ट्रंप की जीत का फार्मूला अपना सकते हैं अखिलेश

Update: 2016-11-16 21:38 GMT
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की टीम के छह सदस्य। इसमें निधि यादव को उपहार स्वरूप ओबामा कैप मिली। (दाएं)

लखनऊ। अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनावों में वैसे तो पूरी दुनिया की निगाहें लगी थीं, लेकिन इस दौरान कुछ राजनीतिक दल बाकायदा उसका अध्ययन भी कर रहे थे, टीम अखिलेश के छह युवाओं ने इस चुनाव में पैंतरेबाजी, तकनीक का इस्तेमाल समेत कई पहलुओं को सीखा जो आने वाले चुनाव में वह ब्रांडिंग और कैंपेन में इस्तेमाल करेंगे।

अमेरिकी चुनाव को लेकर इंटरनेशनल कैंपेन फेलो प्रोग्राम के तहत यूपी से सितंबर में अमेरिका गई टीम के कई सदस्य वापस लौट आए हैं। करीब ढाई महीने में इन लोगों ने ओहियो यूनिवर्सिटी ऑफ ऐक्रोन में न सिर्फ ट्रेनिंग ली बल्कि चुनाव के पहलुओं को भी बारीकी से समझा। उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन प्रोत्साहन परिषद की सदस्य और इलाहाबाद के एमएलसी वासुदेव यादव की बेटी निधि यादव ने इसे बहुत ही रोमांचकारी और सीख देने वाली यात्रा बताई। ट्रेनिंग के दौरान राष्ट्रपति पद की दमदार उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन से मुलाकात करने वाली निधि बताती हैं, “भारत-अमेरिका के चुनाव में काफी फर्क हैं, वहां काफी कुछ तकनीक पर आधारित है, दोनों पार्टियां साफ्टवेयर आधारित कैंपेन करती हैं। उम्मीदवार जनता के लिए काफी सहजता से उपलब्ध होते हैं। राज्य का एक आम आदमी भी उनसे मिल सकता है।”

भारत-अमेरिका के चुनाव में काफी फर्क हैं। दोनों पार्टियां साफ्टवेयर आधारित कैंपेन करती हैं। उम्मीदवार जनता के लिए काफी सहजता से उपलब्ध होते हैं। हमारे यहां पार्टी कार्यकर्ता चुनाव कैंपेन चलाते हैं अमेरिका में जनता के पैसे पर चुनाव लड़े जाते हैं और वालेंटियर अहम किरदार निभाते है। 
निधि यादव, अमेरिकी चुनाव का अध्ययन करने गई टीम की सदस्य

वह आगे बताती हैं, वहां रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिव दोनों जनता के पैसे से चुनाव लड़ते हैं। हमारे यहां रैलियां ताकत दिखाने के लिए होती हैं वहां बड़े इवेंट फंड (पैसे) जुटाने के लिए होते हैं। यहां (भारत) पार्टी कार्यकर्ता चुनाव प्रचार करते हैं जबकि अमेरिका में ये काम वालेंटियर करते हैं, उनमें से ज्यादातर मुफ्त में अपने कैंडिडेट के लिए प्रचार करते हैं।“

अपनी टीम के सदस्यों के साथ निधि।

अमेरिका में न बैनर लगते हैं न पोस्टर

अमेरिका में चुनाव काफी इको फ्रेंडली होते हैं। न तो बैंनर लगते हैं न पोस्टर जगह-जगह लाउडस्पीकर का भी सवाल नहीं। बैनर पोस्टर के नाम पर सिर्फ यार्ड साइन (कैनोपी जैसे) होते हैं, जो जमीन में ही लगाए जा सकते हैं, जिन्हें कैंपेन खत्म होते ही हटा लिया जाता है।

“अमेरिका में पूरा प्रचार ऑनलाइन होता है, खास कर ड्रेमोक्रेट तकनीकी पर बहुत भरोसा करते हैं। वो फोन और मेल पर वालेंटियर और मतदाताओं से संपर्क करते हैं। दोनों पार्टियों का तरीका थोड़ा सा अलग दिखा मुझे, जैसे रिपब्लिकन पार्टी अपने परंपरागत वोट पर ज्यादा भरोसा करती है।”-निधि बताती हैं।

इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में भारत के अलावा ब्राजील और लायबेरिया के फेलो ने भी हिस्सा लिया। इस दौरान निधि यादव को डेलिगेशन में सब, मेहनती, हंसमुख और धैर्यवाल फेलो का खिताब और उपहार स्वरूप ओबामा कैप मिली। दिल्ली से फोन पर निधि आगे बताती हैं, “ओबामा कैप मिलना गर्व की बात है। हम सबका चुनाव मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था, हम जल्द ही सीएम से मिलकर अपने अनुभव साझा करेंगे।” टीम निधि के साथ सपा के युवा नेता अनिल यादव, सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की वकील निदा खान, बैंकर नासिर सलीम और पार्टी प्रवक्ता पंखुरी पाठक शामिल थीं।

गौ प्रेम सामाजिक सरोकार के लिए चर्चित रही हैं निधि

निधि इलाहाबाद में शिक्षा के क्षेत्र में काम करती हैं, अपने कॉलेज में लड़कियों से पढ़ाई के विशेष इंतजाम के साथ वो आसपास के कई गांवों में गरीब छात्राओं के लिए ट्रेनिंग दिलाती हैं। निधि को गायों से भी काफी प्रेम हैं। उन्होंने देश में विलुप्त होती देशी नस्ल की गायों के लिए एक गोशाला खोली हैं। निधि के गोधाम में साहीवाल और गंगापारी नस्ल की कई गाय हैं। निधि बताती हैं, इतने लोगों के बीच ओबामा कैप मिली, इलाहाबाद का जिक्र आया। ये मेरी लिए काफी खुशी की बात है।

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