकारी हासिल करके उसके खत्म किया जाए। तपेदिक बैक्टीरिया भी तो ऐसा ही करता है? वह चुपचाप हमारे शरीर में छिप जाता है और मौका मिलते ही वार करता है।

आईआईएससी, बेंगलूरु के मॉलेक्यूलर री-प्रोडक्शन, डेवलपमेंट एंड जेनेटिक्स डिपार्टमेंट के सहायक प्रोफेसर दीपक कुमार सैनी तपेदिक बैक्टीरिया की उस संकेतक प्रक्रिया को समझने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके कारण यह अपराजेय हो जाता है।

वह यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि तपेदिक बैक्टीरिया यह कैसे पता लगा लेता है कि उसे मारने के लिए कोई नई दवा इस्तेमाल की जा रही है। वह यह भी जानने की कोशिश कर रहे हैं कि प्राचीन समय से चला आ रहा यह जीव दवा प्रतिरोधी कैसे हो जाता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि तपेदिक बैक्टीरिया इस लिए बना रहता है क्योंकि यह शरीर के माहौल को भांप लेता है और खुद को उसके अनुकूल ढाल लेता है। सैनी की प्रयोगशाला तपेदिक बैक्टीरिया को माहौल भांपने, प्रतिक्रिया देने और इसके अनुकूल खुद को ढालने की आणविक प्रक्रिया को समझने के लिए काम कर रही है।

हालिया शोध पत्र में सैनी ने कहा कि बिल्कुल शुरू से बताएं तो किसी भी संकेतक प्रणाली के काम करने के लिए कम से कम दो घटक जरूरी हैं। इनमें से एक सिग्नल को प्राप्त करने के लिए होता है और फिर इसे यह सिग्नल दूसरे को स्थानांतरित करना होता है।

इस संकेतक प्रणाली में दो प्रोटीन अवयव होते हैं, जो सिग्नल प्राप्त करने या भेजने का काम करते हैं। पहला ‘ग्राही’ अणु है, जिसे सेंसर किनासे (एसके) कहते हैं। यह कोशिकाओं के चारों ओर मौजूद बाहरी झिल्ली पर मौजूद रहता है और पर्यावरण की विभिन्न परिस्थितियों से जुड़ा उद्दीपन ‘प्राप्त’ करता है।

दूसरा घटक इफेक्टर यानी ‘प्रभावोत्पादक’ अणु है, जिसे प्रतिक्रिया नियामक (आरआर) कहा जाता है। एसके द्वारा सक्रिय किए जाने पर यह उद्दीपन की प्रतिक्रिया में एक ‘प्रभाव’ पैदा करता है।

सैनी कहते हैं, ‘‘आप इस रोगाणु के लिए इन प्रणालियों के अत्यधिक महत्व को समझ सकते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इन प्रणालियों के बिना रोगाणु प्रतिरोधी और लगातार बदलते माहौल के अनुरूप खुद को ढाल नहीं पाएगा और जीवित नहीं रह पाएगा। इस रोगाणु से प्रभावी ढंग से निपटने में यह द्विघटकीय प्रणाली मददगार हो सकती है।’’ तपेदिक बैक्टीरिया इसलिए भी बढ़ता रहा है क्योंकि तपेदिक का इलाज कई महीने तक चलने के कारण मरीज बीच में ही एंटीबायोटिक दवाएं लेना छोड़ देते हैं।

ऐसे में इस जीव को प्रतिरोध विकसित करने और बहु-दवा रोधी बनने का मौका मिल जाता है। स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्टों के अनुसार, लगभग 79 हजार लोगों में एमडीआर-टीबी पाया गया। कुछ मामलों में यह और भी अधिक संक्रामक हो जाता है और इसे अत्यधिक दवा प्रतिरोधी तपेदिक के रूप में जाना जाता है। ऐसे लगभग 2700 मामले सामने आए हैं। इसके अलावा कुछ पूर्ण दवा प्रतिरोधी तपेदिक बैक्टीरिया की भी पहचान की गई है।

इस विकट स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा ने कहा, ‘‘भारत की सरकार देश में तपेदिक से निपटने के अपने प्रयासों की गति बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।’’ हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवा प्रतिरोधी तपेदिक के इलाज के लिए नई तपेदिक रोधी दवा बेडाक्वीलिन जारी की।

यह दवा-रोधी तपेदिक के उपचार में इस्तेमाल किए जाने के संकेत दिए गए हैं। सैनी ने कहा कि भारत को खतरे में डालने वाले इस सूक्ष्म आतंकी को हराने के लिए हर तरह का प्रयास जरूरी है। तपेदिक बैक्टीरिया की संकेत प्रणाली को समझने वाला यह नया तरीका तपेदिक की महामारी पर काबू पाने का एक रोमांचक तरीका पेश करता है।

(बाग्ला जाने-माने विज्ञान लेखक हैं। यह उनके निजी विचार हैं।)

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