लखनऊ। बूढ़ी हो चुकी दीवारें, जर्जर छत और खंडहर में तब्दील ये इमारत आज भले ही अपनी बदहाली का रोना रो रही हो लेकिन इसका अतीत शानदार है। लखनऊ के गोलागंज में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई का केंद्र रहा रिफह- ए- आम क्लब आज अपनी गुज़री हुई दास्तां को समेटे अपने आज पर आंसू बहा रहा है।
एक दौर था जब इसी रिफह आम क्लब में साहित्य सम्राट मुंशी प्रेमचंद ने प्रगतिशील लेखक संघ की पहली बैठक को संबोधित किया था। इसके अलावा साल 1920 में गांधी जी ने अंग्रेज़ों के खिलाफ असहयोग आंदोलन का पहला भाषण भी यहीं दिया था लेकिन आज यह इमारत अपने बुरे हाल में है।
फिलहाल इस इमारत की देखरेख यहीं रहने वाले चक्रपाणी पाण्डेय करते हैं। उम्र होने के चलते वो ठीक से बातचीत नहीं कर पाते और न ही ये बता पाते हैं कि रिफह आम क्लब की देखरेख करने का ज़िम्मा उन्हें किसने दिया।
रिफह आम क्लब के इतिहास की कई कड़ियां हैं, बताया जाता है कि जब लखनऊ में तवायफों पर रोक लगा दी गई तो शहर की सभी तफायवों ने यहीं जमा होकर अपना विरोध प्रदर्शन किया था। इसके अलावा अंग्रेज़ी साम्रराज्य के खिलाफ तमाम आवाज़ें यहीं से उठी।
कोई नहीं जो इतिहास के कई पन्ने समेटे इस खूबसूरत धरोहर को मिटने से बचाने की कोशिश करे। अगर इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले वक्त में अंग्रेज़ों के खिलाफ हिंदुस्तानी संघर्ष की एक और निशानी हमेशा के लिए मिट जाएगी।