समय के साथ बदला नाश्ता बढ़ा रहा किसानों की आमदनी

Devanshu Mani TiwariDevanshu Mani Tiwari   6 Nov 2017 6:50 PM GMT

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समय के साथ बदला नाश्ता बढ़ा रहा किसानों की आमदनीओट्स, टोमेटो सूप, केले व करेले के चिप्स, कार्न फ्लेक्स और पॉपकॉर्न जैसे उत्पादों की बढ़ रही बिक्री

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। बदलती जीवनशैली के कारण लोग सुबह के नाश्ते में हल्का खाना पसंद कर रहे हैं, ऐसे में ओट्स, टोमेटो सूप, केले व करेले के चिप्स, प्रोसेस्ड चीज़ व बटर , कार्न फ्लेक्स और पॉपकॉर्न जैसे उत्पादों की बिक्री बढ़ रही है। इससे एफएमसीजी गुड्स ( रोज़ाना प्रयोग होने वाले खाद्य पदार्थ) के व्यापार के साथ-साथ सब्जियों व फलों की खेती कर रहे किसानों के दिन बहुर रहे हैं।

केरल में स्थापित टीएरा फूड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में पिछले तीन वर्षों में केले के चिप्स की मांग तेज़ी से बढ़ रही है। ऐसे में ज्यादातर चिप्स बनाने वाली कंपनियां अब पोटेटो चिप्स के साथ साथ केले के चिप्स भी बाज़ार में ला रही हैं। केरल में कुछ चिप्स बनाने वाली कंपनियां यहां पर किसानों से कॉनट्रैक्ट पर केले की खेती भी करवा रही हैं।

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टीएरा फूड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एलेक्स थॉमस ने बताया, '' हम तमिलनाडु और केरल में वर्ष 2012 से 300 से अधिक किसानों के साथ कॉनट्रैक्ट फार्मिंग करवा रहे हैं। हमने किसानों के साथ मिलकर उन्हें अपने खेत से ज़्यादा पैसा कमाने के तरीके बताए हैं। हम मुख्यरूप से केले व कसावा के चिप्स बनाकर भारतीय व विदेशी बाज़ारों में बेच रहे हैं, इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ी है।''

फूड प्रोसेसिंग तकनीकों के विस्तार से बढ़ रहा एफएमसीजी उत्पादों का बाज़ार

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एफएमसीजी गुड्स ( रोज़ाना तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले उत्पाद) के व्यापार व वितरण पर काम कर रही संस्था नीलसन की वर्ष 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में स्वास्थ्य खाद्य पदार्थों के बढ़ते बाज़ार से 10,000 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है।रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा इसलिए संभव हुआ है क्योंकि भारत में अधिकतर लोग अब नाश्ते में पराठे, ब्रेड और दूध की जगह ओट्स, फल, भुने हुए गाजर व खीरे के चिप्स, करेले व केले के चिप्स और जूस लेना पसंद कर रहे हैं।

नई दिल्ली में शुरू हुए वर्ल्ड फूड इंडिया 2017 सम्मेलन में फल, सब्जियां, डेयरी, पॉल्ट्री एवं मत्स्य पालन के सत्र में केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि वर्ष 2016-17 में बागवानी उत्पादों का 50.3 लाख टन निर्यात किया गया जिसमें ताजे फल और सब्जी 41.6 लाख टन, प्रोसेस्ड फल एवं सब्जियों के उत्पाद - 8.80 लाख टन और फूल कृषि- 33 हज़ार 725 टन शामिल था। फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र में किसानों की भागीदारी बढ़ाकर उनकी आय में काफी वृद्धि लाई जा सकती है।

जहां एकतरफ दक्षिणी राज्यों में किसानों की उपज को फूड प्रोसेसिंग की मदद से पहले से अच्छे दामों पर बेचा जा रहा है।वहीं उत्तर प्रदेश कृषि विभाग मौसमी सब्जियों की खेती कर रहे किसानों को फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र में लाने के प्रयास में जुटी हुई है।

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'' पिछले कुछ वर्षों से अचार उद्योग में मूली और गाजर की अच्छी मांग रही है और बाज़ार में केले के बने केला चिप्स, केला पल्प और केला शेक पसंद किए जा रहे हैं। खेत में उगाई जा रही फसल को खाद्य प्रसंस्करण तकनीकों की मदद से किसानों को अच्छे दाम दिलवाने के लिए हमने प्रदेश के कई जिलों में किसानों को मूली, गाजर और केले की खेती करने पर ज़ोर दिया है।'' यह बताया डॉ. राघवेंद्र प्रताप सिंह ,संयुक्त कृषि निदेशक ( खाद्य प्रसंस्करण) कृषि विभाग उत्तर प्रदेश ने।

भारत में फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र के विस्तार पर वर्ल्ड फूड इंडिया 2017 सम्मेलन में हुए कृषि सत्र में यह बात सामने आई कि देश में समेकित बागवानी विकास मिशन व बागवानी के विकास के लिए सरकार, समेकित बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) के तहत कई प्रदेशों में कोल्ड पैक हाउस, प्रीकूलिंग, स्टैवगिंग कोल्ड रूम, कोल्ड स्टोरेज , प्राथमिक फूड प्रोसेसिंग यूनिटें और रिपेनिंग चैंबर की व्यवस्था की गई है। आधुनिक फूड प्रोसेसिंग यूनिटों के निर्माण से किसानों को अपना कृषि उत्पाद आसानी से बेचने में काफी मदद मिल रही है।

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पॉपकॉर्न का व्यापार बड़े स्तर पर कर रही गुजरात की अनमोल फूड्स कंपनी बंगलौर से मक्का मंगवाती है। कंपनी पॉपकार्न बनाने के लिए मुख्यरूप से अमेरिकन मक्के का प्रयोग करती है। इस मक्के की खेती बंगलौर में बड़े पैमाने पर की जाती है।

अनमोल फूड्स कंपनी के प्रबंध निदेशक मो. अजहरुद्दीन बताते हैं,'' पिछले एक दशक में पॉपकार्न का बाज़ार तेज़ी से बढ़ा है। मल्टीप्लेक्स, सीनेमाघरों और प्रर्यटन क्षेत्रों में पॉपकार्न की खपत सबसे अधिक होती है। इसलिए किसान भी अब मक्के की खेती पसंद कर रहे हैं।'' वो आगे बताते हैं कि बंगलौर की वैन एग्रो कंपनी किसानों को अमेरिकन मक्के की खेती का प्रशिक्षण देती है।

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