प्लास्टिक मल्चिंग विधि का प्रयोग कर बढ़ा सकते हैं सब्जी और फलों की उत्पादकता
Astha Singh | Mar 21, 2018, 14:43 IST
किसानों के लिए खरपतवार सबसे बड़ा सिर्द बनते हैं। इनसे फसल को बचाने के लिए किसान निराई गुड़ाई कराते हैं लेकिन इस पर काफी खर्च है। ऐसे मल्चिंग काफी कारगर हो सकती है।
खेत में लगे पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक फिल्म के द्वारा सही तरीके से ढकने की प्रणाली को प्लास्टिक मल्चिंग कहते है। यह फिल्म कई प्रकार और कई रंग में आती है।
प्लास्टिक मल्च फिल्म का चुनाव– प्लास्टिक मल्च फिल्म का रंग काला, पारदर्शी, दूधिया, प्रतिबिम्बित, नीला, लाल आदि हो सकता है।
काली फिल्म – काली फिल्म भूमि में नमी संरक्षण, खरपतवार से बचाने तथा भूमि का तापक्रम को नियंत्रित करने में सहायक होती है। बागवानी में अधिकतर काले रंग की प्लास्टिक मल्च फिल्म प्रयोग में लायी जाती है।
दूधिया या सिल्वर युक्त प्रतिबिम्बित फिल्म – यह फिल्म भूमि में नमी संरक्षण, खरपतवार नियंत्रण के साथ-साथ भूमि का तापमान कम करती है।
पारदर्शी फिल्म– यह फिल्म अधिकतर भूमि के सोलेराइजेशन में प्रयोग की जाती है। ठंडे मौसम में खेती करने के लिए भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।
फिल्म की चौड़ाई – प्लास्टिक मल्चिंग के प्रयोग में आने वाली फिल्म का चुनाव करते समय उसकी चौड़ाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए जिससे यह कृषि कार्यों में भरपूर सहायक हो सके। सामान्यत: 90 से.मी. से लेकर 180 सें.मी तक की चौड़ाई वाली फिल्म ही प्रयोग में लायी जाती है।
फिल्म की मोटाई – प्लास्टिक मल्चिंग में फिल्म की मोटाई फसल के प्रकार व आयु के अनुसार होनी चाहिए ।
इस तकनीक से क्या फ़ायदा होता है
सब्जियों की फसल में इसका प्रयोग कैसे करें
फल वाली फसल में इसका प्रयोग
मिलिए ऐसे किसान से जो इस तकनीक से खेती कर रहे हैं
तरबूज की खेती में मल्चिंग व ड्रिप सिंचाई जैसी आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से अनिल अपने क्षेत्र के बाकी किसानों की तुलना में अच्छी फसल उगा रहे हैं और मंडी में पहले से अच्छे भाव पर बेच रहे हैं। अनिल आधुनिक तरीकों से तरबूज की खेती को अपने क्षेत्र के 50 से अधिक किसानों तक पहुंचा चुके हैं। वह आगे बताते हैं, "तरबूज से मैं अब हर साल 25 से 30 लाख की कमाई कर लेता हूँ ।'
खेत में प्लास्टिक मल्चिंग करते समय सावधानियां
● फिल्म में ज्याद तनाव नही रखना चाहिए।
● फिल्म में जो भी सल हो उसे निकलने के बाद ही मिटटी चढ़ा वे।
● फिल्म में छेद करते वक्त सावधानी से करे सिंचाई नली का ध्यान रख के।
● छेद एक जैसे करे और फिल्म न फटे एस बात का ध्यान रखे।
●मिटटी चढाने में दोनों साइड एक जेसी रखे
●फिल्म की घड़ी हमेशा गोलाई में करे
●फिल्म को फटने से बचाए ताकि उसका उपयोग दूसरी बार भी कर पाए और उपयोग होने के बाद उसे चाव में सुरक्षित रखे।
प्लास्टिक मल्चिंग की लागत कितनी आती है
प्रति बीघा लगभग 8000 रूपये की लागत हो सकती है और मिटटी चढ़ाने में यदि यंत्रो का प्रयोग करे तो वो ख़र्चा भी होता है।
प्लास्टिक मल्चिंग में अनुदान कितना मिलता है
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