वीडियो : इस डेयरी में गोबर से सीएनजी और फिर ऐसे बनती है बिजली

Diti Bajpai | Mar 23, 2018, 12:00 IST

गांवों में एक आम सी कहावत है गाय भैंस पालकर सिर्फ दो वक्त का खाना जुटाया जा सकता है लेकिन अमीर नहीं बना जा सकता है। लेकिन कुछ लोग पशुपालन में हाईटेक तरीकों का इस्तेमाल कर न सिर्फ लाखों रुपये कमा रहे हैं बल्कि हजारों लोगों के लिए उदाहरण भी बन रहे हैं। ऐसे ही एक पशुपालक हैं जयसिंह ।

लखनऊ के सरवन गाँव निवासी प्रगतिशील पशुपालक जयसिंह डेयरी रोजगार को अपनाकर खुद के रोजगार के साथ ही दूसरे पशुपालकों के लिए भी आय के स्रोत बना रहे हैं। इनकी इस पहल से एक बार फिर क्षेत्र के पशुपालकों में अच्छी कमायी की आस जगने लगी है। वहीं युवा पशुपालकों के लिए ये प्रेरणा के स्रोत भी बन रहे हैं। पशुपालक जयसिंह बताते हैं कि दूध डेयरी में नवाचारों के माध्यम से वे अच्छा मुनाफा कमा पाने में कामयाब हुए हैं। वर्तमान में उनकी डेयरी के माध्यम से लगभग 150 से ज्यादा पशुपालक आर्थिक रूप से सबल बन रहे हैं।

नया नहीं है बैलों की मदद से बिजली बनाने का आइडिया, यहां सालों से बैलों की मदद से पैदा की जा रही बिजली

राजधानी लखनऊ से करीब 14 किलोमीटर दूर बिजनौर कस्बे से सटा सरवन गाँव के रहने वाले जयसिंह छोटे स्तर के पशुपालकों से अच्छी कीमत पर दूध खरीदते हैं और उसे पैक करके बाजार में बेचने का कार्य करते हैं। इनकी डेयरी गांव में पूरे एक एकड़ में बनी हुई है। जयसिंह बताते हैं कि आस-पास के पशुपालकों से वे उनके दूध का फैट और एसएनएफ देखकर बाजार कीमत से ज्यादा में ही दूध खरीदते हैं ।

ये भी पढ़ें- खीरे, बादाम और सरसों पैदा होने में मधुमक्खियों का भी हाथ, जानिए ऐसी पांच बातें

एक हजार लीटर दूध की खपत

जयसिंह के फार्म में खुद के 150 पशु हैं, जिनमें से 50 गाय और 100 भैंसे शामिल हैं। इनसे प्रतिदिन 500 लीटर दूध का उत्पादन होता है। जबकि 500 लीटर वे दूसरे पशुपालकों से खरीदते हैं। इस दूध को पाश्चराइज करके फिर पैकिंग करके बेचा जाता है।" जयसिंह अपने डेयरी संचालन के बारे में बताते हैं कि 140 क्यूब घनमीटर का बॉयोगैस प्लांट उन्होंने डेयरी में लगाया है, जिससे सीएनजी (कम्प्रेस नेचुरल गैस) उत्पादित करते हैं। इस गैस के माध्यम से ही जेनरेटर चलाकर वो 24 घंटे बिजली पैदा करते हैं। इस बिजली के माध्यम से ही डेयरी में लगे उपकरण संचालित किए जाते हैं। साथ ही पास के नर्सिंग कॉलेज में भी बिजली देते हैं, जिससे इस कार्य में लगने वाला उनका खर्चा भी निकल आता है।" यही नहीं इस बिजली के द्वारा ही इन्होंने आटा चक्की भी स्थापीत कर रखी है, जिससे पूरे गांव का आटा पीसा जाता है।

ये भी पढ़ें- तकनीक का कमाल, बांझ गायें दे रहीं दूध

बायोगैस के लिए सब्सिडी का फायदा

कृषि विभाग की तरफ से बायोगैस प्लांट प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सब्सिडी दी जाती है। इसका लाभ भी जयसिंह उठाने में कामयाब रहे। वे बताते हैं कि एक प्लांट पर नौ हजार रुपए व एससी किसान को 11 हजार रुपए सब्सिडी दी जाती है। यानी सामान्य किसान को छह घन मीटर का यह प्रोजेक्ट मात्र 26 हजार रुपए व एससी किसान को 24 हजार रुपए का पड़ेगा।

जयसिंह बताते हैं, "हमारी डेयरी में लगभग 150 पशु हैं, जिनका गोबर पहले बर्बाद होता था। इस प्लांट को लगाने में करीब 22 लाख रुपए का खर्च आया।" लेकिन गाय और भैंस गोबर के सही इस्तेमाल से अब वे रोल मॉडल बने हुए हैं।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

आधुनिकता के दौर में डेयरी क्षेत्रों में भी बदलाव आने लगा है। संबंधित ख़बरें-


Tags:
  • लखनऊ
  • lucknow
  • Farming
  • खेती किसानी
  • milk production
  • दुग्ध उत्पादन
  • dairy products
  • dairy farming
  • organic dairy milk
  • दूध डेयरी
  • जय सिंह
  • नए रोजगार
  • Milk Dairy
  • jai singh
  • New jobs
  • Dairy employment