इंग्लैण्ड की सरकारी नौकरी छोड़ आदिवासियों का जीवन बदल रहा ये युवा
Neetu Singh | Dec 19, 2017, 19:49 IST
अमिताभ ने भारत की पहली ऐसी आईटी कम्पनी खोली है जिसे आदिवासी ही चलाते हैं। ये जनसहयोग से बनी कम्पनी है, इसका नाम विलेज क्वेस्ट है।
RDESController-2436
बाहरवीं की परीक्षा 88 प्रतिशत से पास करने वाले मुकेश (20 वर्ष) का कहना है, "गांव के लोगों में क्षमताएं तो बहुत होती हैं, पर हमे मौके नहीं मिल पाते। हम लोग मेहनत करने से पीछे नहीं हटते हैं, हमारी मेहनत, हमारे सीनियर्स और अमिताभ सर का सहयोग मिला जिसकी वजह से आज मैं अपनी मनपसंद पढ़ाई कर रहा हूँ।"
अमिताभ सोनी ग्रामीणों से बात करते हुए मुकेश की तरह इस पंचायत के 18 परिवार के बच्चों का अमिताभ सोनी ने अपने सहयोगी साथियों की मदद से अच्छे स्कूलों में दाखिला कराया है। अमिताभ ने भारत की पहली ऐसी आईटी कम्पनी खोली है जिसे आदिवासी ही चलाते हैं। ये जनसहयोग से बनी कम्पनी है, इसका नाम विलेज क्वेस्ट है। इसकी शुरुआत गांव में इसलिए की गयी जिससे गांव और शहर के बीच का गैप खत्म किया जा सके। यहां के बच्चे गांव में आने वाले हर किसी से अभिवादन में जयहिंद कहते हैं।
ये भी पढ़ें- बस्ती के बच्चों को पढ़ाने के लिए आगे आयी मुस्कान
ये भी पढ़ें- बंदिशे तोड़ बनीं देश की पहली मुस्लिम महिला कुश्ती कोच, अब ग्रामीणों को सिखा रहीं पहलवानी
ये भी पढ़ें- गोपाल खण्डेलवाल, 18 वर्षों से व्हीलचेयर पर बैठकर हजारों बच्चों को दे चुके मुफ्त में शिक्षा
उनका कहना है, "जबसे यहां काम करना शुरू किया है, तबसे सभी समितियां बन गयी हैं, ग्राम सभा और समितियों की बैठक लगातार होती है। पंचायत का काम पंचायत स्तर पर ही हो रहा है। आईटी कम्पनी में प्रोग्रामिंग और डेटा इंट्री का काम अभी चल रहा है, डेटा इंट्री का जो काम करवाते हैं वो बदले में पैसे भी देते हैं।"
बच्चों की कम्प्यूटर पर थिरकती उंगलियां अमिताभ ब्रिटेन तो जरूर गये थे पर उनका मन वहां नहीं लगा इसलिए अपने शहर वापस आ गये। आदिवासियों के लिए ही काम क्यों किया इस सवाल के जबाब में ये कहते हैं, "बाकी समुदाय के लोग अपने लिए कुछ न कुछ कर सकते हैं पर आदिवासियों के लिए खुद के लिए कुछ करना मुश्किल था, इसलिए इनके साथ काम करने की शुरुआत की। शुरुआत में यहाँ के बच्चों को बाहर के शिक्षकों की मदद से पढ़ाने की शुरुआत की।" वो आगे बताते हैं, "ये हमसे ज्यादा अनुभवी हैं, हम हर दिन इनसे सीखते हैं। ये सिर्फ विज्ञान और तकनीक से पीछें हैं, जिस पर हम ख़ास ध्यान दे रहे हैं। यहां की आठ लड़कियां अभी पंजाब कार्फ बाल खेलने जा रही हैं।"
जयहिंद करते बच्चे
भारत की पहली आदिवासी आईटी कम्पनी जिसे आदिवासी चलाते हैं
वो आगे बताते हैं, "यहां बच्चों को माइक्रोसाफ्ट ऑफिस, पेंटिंग, टाइपिंग जैसी कई चीजें सिखायी जाती हैं। हम अलग-अलग लोगों के छोटे-मोटे काम जैसे डेटा इंट्री का भी काम करते हैं जिससे हमारा खर्चा चल सके।"
सरकारी स्कूल के बच्चे
यहाँ के सरकारी विद्यालयों में कान्वेंट जैसी सुविधाएं
युवाओं से बात करते अमिताभ
ऐसे चलता है अमिताभ का खर्चा
केकडिया गांव की महिलाएं