जानिए कैसे FPO ने खोली 20,000 पशुपालक किसानों की किस्मत, सरकार से मिला पुरस्कार
Kushal Mishra 19 May 2018 12:21 PM GMT

हरियाणा के एक किसान उत्पादक संगठन यानि एफपीओ ने एक ही मंच उपलब्ध कराकर न सिर्फ पशुपालक किसानों को उनके दुग्ध का उचित मूल्य दिलाने में मदद की, बल्कि उनके पशुओं को स्वस्थ बनाए रखने में भी बड़ी भूमिका निभाई। यही कारण है कि हरियाणा सरकार ने हाल में इस किसान उत्पादक संगठन को सर्वश्रेष्ठ एफपीओ के अवॉर्ड से पुरस्कृत किया है।
किसान उत्पादक संगठन, असल में यह किसानों का एक समहू होता है, जो वास्तव में कृषि उत्पादन कार्य में लगा हो और कृषि व्यावसायिक गतिविधियां चलाने में एक जैसी धारणा रखते हों, एक गांव या फिर कई गांवों के किसान मिलकर भी यह समूह बना सकते हैं। यह समूह बनाकर संगत कंपनी अधिनियम के तहत एक किसान उत्पादक कंपनी के तौर पर पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं।
इसी के तहत हरियाणा के हिसार जिले में डॉ. विनोद बेनीवाल ने किसानों के सर्वांगीण विकास और सरकारी सुविधाओं का लाभ पहुंचाने के लिए फरवरी 2016 में शक्ति वर्धक मिल्क प्रॉड्यूसर नाम से किसान उत्पादक संगठन की शुरुआत की।
डॉ. विनोद बेनीवाल ‘गाँव कनेक्शन’ से फोन पर बातचीत में बताते हैं, “पशुपालकों को फायदा पहुंचे और पशु पालने के लिए उन्हें अच्छी तरह से प्रशिक्षण मिले, इसके लिए सबसे पहले हमने विभाग से ‘पैकेज ऑफ प्रैक्टिस’ का प्रशिक्षण दिया। पशुपालकों को जागरूक किया ताकि पशुओं की सभी जानकारी किसानों को मिल सकें कि कैसे अपने पशुओं का ध्यान रखें, कैसे उनका उपचार करें, उन्हें क्या खिलाएं, क्या न खिलाएं ताकि उनके पशु स्वस्थ रहें और उन्हें ज्यादा दूध उत्पादन मिल सके।“
धीरे-धीरे हिसार से कई पशुपालक किसान विनोद के एफपीओ से जुड़ने लगे। अपनी स्थापना के पहले ही वर्ष में इस एफपीओ ने खुद की प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की। यानि पशुपालकों से दुग्ध खरीना, प्रसंस्करण करना और बाजार में सीधे बिक्री करना, इस संगठन के मुख्य कार्यों में शामिल हो गए। इसके लिए नाबार्ड ने भी इस संगठन की आर्थिक सहयोग भी दिया।
डॉ. विनोद आगे बताते हैं, “अपनी प्रसंस्करण इकाई होने के बाद हमने पशुपालकों से सीधे प्रीमियम रेट पर दूध खरीदना शुरू किया, प्रसंस्करण किया यानि दूध से दही, घी, पनीर, खोया और बर्फी के उत्पाद बनाए, इसके लिए अलग-अलग यूनिट लगाई और सीधे बाजार में बेचना शुरू किया। यही कारण रहा कि आज की तारीख में इस संगठन से 900 पशुपालक शेयर होल्डर हैं और 37 गांवों के पशुपालकों समेत कई कंपनियों के करीब 20,000 पशुपालक हमसे जुड़कर उचित फायदा उठा पा रहे हैं।“
बड़ी बात यह रही कि एक किसान उत्पादक संगठन के तौर पर काम करते हुए इस एफपीओ को वर्ष 2016-17 में 39 लाख रुपए का वार्षिक कारोबार पहुंच गया, जो 2017-18 में और भी तेजी से बढ़ा और एफपीओ का वार्षिक कारोबार 1 करोड़ 42 लाख रुपए तक पहुंच गया। विनोद आगे बताते हैं, “हमें पूरी उम्मीद है कि 2018-19 में हमारा वार्षिक कारोबार करीब 3 करोड़ 50 लाख रुपए तक पहुंच जाएगा।“
डॉ. विनोद बताते हैं, “हमारी एफपीओ का मुख्य उद्देश्य है कि पशुपालकों को उनके दुग्ध का उचित मूल्य मिल सके, इसीलिए अब तक हमारे संगठन से 37 गांव के पशुपालक किसान जुड़ चुके हैं, हमने 11 मेलों में भागीदारी की है, करीब 52 जगहों पर एक दिवसीय और 4 जगहों पर सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम कर पशुपालकों को अपने साथ जोड़ा।“
किसान उत्पादक संगठन के तौर पर कम समय में इतनी उपलब्धि हासिल करने के लिए नाबार्ड ने दो बार उत्कृष्ट सहभागिता पुरस्कार से भी नवाजा। विनोद बताते हैं, “हमने हाल में लाला लाजपतराय पशुचिकित्सा एवं पशुविज्ञान विश्वविद्यालय से एमओयू साइन किया है, ताकि पशुपालकों को और भी लाभ मिल सके।“
यही कारण रहा कि हाल में हरियाणा के रोहतक शहर में हुई थर्ड एग्रीकल्चर लीडरशिप समिट-2018 में डॉ. विनोद बेनीवाल की शक्ति वर्धक मिल्क प्रॉड्यूसर कंपनी को केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने सर्वश्रेष्ठ एफपीओ के पुरस्कार से सम्मानित किया।
विनोद फोन पर आगे बताते हैं, “जल्द ही भविष्य में दूध से जुड़े अन्य उत्पाद भी शुरू करेंगे। हमारी कोशिश है कि हम पैक्ड मिल्क, फ्लैवर्ड मिल्क और आइसक्रीम जैसे उत्पाद भी बाजार में उपलब्ध करा सकें।“
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