लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी की परिवर्तन महारैली का दृश्य। ठंड अपने पूरे उरूज पर। लखनऊ के रमाबाई अम्बेडकर पार्क में बड़ी तादाद में लोग मौजूद थे।
ऊंचा सा एक भव्य मंच और जिसके दोनों तरफ बड़े-बड़े दो पोस्टर, एक पर प्रधानमंत्री और दूसरी पर अमित शाह की तस्वीर थी। मंच के पीछे एक बड़ा सा पोस्टर था जिसकी पंखुड़ियों के बीच में 'परिवर्तन लाएंगे, कमल खिलाएंगे' का नारा था। दाहिनी ओर सबसे ऊपर मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की फोटो एक साथ थी। बाईं ओर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र, उमा भारती और प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या के छोटी-छोटी तस्वीर थी। लेकिन इस सब के बीच रैली से एक चेहरा पूरी तरह से गायब था। न मंच पर लगे बैकग्राउंड पर, न पोस्टर पर न बैनर पर और न ही किसी के ज़िक्र में। बात हो रही है पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की, लखऩऊ जिनकी कर्मभूमि रही। इस पूरी रैली में उनका चेहरा कहीं नहीं दिखाई दिया।
यूपी में सत्ता में आने को बेकरार बीजेपी की परिवर्तन महारैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भव्य मंच से 'परिवर्तन का शंखनाद' कर रहे थे लेकिन इस मौके पर पार्टी को पूर्व प्रधानमंत्री और अपने कद्दावर नेता अटल जी को भूल गई। ये पहली बार था जब पार्टी की लखनऊ में हो रही किसी भी छोटी-बड़ी रैली में अटल जी का चेहरा नहीं इस्तेमाल किया गया। पार्टी द्वारा अटल जी की तस्वीर ना लगाने को लेकर कार्यकर्ताओं के बीच तमाम तरह की चर्चाएं शुरू हो गई
क्या है अटल जी का लखनऊ कनेक्शन?
- लखनऊ पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी जी का संसदीय क्षेत्र रहा।
- वो पहली बार 1991 में लखनऊ से सांसद चुने गए।
- वह 11वीं लोकसभा के लिए 1996 में लखनऊ से ही दूसरी बार सांसद बने।
- तीसरी बार 1998 में वह लखनऊ से सांसद चुने गए।
- साल 1999 से 13वीं लोकसभा के लिए लखनऊ से सांसद चुने गए।
- आखिरी बार साल 2004 में वाजपेयी जी 14वीं लोकसभा के लिए लखनऊ से सांसद चुने गए।