ढाई साल के इंतजार के बाद एसएससी सीजीएल-2017 का परिणाम घोषित, अभ्यर्थियों ने कहा- सिर से बहुत बड़ा बोझ उतरा

कैग में असिस्टेंट ऑडिट अधिकारी के रुप में चयनित बिहार के दीपक कुमार ने कहा, "यह पूरी प्रक्रिया एक परीक्षा से बढ़कर हो गई थी, जिसमें हमारा सब कुछ दांव पर लग गया था। इसलिए जब परिणाम आया तो परिवार के सभी लोग भावुक हो गए।"

Daya SagarDaya Sagar   18 Nov 2019 7:29 AM GMT

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ढाई साल के इंतजार के बाद एसएससी सीजीएल-2017 का परिणाम घोषित, अभ्यर्थियों ने कहा- सिर से बहुत बड़ा बोझ उतरा

दो साल छः महीने के लंबे इंतजार के बाद एसएससी सीजीएल-2017 का परिणाम आखिरकार घोषित हो गया। 15 नवंबर को देर रात आए इस परिणाम में कुल 8121 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया। परीक्षा परिणाम का इंतजार कर रहे अभ्यर्थियों ने गांव कनेक्शन से बातचीत में कहा कि आखिरकार उनके सिर से एक बहुत बड़ा बोझ उतर गया।

साल 2017 में आयोजित इस परीक्षा में कई तरह की बाधाएं आई थीं। मई, 2017 में घोषित हुई इस परीक्षा का प्राथमिक चरण (टियर-वन) अगस्त में हुआ था, जिसमें 15 लाख 26 हजार अभ्यर्थियों में से एक लाख, 89 हजार, 843 अभ्यर्थी सफल हुए थे। अगले साल फरवरी, 2018 में टियर टू की परीक्षाएं आयोजित जिसमें पेपर लीक की खबरें आईं। इससे बाद एक प्रश्न पत्र को रद्द कर उसे दोबारा आयोजित किया गया।

पेपर लीक के खबरों के बीच अभ्यर्थियों ने परीक्षा को रद्द कर फिर से शुचिता पूर्ण परीक्षा कराने की मांग की। इसके लिए हजारों अभ्यर्थियों ने एसएससी के खिलाफ नई दिल्ली सीजीओ कॉम्पलेक्स स्थित एसएससी मुख्यालय के सामने 18 दिनों तक धरना दिया। इसके बाद इस मामले की सीबीआई जांच हुई और मामला कोर्ट तक भी पहुंचा।

एसएससी मुख्यालय के सामने एसएससी अभ्यर्थियों का प्रदर्शन (मार्च, 2018 नई दिल्ली)


सामान्यतया 6 महीने के भीतर परिणाम आ जाने वाले इस परीक्षा के अभ्यर्थियों के लिए यह सब एक ट्रामा से बढ़कर था। नियंत्रक व महालेखापरीक्षक विभाग (कैग) में असिस्टेंट ऑडिट अधिकारी के रुप में चयनित बिहार के दीपक कुमार ने पूरी प्रक्रिया को याद करते हुए कहा, "यह एक उबाऊ और बोझिल प्रक्रिया थी। पूरी प्रक्रिया एक परीक्षा से बढ़कर हो गई थी, जिसमें हमारा सब कुछ दांव पर लग गया था। परिणाम के इंतजार करते-करते हम थक गए थे। इसलिए जब देर रात परिणाम आया तो मेरे सहित परिवार के सभी लोग भावुक हो गए। इसलिए जब परिणाम आया तो परिवार के सभी लोग भावुक हो गए।"

मरीन इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट दीपक कुमार नौकरी छोड़ 2015 से इस परीक्षा की तैयारी में लगे थे। उनकी परीक्षा भी अच्छी हुई थी। हालांकि जब अनचाहे कारणों से परीक्षा का परिणाम बार-बार देर हो रहा था तो वह निराश हो जा रहे थे। दीपक ने गांव कनेक्शन को फोन पर बताया कि उन्होंने फिर से मरीन इंजीनियरिंग में जाने का मन बना लिया था क्योंकि परिणाम नहीं आ रहे थे।

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इस परीक्षा के परिणाम के लिए दीपक ने कोर्ट से लेकर, मीडिया हाउसेज और नेताओं, मंत्रियों के घरों के चक्कर काटें। दीपक के साथ ही परीक्षा परिणाम के लिए आंदोलन कर रहे सीतापुर के अंकित श्रीवास्तव ने भी अपनी इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ परीक्षा की तैयारियों में लगे थे। अंकित की भी परीक्षा अच्छी हुई थी लेकिन परिणाम में देरी की वजह से उन्हें फिर से एक प्राइवेट नौकरी ज्वाइन करनी पड़ी थी।

गांव कनेक्शन को भेजे गए मैसेज में अंकित ने गांव कनेक्शन को धन्यवाद दिया और कहा कि यह कुछ मीडिया प्लेटफॉर्म में से एक था जिन्होंने हमारी मुद्दों को प्रमुखता और विस्तार से उठाया। अंकित ने कहा, "गांव कनेक्शन पहला ऐसा मीडिया प्लेटफॉर्म था जिसने एसएसएसी के मुद्दे का दूसरा पहलू दिखाया, जिसमें परीक्षा परिणाम का इंतजार कर रहे अभ्यर्थी अपने सामान्य जीवन में तमाम कठिनाईयों का सामना कर रहे थे। उनके ऊपर एक पारिवारिक, सामाजिक और नैतिक दबाव था, जिसे यह इंतजार और बढ़ा रहा था। गांव कनेक्शन ने इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया।"


अंकित श्रीवास्तव ने कहा कि अच्छा होता कि अगर एसएससी कंट्रोलर जनरल फॉर डिफेंस एकाउंट (सीजीडीए) के 3082 पदों को भी अंतिम परिणाम में शामिल करता ताकि 3082 अभ्यर्थियों और उनके परिवारों का भला होता। अंतिम परिणाम से चूक जाने वाले कुछ अभ्यर्थियों ने भी गांव कनेक्शन से बात की और कहा कि एसएससी ने मनमानी की और विभागों, मंत्रालयों के कहने के बावजूद भी इन 3082 पदों को शामिल नहीं किया। हालांकि इस पूरे मुहिम में साथ देने के लिए उन्होंने गांव कनेक्शन को धन्यवाद दिया। गांव कनेक्शन एसएससी सहित तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थियों के मुद्दे को लगातार उठाता रहा है।

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