World Tuberculosis Day: कितनी गंभीर बीमारी है टीबी, जानिए लक्षण और बचाव की पूरी जानकारी

हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र हर समय रोगजनक जीवाणुओं से लड़ता रहता है। लेकिन, प्रतिरक्षा तंत्र जैसे ही कमजोर होता है, तो बीमारियां हावी होने लगती हैं। ऐसी ही, बीमारियों में से एक है टीबी की बीमारी। जिसे तपेदिक या क्षय रोग के नाम से भी जाना जाता है।

Manvendra SinghManvendra Singh   24 March 2023 12:13 PM GMT

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अभी भी ग्रामीण भारत में टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस को गंभीर बीमारी माना जाता है, इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस के रुप में मनाया जाता है।

टीबी को लेकर अभी भी लोगों में जानकारी की कमी है जैसे कि इसके लक्षण क्या होते हैं, इसकी पहचान कैसे करें, इसके लिए इलाज के लिए क्या करना होता है? ऐसे ही कई सवालों के जवाब दे रहे हैं किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पल्मोनरी एन्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन डिपार्टमेंट के विभागध्यक्ष डॉ वेद प्रकाश।

डॉ वेद प्रकाश बताते हैं, "इस समय भारत मे सबसे ज्यादा जो रोगी है दुनिया मे जो हर चौथा व्यक्ति टीबी से ग्रसित है वो भारत का ही है। तो आप समझ सकते हैं कि टारगेट कितना बड़ा है ऐसे मे देश के लिए ये टीबी डे बहुत महत्वपूर्ण है।"


वो आगे कहते हैं, "मैं ये बताना चाहता हूं कि जो फेफड़े की जो टीबी होती है अगर उसके लक्षण की बात करें तो हल्का बुखार आ रहा हो, भूख नहीं लग रही हो, वजन गिर रहा है या खांसी में खून आ रहा हो तो ऐसे रोगी अगर आसपास हो तो उनको नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर पहुंचाएं इसके अलावा टीबी हर अंग को प्रभावित करती है।"

हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र हर समय रोगजनक जीवाणुओं से लड़ता रहता है। लेकिन, प्रतिरक्षा तंत्र जैसे ही कमजोर होता है, तो बीमारियां हावी होने लगती हैं। ऐसी ही, बीमारियों में से एक है टीबी की बीमारी। जिसे तपेदिक या क्षय रोग के नाम से भी जाना जाता है। टीबी का पूरा नाम ट्यूबरक्लोसिस है, जो 'माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस' नामक जीवाणु से होता है। टीबी रोग मुख्य रूप से फेफड़ों को नुकसान पहुँचाता है। हालांकि, टीबी का वायरस आंत, मस्तिष्क, हड्डियों, जोड़ों, गुर्दे, त्वचा तथा हृदय को भी प्रभावित कर सकता है।

अगर हम दांत, बाल, नाखून को छोड़ दें तो ऐसे में अगर शरीर के किसी अंग में अगर कोई गांठ या गिल्टी हो, जिसमें दर्द हो रहा या फिर नर्वस सिस्टम की टीबी हुई हो। तो इसमें बुखार या भूख कम लगना वजन कम होना जैसी समस्याएं होती हैं तो ऐसे रोगियों को आसानी से पहचान सकते हैं।

फेफड़े की टीबी में चिल्लाना, गाना गाना, जोर जोर से खांसना या हंसना, बातचीत करना, इस दौरान जो बलगम के ड्रॉपलेट के साथ बैक्टीरिया बाहर आता है, जिससे लोगों में इंफेक्शन फैलता है।

इनसे बचाव के लिए इनसे बचाव के लिए मास्क लगाना, बार-बार हाथ धोना, साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना, खांसते-छींकते समय रुमाल रखना या फिर कोशिश करें कि अकेले में खांसे-छींके और भीड़ से दूरी बनाए रखें। ज्यादा लोगों से न मिलें। अगर मिलना जरूरी हो तो खुले मे मिलें, ऐसे वातावरण से कम टीबी फैलेगी।


साथ ही साथ टीबी का मरीज जिस घर में है उन के आस पास मे बच्चों को दूर रखना चाहिए। जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है, न लोगों में 65 साल के बुजुर्ग हैं, दूध पिलाने वाली माँ और गर्भवती महिलाएं हो सकती हैं। या फिर जिन्हें शुगर, हाई ब्लड प्रेशर या फिर लंग्स या किडनी या फिर लीवर की दूसरी कोई बीमारी हो उन्हें बचकर रखना चाहिए। क्योंकि ऐसे लोगों को टीबी जल्दी अपने गिरफ्त में लेती है।

इसलिए टीबी से बचाव के लिए टीबी के प्रिमेटिव ट्रीटमेन्ट देते हैं जो 3 महीने का होता है, क्योंकि 2025 तक टीबी को खतम करने का जो लक्ष्य है तो इस प्रकार की जो लड़ाई है वो काफी बड़ी है। उसी प्रकार से जैसे कोरोना से लड़ाई लड़ी गई है। उसी तरह से सबको एकजुट होकर लडना होगा। तभी आज का भारत सशक्त भारत बनेग । तो टीबी मुक्त भारत को गति देने के लिए सब लोग अपना सहयोग करें।

ताजा खाना खाना चाहिए, अगर थाली में 5 रंग है तो सभी की पूर्ति हो जाती है, विटामिन सी ले खट्टे खाने का प्रयोग करें, धूप ले विटामिन डी, दूध दही कैल्सियम की मात्रा बढ़ाएं। साथसाथ योग, प्राणायाम और एक्सरसाइज को अपने दिनचर्या में रखें, एक घंटा जरूर दें।

और भरपुर नींद ले 6-8 घण्टे का भरपुर लें। साथ ही उन रोगियों को जो किन्हीं कारणों बस सामने नहीं आ पा रहे हैं तो उनकी मदद करना है रोगी को 500 रुपया इलाज के लिए दिये जाते हैं। उसी के साथ जो डॉक्टर या नर्स टीबी के रोगी का इलाज कर रहे हैं सरकार उनको भी सहायता प्रोत्साहन राशि देती हैं इसका हिस्सा बने और देश को टीबी मुक्त बनाने मे सहयोग करें।

टीबी की दवाइयां बीच में नहीं छोड़नी चाहिए दवाएं नियमित रुप से लेनी चाहिए।

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