गेहूं के बीजों को फफूंद, बैक्टीरिया से बचाने के लिए करें बीजोपचार, बंपर होगी पैदावार

Karan Pal Singh | Dec 03, 2017, 17:54 IST

उत्तर प्रदेश में रबी फसलों की बुवाई शुरू हो चुकी है। प्रदेश में सरसों की लगभग 70 प्रतिशत बिजाई हो चुकी है और गेहूं की बुवाई 63 प्रतिशत तक हो चुकी है । किसान गेहूं की बुवाई करने से पूर्व बीज का उपचार जरूर कर लें। ऐसा करने से किसानों को गेहूं की अच्छी पैदावार मिलेगी। आगामी समय में होने वाली कई प्रकार की बीमारियों से फसल बची रहेगी। बीज उपचार के बाद गेहूं की बिजाई करने से किसान की लागत में कमी आएगी।

कियानों को बिजाई करने से पूर्व बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में कृषि विज्ञान केंद्र कटिया, सीतापुर के कृषि वैज्ञानिक डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव जानकारी दे रहे हैं।

ताकि गेहूं आवश्यक मात्रा में निकल सके

डॉ. दया शंकर ने किसानों को बताया कि वर्तमान में जमीनों के अंदर पोषक तत्वों की कमी के चलते फफूंद, बैक्टिरिया की मात्रा बढ़ रही है। इसी कारण से किसान की फसलों में बीमारियां आती हैं। फसलों में नुकसान होता है, जिससे किसानों को भी नुकसान होता है। बीमारियों से बचाव के लिए बिजाई से पहले बीज उपचार करना आवश्यक होता है। बीज उपचार के बाद किसान को ध्यान रखना चाहिए कि उपचार के बाद गेहूं के बीज फूल जाता है। इसलिए बिजाई के समय किसान मशीन का एक नंबर ज्यादा खोल लें ताकि गेहूं आवश्यक मात्रा में उससे निकल सके।"



डॉ राजवीर यादव, वरिष्ठ वैज्ञानिक, राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली

बुवाई से पहले ध्यान दें किसान

कृषि वैज्ञानिक डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव बताते हैं, "सरसों के लिए इस समय काली सरसों आरएच-30, आरसीएच-406, एनआरसीडीसी-2 नामक किस्म का ही चयन बेहतर साबित होगा, क्योंकि सरसों की पछेती अवस्था में यह अच्छा पैदावार देती है। लेकिन बुवाई से पहले इस बात का ध्यान जरूर दें कि जहां बुवाई के लिए एक किलो सरसो की आवश्यकता होती है, वहां बीज की मात्रा अधिक कर लें।"

बीजों में बीमारी की रोकथाम के लिए रामबाण औषधि

डॉ. दया शंकर आगे बताते हैं, "इस समय किसान अपना ध्यान गेहूं के खेत की तैयारी में केंद्रित करें। गेहूं की उन्नत किस्मों जेसे एचडी-2967, डब्ल्यूएच-110एस, डब्ल्यूएच-711, एचडी-3086, डीबीडब्ल्यू-88, 621-50 आदि का 40 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ की दर से लेकर बिजाई करें।" कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि बिजाई से पहले बीज उपचार अवश्य करें, जो कि बीजों में कीड़ों, बीमारी की रोकथाम के लिए रामबाण औषधि है।

बीजोपचार के लिए अपनाएं ये तरीके

  • जैविक विधि से बीजों का शोधन करने के लिए थोड़े से गुण के साथ ट्राइकोडर्मा 10 ग्राम प्रति किलो बीज के साथ मिलाया जाता है, जिससे बीज का शोधन होता है।
  • रासायनिक विधि से बीजों का उपचार करने में कारबेंडर जिम दवा का प्रयोग कर सकते हैं। फफूंद के लिए कारबेंडर जिम दवा का उपयोग दो ग्राम प्रतिकिलो बीज के हिसाब से उपयोग करें।
  • 40 किग्रा. बीज 60 मिलीलीटर क्लोरीपायरीफोस दवाई को सवा दो लीटर पानी में मिलाकर बीज को उपचारित करें। बीज को छाया में सूखने दें। इससे दीमक नहीं लगेगी।
  • इसी दिन दो ग्राम बाविस्टीन प्रति किलोग्राम बीज की दर से सूखा ही उपचारित करें।
  • अजोटो बैक्टर फास्फोरस के पीएसबी टीकों से उपचारित करें, ये टीके इफको या केवीके से उपलब्ध हो जायेंगे। इनसे फसल को नाइट्रोजन फास्फोरस उपलब्ध होगी।


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