नववर्ष 2019 में सेहतमंद रहने के लिए आजमाएं इन नुस्खों को

Deepak Acharya | Jan 01, 2019, 06:38 IST
उम्मीद है कि इन सामान्य से समझ पड़ने वाले नुस्खों को आप अपनी सेहत दुरुस्ती के लिए इस नए साल में भी अपनाएंगे ताकि आप बने रहें एकदम चुस्त और दुरुस्त
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नववर्ष 2019 के आगमन को लेकर हम सब बेहद उत्साहित रहे। ज्यादातर लोग नए साल में स्वस्थ बने रहने का प्रण लेंगे और कई लोग अपनी दिनचर्या को बेहतर करने का मन बनाएंगे। हो सकता है इस लेख को पढ़ने से इन लोगों को मेरे तरफ से थोड़ी मदद मिल जाएगी।

पिछले कई सालों से आप सब से 'हर्बल आचार्य' के माध्यम से जुड़ा होना मेरे लिए बहुत खास है, वजह खास है... 'हर्बल आचार्य' पढ़ने के बाद आप सब पाठकों की सकारात्मक प्रतिक्रियाएं। इस कॉलम के जरिये मैं आपके स्वास्थ्य संबंधित सवालों के जवाब 'सवाल सेहत का' के साथ देता भी रहा हूँ और मेरी बतायी जानकारियों को अमल लाकर जिन्हें फायदा मिला, उन्होंने मुझे खूब आशीर्वाद भी दिया है।

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नये साल में आपके सेहतमंद बने रहने की शुभकामनाओं के साथ मैं उन खास चुनिंदा नुस्खों को लेकर आ रहा हूँ, जिनके असर को हमारे अखबार के पाठकों और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर हजारों लोगों ने खूब सराहा। उम्मीद है कि इन सामान्य से समझ पड़ने वाले नुस्खों को आप अपनी सेहत दुरुस्ती के लिए इस नए साल में भी अपनाएंगे ताकि आप बने रहें एकदम चुस्त और दुरुस्त। चलिए अपनी पोटली से उन चंद नुस्खों को निकालता हूँ जिन्हें सदियों से पारंपरिक तौर पर वनवासी अपनाए हुए हैं, जो बेहद कारगर हैं और जिनके दम को आधुनिक विज्ञान ने भी माना है।

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सर्दी-खांसी और सायनुसायटिस से परेशान हैं?

रोज एक गिलास ताज़ा अन्नानस (पाइनेप्पल) का जूस जरूर पी लें, वो भी सिर्फ 2 से 3 दिन तक, किसी भी वक्त... आपको आराम मिल जाएगा। दरअसल अन्नानस में पाया जाने वाला रसायन 'ब्रोमेलेन' अलग-अलग प्रकार के एंजाइम्स का मिश्रण है, ये रसायन सर्दी-खांसी में बनने वाले म्युकस की अच्छी खासी खबर ले लेता है और ये क्लिनिकल स्टडीज़ में प्रमाणित भी हुआ है, और तो और ये सायनुसायटिस में भी कमाल का असर करता है।

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काली मिर्च से वजन और हाइपो-थायरॉयड दोनों संभालें

पिपेराईन, एक खास रसायन है जो काली मिर्च में खूब पाया जाता है। कमाल का फ़ैट बर्नर है ये यानी वसा के विघटन के लिए खासम-खास। अक्सर महिलाओं में थायरॉक्सिन लेवल कम होने से तेजी से वजन बढ़ता है। पेपेराईन इस समस्या से छुटकारा दिला सकता है। जिन्हें हाईपोथायरॉइड की समस्या है, सिर्फ 7 काली मिर्च कुचलकर 15 दिनों तक रोज सुबह एक बार, एक साथ खा लें, 15 दिन के भीतर ही असर दिखायी देने लगेगा।

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नींद अच्छी लाना हो और तनाव दूर भगाना हो तो चीकू जरूर खाएं

चीकू सिर्फ स्वाद में खास नहीं है, इसके गुण भी कमाल के होते हैं। इसके औषधीय गुणों में से एक है इसका उपशामक यानी Sedative होना। सामान्यत: जिन्हें तनाव, अनिद्रा या चिड़चिड़ेपन की शिकायत होती है उन्हें डॉक्टर्स Sedative औषधियाँ देते हैं। रसायनिक और संश्लेषित दवाओं के बुरे असर को पूरी दुनिया जानती है, पर मजबूरी में समस्याओं के त्वरित निवारण के लिए इन्ही घातक दवाओं की शरण में जाना पड़ता है।

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अब बताता हूँ एक प्राकृतिक Sedative के बारे में, चीकू को पारंपरिक जानकार तनाव और मानसिक अशांति से ग्रस्त रोगियों को खिलाने की सलाह देते हैं। जिन्हें नींद ना आने की शिकायत हो, उन्हें प्रति दिन सोने से पहले से कम से कम 1 या 2 चीकू जरूर खाना चाहिए, धीरे-धीरे इस समस्या की विदाई हो जाएगी। अनेक मानसिक समस्याओं जैसे मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर, यूनिपोलर डिसऑर्डर आदि के लिए भी चीकू का सेवन खास है। नींद अच्छी लाना हो और तनाव दूर भगाना हो तो सोने से पहले चीकू जरूर खाना शुरू करिये।

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य़ाददाश्त बढ़ानी है, दावे से बढ़ेगी, इसे आजमाओ

कोकोनट मिल्क का नाम सुना है आपने? नारियल की मलाई... कच्चे पानी वाले नारियल के अन्दर सफेद नर्म मलाई होती है, कई लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं, मैं तो इसे खाने से कभी चूकता भी नहीं। इस मलाई में 25% वसा होती है इस वसा का लगभग 65% हिस्सा एमसीटी (Medium Chain Triglycerides) होता है यानि ये वो वसा नहीं जिसकी दहशत में आधे लोग कई खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करते हैं।

एमसीटी हमारी शरीर की पूरी सेहत और खास तौर से मस्तिष्क के लिए बेजा खास होते हैं। मेरे बचपन की गर्मियों की छुट्टियों का बड़ा हिस्सा आंध्र प्रदेश के ईस्ट गोदावरी जिले के समुद्र तटीय इलाकों में बीता है, बुजुर्ग नाना जी अक्सर मुझे ताजे नारियल की मलाई खिलाया करते थे, ये कहा करते थे कि इसको खाओ, नींद अच्छी आएगी और याददाश्त भी बढ़ेगी।



सन 2004 में 'न्यूरोबॉयोलोजी ऑफ एजिंग' जर्नल की एक शोध रिपोर्ट पढ़ रहा था तो मेरे सामने मेरे नानाजी की बातें बार-बार चल कर आ रहीं थी। इस बहुप्रचलित विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित इस क्लिनिकल शोध रिपोर्ट में बताया गया करीब 20 बुजुर्गों को एमसीटी (40 मिली) की सिर्फ एक डोज़ दी गयी और पाया गया कि इन तमाम बुजुर्गों के मानसिक क्रियाकलापों और याददाश्त में कमाल का तेजी आयी।

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ये डो़ज़ कोई महीनों, दिनों या घंटों तक नहीं दिया गया, ये डो़ज़ सिर्फ एक बार का था। एमसीटी का इतना प्रभाव और वो भी इतनी त्वरित गति से, क्या आपको कुछ सोचने पर बाध्य नहीं कर रहा? मैं तो मानता हूँ कि अल्जीमियर्स के रोगियों को भी रोज नारियल पानी, नारियल की गिरी और खासतौर से नारियल की मलाई रोज खिलाने का प्रयास करें, फायदा हो कर रहेगा।

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घर बैठे बनाएं दर्दनिवारक तेल

काली उड़द (करीब 10 ग्राम) के साथ बारीक पीसा हुआ अदरक (4 ग्राम) मिलाकर किसी भी खाने के तेल (50 मिली) में 5 मिनट तक कम आंच पर गर्म किया जाए और बाद में इसे छान लिया जाए। छने हुए तेल में कर्पूर पाउडर (2 ग्राम) मिलाकर दर्द वाले हिस्सों या जोड़ों की मालिश की जाए तो दर्द में तेजी से आराम मिलता है, ऐसा दिन में 2 से 3 बार किया जाना चाहिए। यह तेल आर्थरायटिस जैसे दर्दकारक रोगों में भी गजब काम करता है।

सीताफल की पत्तियों से घावों का उपचार

इंटरनेशनल वूंड जर्नल (2012) में प्रकाशित एक क्लीनिकल रिसर्च रिपोर्ट के परिणामों के अनुसार सीताफल की पत्तियों को घावों के उपचार के लिए उत्तम माना गया है। मजे की बात ये भी है कि पातालकोट मध्य प्रदेश के जड़ी-बूटी जानकार (भुमका) के अनुसार कुछ पत्तियों को घाव पर रगड़ दिया जाए या पत्तियों का रस घाव पर लेपित किया जाए तो घाव अति शीघ्र सूखने लगता है और इस पर किसी तरह का संक्रमण भी नहीं होता है।

पातालकोट के कुछ निवासी इसी फ़ार्मूले का उपयोग अपने चौपायों के घाव को ठीक करने के लिए भी करते हैं, उनके अनुसार ऐसा करने से घाव पर मक्खियाँ और अन्य कीड़े नहीं आते है और घाव भी जल्दी भर जाता है।




दस्त और डायरिया का अचूक पारंपरिक नुस्खा

कच्चा हरा केला (छिलका बगैर) और नींबू का छिलका, इन दोनों का मिश्रण दस्त रोकने का गज़ब फॉर्मूला है। नींबू का छिलका और बारीक कटा कच्चे केले का गूदा छाँव में सुखा लिया जाए, जब ये दोनों अच्छी तरह से सूख जाएं तो इन्हें मिक्सर में ग्राइंड करलें, चूर्ण तैयार हो जाएगा। ये चूर्ण है दस्त और डायरिया का अचूक फार्मूला।

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बस 1 चम्मच चूर्ण की फांकी हर 2 घंटे के अंतराल से मारनी होगी, देखते ही देखते सब ठीक हो जाएगा। केले मे स्टार्च और नींबू के छिलकों में पेक्टिन, इससे जोरदार कॉम्बिनेशन और क्या होगा? गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजी जर्नल में सितंबर 2001 प्रकाशित क्लिनिकल स्टडीज़ के परिणाम भी इस पारंपरिक नुस्खे की पैरवी करते हैं।

ब्रोमेलेन के बारे में सुना है कभी? अन्नानस के काटने के बाद बीचों-बीच का कठोर हिस्सा जिसे अक्सर फेंक दिया जाता है वहाँ ये एंजाइम पाया जाता है और यकीन मानिये इसे हमारे शरीर से ट्यूमर को दूर करने वाले 5-फ्लूरोरेसिल (एक बेहद विषैला कीमोथेरापी एजेंट) से भी जबरदस्त माना गया है, यानि यह एंजाइम कैंसररोधी है। प्लांटा मेडिका (एक साइंटिफिक जर्नल) में सन 2007 प्रकाशित एक गहन शोध अध्ययन की रपट और इसके अलावा पचासों शोध परिणामों ने भी इस बात की पुष्टि की है।

ना सिर्फ कैंसर बल्कि कोलायटिस, कोलोन कैंसर, लीवर डैमेज, ओस्टिओआर्थरायटिस, रह्युमेटॉइड आर्थरायटिस जैसी तकलीफदेह समस्याओं के लिए भी इसे अत्यंत कारगर माना गया है... अब बात ठीक ना लगे तो फेंकते रहो अन्नानस के इस हिस्से को वर्ना अपनाना शुरू करो। फिर क्या? रोज सुबह खाली पेट 20 ग्राम अन्नानस के इस कठोर हिस्से को चबाइये और इन समस्याओं को धीरे-धीरे अलविदा करिये।

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नीम एक जबरदस्त हैंडवाश है

नीम के एंटीबैक्टिरियल गुणों की जानकारी सदियों से हम भारतीयों को है, लेकिन कहीं ना कहीं हमारे नकारात्मक रवैये की वजह से हमने सिंथेटिक और रसायनयुक्त एंटीबैक्टिरियल उत्पादों को बाजार में आने का न्योता दे दिया है। नीम जबरदस्त एंटीमाईक्रोबियल गुण लिये होता है।

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इसी रस की 10 मिली मात्रा (करीब 2 चम्मच) को जोर-जोर से कुछ देर के लिए हथेली पर रगड़ लिया जाए और साफ़ पानी से हथेली धो लिया जाए, हथेली से सूक्ष्मजीवों का नाश हो जाता है यानि नीम एक हैंडवाश की तरह काम करता है और मजे की बात ये भी है कि इसके परिणाम बाजार में बिकने वाले किसी भी हैंडवाश से ज्यादा बेहतर हैं।

सहजन की पत्तियों से पेट के कृमियों का समाधान

मुनगा या सहजन या ड्रम स्टिक्स की करीब 50 ग्राम पत्तियों को लेकर चटनी बनाए जाए तो यह पेट के कृमियों को बाहर निकाल फेंकने में काफी कारगर होती है। चटनी बनाने के लिए पत्तियों को बारीक कुचल लिया जाए, इसमें स्वादानुसार नमक और मिर्च पाउडर भी मिला लिया जाए और इस पूरे मिश्रण को तवे या कढाही पर आधा चम्मच तेल डालकर कुछ देर भून लिया जाए। सप्ताह में एक या दो बार इस चटनी का सेवन बेहद गुणकारी होता है।

मुहांसों के लिए पके केले के छिलके

पके हुए केले के छिलके के अंदरूनी हिस्से को मुहांसों पर दिन मे कम से कम एक बार रगड़िये और चेहरे को 45 मिनट बाद धो लें। जल्द ही सकारात्मक परिणाम दिखेंगे।

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