जंगली सुअर किसानों के लिए बने सिरदर्द , ये हैं फसल बचाने के 6 मुफ्त के उपाय
गाँव कनेक्शन | Mar 14, 2018, 13:16 IST
जंगली सुअरों से बचने के लिए अभी तक कोई खास तकनीक या उपाय तो नहीं है। सुअर या शूकर बचने के लिए देसी और परम्परागत तरीके भी अपनाए जा सकते हैं।
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इन सुअरों से बचने के लिए अभी तक कोई भी ऐसी दवा या केमिकल नहीं ईज़ाद हो सका है। न ही ऐसी कोई तकनीक विकसित हुई है जो किसानों को इनसे निज़ात दिला सकें। एक और समस्या यह है कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत इनको मारा भी नहीं जा सकता है। फिलहाल किसान इनको खुद अपने दम पर ही खेतों से भगा रहे हैं।
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किसान हर एक मौसम में अपनी फसल लगाने के समय से ही योजना बनाने लगते हैं, जबकि कुछ किसान ऐसे भी हैं, जो योजना बनाने में बहुत यकीन नहीं रखते हैं। फिर भी, वे योजना बनायें या न बनायें, अपनी फसलों से उम्मीदें तो लगाकर रखते ही हैं। ऐसे में अपनी उम्मीदों को मूर्त रूप में लाने में उनके सामने बहुत सारी मुश्किलें और चुनौतियाँ आती हैं जो उनके उत्पादन और सफलता पर लगातार प्रश्न करते हैं। जंगली सुअरों से फसल को बचाने की चुनौती उन्हीं में से एक है।
एक तरफ जब हम किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रहे हैं, उस समय में यदि किसान जंगली जानवरों से अपनी फसलें ही नहीं बचा पाएंगे तो आय का प्रश्न तो बहुत पीछे चला जाता है। सबसे पहले तो बात उस प्रबन्धन की होनी चाहिए, जिससे जो भी, जैसी भी फसल हो वो कटाई होने तक बची तो रहे। जब लागत निकलेगी तब तो हम आय के बारे में सोच पाएंगे। इस लिहाज से हम यहां बात कर रहे हैं जंगली सुअरों से खेतों को बचाने के उपायों पर।
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देसी और परंपरागत तरीके
1. सुअर के गोबर की परत
2. रास्ते पर इंसान के बालों का प्रयोग
3. सुअर के गोबर के उपले को सुलगाना
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4. पलंग के पट्टों से बाड़ बनाना
5. रंगीन साड़ियों की घेराबन्दी
6. कुत्तों से पहरेदारी
जंगली सुअर की समस्या इस लिहाज से भी एक बड़ी समस्या है कि अभी तो किसान स्वयं ही इनको भगाने में लगे हुए हैं और फिर ये भड़के हुए जंगली जानवर तो तों की रखवाली कर रहे किसानों पर भी हमला कर सकते हैं। इसके साथ ही इन सुअरों के आक्रमण का कोई समय भी नहीं है, ये दिन-रात कभी भी आ सकते हैं।
जंगली सुअर से बचने के लिए इन तमाम परम्परागत उपायों को समेकित रूप से प्रयोग में लाना चाहिए नाकि किसान किसी एक तरीके पर पूरी तरह निभर्र होकर बैठ जाएं। किसानों को चाहिए कि वे लगातार इन जानवरों की आदतों पर ध्यान देते रहें जैसे उनकी चाल, उनकी आक्रामक प्रवृत्ति आदि। जब किसान स्वयं ही इनके व्यवहार को समझ जाएंगे तो वे इनसे बचने के तमाम देसी उपायों पर खुद ही प्रयोग कर पाएंगे।
(लेखक कृषि विज्ञान केंद्र, कटिया सीतापुर में कृषि वैज्ञानिक हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)