उत्तर प्रदेश में महिला पुलिस कर्मियों की सुध कौन लेगा ?

Update: 2016-04-17 05:30 GMT
गाँव कनेक्शन

लखनऊ। प्रदेश सरकार ने फरमान जारी किया कि हर थाने में दो महिला पुलिकसकर्मी तैनात की जाएंगी, ताकि महिलाओं को थाने पहुंचने में झिझक न हो। लेकिन इस आदेश के पूरा होने में सबसे बड़ा रोड़ा है थानों में महिलाओं के लिए आवास, सुरक्षा और बाथरूम जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी।

दूर-दराज के पुलिस थाने तो दूर की बात है, गाँव कनेक्शन ने लखनऊ, कानपुर और बाराबंकी जिलों के मुख्यालयों के पास स्थित महिला थानों और पुलिस लाइन में उनके लिए व्यवस्थाओं की हालत का जायज़ा लिया। कहीं सीलन से दीवार गल-गल कर गिर रही है, तो कहीं बिजली के नंगे तार खुले पड़े हैं। बाथरूम-शौच के दरवाज़े जर्जर हैं। एक तो आवास संख्या के हिसाब से हैं नहीं, जहां हैं भी वहां सुरक्षा की कमी है, महिला पुलिसकर्मी खुद ही डर में जीती हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 14,500 महिला पुलिसकर्मी मौजूद हैं।

हजरतगंज स्थित लखनऊ के महिला पुलिस थाने में तीन कमरे हैं और 59 महिला पुलिसकर्मी। संख्या के हिसाब से कमरों की संख्या पहले ही बहुत कम थी, उस पर भी इसमें से एक कमरे में पुरुष पुलिसकर्मी रहता है। बाकी के दो कमरों में छह से सात महिलाएं रहती हैं। रहने की व्यवस्था न होने के कारण ज्यादातर महिला पुलिसकर्मी किराए पर रहती हैं, जिसका भत्ता भी उन्हें नहीं मिलता। 

इस पर महिला थाना अध्यक्ष रूमा यादव बताती हैं कि यह मामला उनके संज्ञान में नहीं है। “महिला थाने में पुलिसकर्मी नहीं रह सकते। अगर वहां पर कोई पुलिसकर्मी रहता है तो किसी अधिकारी ने उसे नियुक्त किया होगा। मेरे हाथ में नियुक्ति का कार्य नहीं है। यह नियम के खिलाफ है अगर ऐसा है तो मामले को गम्भीरता से लिया जायेगा,” रूमा ने कहा। इसी प्रकार लखनऊ में स्थित पुलिसलाइन में महिला पुलिसकर्मियों के आवासों की हालत जाननी चाही तो स्थिति और बद्तर मिली। पुलिस लाइन में महिला पुलिसकर्मियों के लिए आवासों का प्रावधान ही नहीं है। आवश्यकता पड़ने पर महिलाओं को किसी अन्य का कमरा एलॉट कर दिया जाता है।

ट्रेनिंग के लिए मेरठ से आईं पुलिसकर्मी महिमा चौधरी बताती हैं, ‘‘यहां पर छत से पानी टपकता है। बाहर चारों तरफ से खुला हुआ है। पास में पुलिस कॉलोनी है जिनके लड़के बाहर खडे़ रहते हैं। सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है। बाउंड्री तक टूटी पड़ी है। खाना खाने के लिए भी पांच सौ मीटर दूर जाना पड़ता है’’।

लखनऊ पुलिस लाइन के प्रतिसरी निरीक्षक शिशुपाल सिंह चौहान ने इस बारे में बताया, “यहां पर महिलाओं के रहने के लिए कोई आवास नहीं है, जब हमारे पास महिलाएं आती हैं तो उनको रोकने के लिए आवास खाली कराने पड़ते हैं। अभी दस महिला पुलिसकर्मी आई हैं उनको रोकने के लिए जगह नहीं थी तो अपने आवास में रखा है और मैं पीएससी बल के साथ रहता हूं। अभी तक महिला आवास के लिए कोई निश्चित स्थान नहीं है”। चौहान ने बताया कि इस पुलिस लाइन में फार्मासिस्ट के नाम से जो आवास हैं उनमें 20 महिलाएं रह रही हैं। 

एक ही कमरे में रहना, खाना बनाना, शौचालय भी दूर

बाराबंकी के कोतवाली नगर में एक हेड महिला कान्सटेबल सहित कुल आठ महिला पुलिसकर्मी हैं। इनके रहने की  व्यवस्था नहीं हैं। कोठी थाने में रह रही महिला पुलिसकर्मी बताती है, “पुलिस लाइन 40 किमी दूर है, इसलिए थाने में रहते हैं, रहने के लिए एक कमरा उसी में खाना बनाना और नहाना होता है क्योकि थाने में बाथरुम नहीं और शौचालय दूर बना है। पानी का नल भी यहां से दूर है।”

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