टेराकोटा से बने आइटमों की शहर से लेकर गाँवों तक बढ़ रही डिमांड,पुश्तैनी काम छोड़ कमा रहे मुनाफा
गाँव कनेक्शन | Oct 05, 2017, 17:43 IST
निधि दीक्षित
स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट
गजियाबाद। जिले में टेराकोटा से बने आइटम की मांग दिनबदिन बढ़ती ही जा रही है। कम लागत में अच्छा मुनाफा के कारण मिट्टी के बर्तन खिलौने बनाने वाले भी आजकल अपना पुश्तैनी काम छोड़कर टेराकोटा के आइटम बेच रहे हैं।
मुरादनगर ब्लाक के जलालपुर के शिव बालक प्रजापति मिट्टी के सामान बनाना छोड़ अब टेराकोटा का ही काम कर रहे हैं। शिवबालक बताते हैं, "मिट्टी के बर्तन खिलौनें आदि बनाने में जितनी मेहनत लगती है उतना मुनाफा नहीं निकल पा रहा है। यही कारण है कि हमलोग टेराकोटा के आइटम बेच रहे हैं जिसमें एक छोटे पीस की कीमत भी 100 रुपए से कम नहीं है।"
राजू जो कि लम्बे समय से टेराकोटा के आइटम बेच रहे हैं, बताते हैं, "मिट्टी की अपेक्षा इसकी फिनशिंग शानदार होती है। साथ ही कलर मिट्टी की अपेक्षा टेराकोटा में ज्यादा खूबसूरत लगता है, इसकी चमक बहुत शानदार होती है और लम्बे समय तक बरकरार रहती है। यही कारण है कि आजकल टेराकोटा के शोपीस फ्लावर पॉट, लाफिंग बुद्धा,गणेश जी, शुभ लाभ जैसे आइटम की मांग बढ़ रही है। पानी पड़ने पर भी यह जल्दी खराब नहीं होता है। पीतल, लकड़ी लोहे की अपेक्षा यह सस्ता भी है और जो खूबसूरती इसकी है वो किसी और में नहीं आती है।
टेराकोटा का काम करने वाले कारीगर लम्बे समय से यह पुश्तैनी काम करने वाले रामपाल (50 वर्ष) का कहना है, "आजकल रफ एंड टफ और यूज एंड थ्रो का जमाना है |चमक दमक ज्यादा पसंद की जा रही है फिर चाहे वह आदमी हो या खिलौना एक ये भी कारण है कि टेराकोटा के सामानों की ज्यादा डिमांड है|रामपाल का कहना है कि आस पास के अपार्टमेंट में ज्यादा डिमांड है इन आइटमों की| वैशाली मेट्रो के पास दुकान होने का लाभ मिल रहा है,क्यूंकि बगल में मेट्रो है और दूसरी तरफ मेन रोड|
रामपाल ने आगे बताया,"कलकत्ता व राजस्थान से माल मंगाते हैं और फिर उसकी रंगाई का काम करके बेचते हैं। रंगाई में पेंट का प्रयोग किया जाता है। सौ से ज्यादा आइटम बनाए जा रहे हैं। वास्तुदोष फ्लावर स्टैंड, गणेश जी, बुद्धा के मुंह मांगे दाम मिलते हैं। इसकी सबसे ज्यादा डिमांड रहती है। इस समय दीपावली को देखते हुए दीपक व शो पीस की मांग ज्यादा है। गाँवों के लोग भी थोक भाव में खरीदकर गाँवों के बाजारों में बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।"
मोदीनगर व लोनी में कई मिट्टी का काम करने वाले लोगों भी अपना पुश्तैनी काम छोड़कर अब टेराकोटा के आइटम बेंचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। जलालपुर गाँव के शिवबालक का कहना है कि एक आइटम पर 200 से 400 तक का मुनाफा मिल रहा है।
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स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट
गजियाबाद। जिले में टेराकोटा से बने आइटम की मांग दिनबदिन बढ़ती ही जा रही है। कम लागत में अच्छा मुनाफा के कारण मिट्टी के बर्तन खिलौने बनाने वाले भी आजकल अपना पुश्तैनी काम छोड़कर टेराकोटा के आइटम बेच रहे हैं।
मुरादनगर ब्लाक के जलालपुर के शिव बालक प्रजापति मिट्टी के सामान बनाना छोड़ अब टेराकोटा का ही काम कर रहे हैं। शिवबालक बताते हैं, "मिट्टी के बर्तन खिलौनें आदि बनाने में जितनी मेहनत लगती है उतना मुनाफा नहीं निकल पा रहा है। यही कारण है कि हमलोग टेराकोटा के आइटम बेच रहे हैं जिसमें एक छोटे पीस की कीमत भी 100 रुपए से कम नहीं है।"
राजू जो कि लम्बे समय से टेराकोटा के आइटम बेच रहे हैं, बताते हैं, "मिट्टी की अपेक्षा इसकी फिनशिंग शानदार होती है। साथ ही कलर मिट्टी की अपेक्षा टेराकोटा में ज्यादा खूबसूरत लगता है, इसकी चमक बहुत शानदार होती है और लम्बे समय तक बरकरार रहती है। यही कारण है कि आजकल टेराकोटा के शोपीस फ्लावर पॉट, लाफिंग बुद्धा,गणेश जी, शुभ लाभ जैसे आइटम की मांग बढ़ रही है। पानी पड़ने पर भी यह जल्दी खराब नहीं होता है। पीतल, लकड़ी लोहे की अपेक्षा यह सस्ता भी है और जो खूबसूरती इसकी है वो किसी और में नहीं आती है।
टेराकोटा का काम करने वाले कारीगर लम्बे समय से यह पुश्तैनी काम करने वाले रामपाल (50 वर्ष) का कहना है, "आजकल रफ एंड टफ और यूज एंड थ्रो का जमाना है |चमक दमक ज्यादा पसंद की जा रही है फिर चाहे वह आदमी हो या खिलौना एक ये भी कारण है कि टेराकोटा के सामानों की ज्यादा डिमांड है|रामपाल का कहना है कि आस पास के अपार्टमेंट में ज्यादा डिमांड है इन आइटमों की| वैशाली मेट्रो के पास दुकान होने का लाभ मिल रहा है,क्यूंकि बगल में मेट्रो है और दूसरी तरफ मेन रोड|
रामपाल ने आगे बताया,"कलकत्ता व राजस्थान से माल मंगाते हैं और फिर उसकी रंगाई का काम करके बेचते हैं। रंगाई में पेंट का प्रयोग किया जाता है। सौ से ज्यादा आइटम बनाए जा रहे हैं। वास्तुदोष फ्लावर स्टैंड, गणेश जी, बुद्धा के मुंह मांगे दाम मिलते हैं। इसकी सबसे ज्यादा डिमांड रहती है। इस समय दीपावली को देखते हुए दीपक व शो पीस की मांग ज्यादा है। गाँवों के लोग भी थोक भाव में खरीदकर गाँवों के बाजारों में बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।"
मोदीनगर व लोनी में कई मिट्टी का काम करने वाले लोगों भी अपना पुश्तैनी काम छोड़कर अब टेराकोटा के आइटम बेंचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। जलालपुर गाँव के शिवबालक का कहना है कि एक आइटम पर 200 से 400 तक का मुनाफा मिल रहा है।
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