बीमार होने से पहले दिल देता है आवाज़, समय रहते सुन लिया तो बच सकते हैं गंभीर बीमारियों से

Anusha MishraAnusha Mishra   29 Sep 2018 6:45 AM GMT

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बीमार होने से पहले दिल  देता है आवाज़, समय रहते सुन लिया तो बच सकते हैं गंभीर बीमारियों सेखुद को सेहतमंद रखने के लिए अपने दिल की हर आवाज़ को गौर से सुनें...

लखनऊ। कहते हैं कि परेशानियां जब भी आती हैं तो अपने आने से पहले आपको संभलने का इशारा ज़रूर करती हैं। अगर आपने इन इशारों को समझ लिया तो आप इन परेशानियों को दूर करने का कोई न कोई रास्ता तो ढूंढ ही लेते हैं। इसी तरह कई बीमारियां भी आने से पहले आपको इशारा देती हैं। तभी तो कहते हैं बीमारी चाहे कितनी भी छोटी क्यों न हो उसे कभी हल्के में न लें, वरना ऐसा न हो कि छोटी सी बीमारी भी आपके लिए घातक सिद्ध हो जाए। ऐसी ही एक बीमारी है हार्ट मर्मर, दिल की ये बीमारी आपको आवाज़ देती है कि अगर आप समय रहते सचेत नहीं हुए तो परिस्थितियां बिगड़ सकती हैं। इसलिए अपनी मसरूफियत से वक्त निकालें और खुद को सेहतमंद रखने के लिए अपने दिल की हर आवाज़ को गौर से सुनें...

क्या है हार्ट मर्मर

आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीष बंसल बताते हैं कि हार्ट मर्मर दिल से आने वाली एक असामान्य आवाज़ होती है। ये हृदय के अंदर डिस्टर्ब ब्लड सर्कुलेशन के कारण आती है। मर्मर एक सामान्य अवाज़ भी हो सकती है या फिर ये किसी बड़ी बीमारी का संकेत भी सकती है, इसलिए इसे अनदेखा न करें।

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ज़्यादातर मामलों में रक्त प्रवाह के समय हल्की आवाज़ आना सामान्य होता है, इसे बेनांइग फ्लो मर्मर कहते हैं। यह दिल में तेज़ रक्त संचरण के कारण होता है। यह किसी भी ऐसे व्यक्ति को हो सकता है जिसने एक्सरसाइज की हो, सीढ़ियां चढ़ा - उतरा हो, तेज़ बुखार हो या वो गुस्से में हो। लगभग 10 फीसदी व्यस्कों और 30 फीसदी बच्चों को मर्मर से कोई नुकसान नहीं होता। इस तरह के मर्मर को इनोसेंट मर्मर भी कहते हैं। हार्ट मर्मर की आवाज़ वॉल्व या हार्ट चैम्बर्स की असामान्यता का संकेत भी हो सकती है, या दिल के दो हिस्सों के बीच असामान्य कनेक्शन के कारण भी सकती है।

ये हैं कारण

हृदय के वॉल्व की असामान्यता

हृदय में चार वॉल्व होते हैं - एओर्टिक, मिट्रल, ट्राईकस्पिड और पल्मोनरी वॉल्व। इनमें से किसी भी वॉल्व के मुंह संकरे हों (स्टेनोसिस) तो बाहर की ओर रक्त संचार में दिक्कत आती है या वॉल्व लीक (रिगजिटेशन या अपर्याप्तता) हो तो खून का प्रवाह पीछे की ओर होता है।

मिट्रल वॉल्व प्रोलैप्स

इस स्थिति में मिट्रल वॉल्व को बंद करने वाली लीफ्स ठीक से बंद नहीं हो पातीं जिससे रक्त हृदय के बाएं प्रकोष्ठ (लेफ्ट वेंट्रिकल) से ऊपर के बाएं आट्रियम में लीक हो सकता है या इसका वेंट्रिकल से आट्रियम की ओर यानि पीछे से आगे की ओर प्रवाह हो सकता है।

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जन्मजात हृदय रोग

इसका मतलब है, दिल की वे समस्याएं जो जन्म से ही हों। इसमें शामिल हैं -

सेप्टल डिफेक्ट्स

इन्हें दिल में छेद के नाम से भी जाना जाता है। यह हृदय के सेप्टम (दाएं और बांए हिस्से के बीच की दीवार) में एक प्रकार का असामान्य छेद होता है। हर साल लगभग 25,000 बच्चे ऐसे पैदा होते हैं जिन्हें जन्मजात हृदय की समस्याएं होती हैं । इन समस्याओं में हृदय की दीवारों या वाल्वों में छेद शामिल हैं सर्जरी से इनमें से कई समस्याओं को ठीक किया जा सकता है।

पैटेंट डक्टस आर्टेरिओसस

जन्म से पहले पल्मोनरी आर्टरी और एओर्टा (जिसे डक्टस आर्टेरिओसस कहते हैं) से होकर खून भ्रूण के फेफड़े में आ जाता है, क्योंकि भ्रूण सांस नहीं लेता है। बच्चे के जन्म के बाद उसके फेफड़े काम करने लगते हैं और डक्टस आर्टेरिओसस सामान्यत: बंद हो जाते हैं। पैटेंट डक्टस आर्टेरिओसस तब होता है से होकर रक्त का प्रवाह जारी रहता है।

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एंडोकार्डिटिस

एंडोकार्डिटिस हृदय के वॉल्व और एंडोकार्डियम (हृदय के कोष्ठकों का भीतरी आवारण) का इन्फेक्शन है। दिल के वॉल्व के इनफेक्शन के कारण खून पीछे की ओर लौट सकता है या इनफेक्टेड वॉल्व रक्त के प्रवाह में आंशिक तौर पर अवरोध डालता है, जिन कारणों से हार्ट मर्मर सुनाई देता है।

कार्डियक मिक्सोमा

कार्डियक मिक्सोमा का मामला बहुत कम देखने में आता है, यह एक बेनाइंग (नॉनकैंसरस) ट्यूमर है, जो हृदय के भीतर बढ़ता है और रक्त प्रवाह में आंशिक रूप से अवरोध डालता है।

एसिमेट्रिक सेप्टल हायपरट्रोफी

यह हृदय के निचले वेंट्रिकल के भीतर मांसपेशियों का असामान्य तौर पर मोटा होना है। मोटी मांसपेशियां एओर्टिक वॉल्व के ठीक नीचे रक्त प्रवाह के रास्ते को संकरा बना सकती हैं। इस स्थिति को आइडियोपैथिक हायरटॉफिक सबएओर्टिक स्टेनोसिस कहते हैं, जो उन लोगों में देखा जाता है जिन्हें हायपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी है।

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हार्ट मर्मर के लक्षण

इनोसेंट मर्मर के कोई लक्षण नहीं होते। दूसरे प्रकार के मर्मर के लक्षण इसके कारणों पर निर्भर करते हैं। सामान्य रूप से, जब मर्मर से हृदय के रक्त को पंप करने की क्षमता महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित होती है, तो आप निम्नलिखित में से एक या अधिक लक्षण महसूस कर सकते हैं -

  • सांस लेने में तकलीफ
  • सिर में हल्कापन
  • तेज़ धड़कनों के दौरे
  • छाती में दर्द
  • शारीरिक श्रम कर पाने में असमर्थता
  • बाद में, हार्ट फेल होने के लक्षण

हार्ट मर्मर से बचाव

हृदय की जन्मजात समस्याएं जिनके कारण हार्ट मर्मर हो सकता है, से बचना संभव नहीं है।

अगर आपको एंडोकार्डिटिस का ख़तरा अधिक है, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर किसी मेडिकल ट्रीटमेंट के दौरान सुरक्षाके लिए आपको एंटीबायोटिक दे सकता है जिससे आपके शरीर में बैक्टीरिया न जाए। नशे की दवाओं से दूर रहकर आप एंडोकार्डिटिस से काफी हद तक बच सकते हैं। दांतों के संक्रमण के कारण जिन लोगों का हार्ट वॉल्व पहले से ख़राब है। इसके अलावा रयूमेटिक फीवर से बचकर आप दिल के वॉल्व की कई समस्याओं से बच सकते हैं। जिन लोगों को एक बार रयूमेटिक फीवर आ चुका है उन लोगों को दोबारा ये न हो इसके लिए 10 साल तक लगातार एंटीबायोटिक दवाएं लेनी पड़ती हैं।

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हार्ट मर्मर का इलाज़

डॉ. मनीष बंसल बताते हैं कि कई प्रकार के मर्मर की पहचान अप्रत्याशित रूप से अचानक तब होती है, जब डॉक्टर किसी अन्य परीक्षण के दौरान स्टेथोस्कोप लगाकर दिल की धड़कन सुनता है। दूसरे मामलों में जब किसी में दिल की बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर इससे जुड़े प्रश्न पूछ सकते हैं। वह आपसे ये पूछ सकता है कि आपको या परिवार में किसी को रयूमेटिक फीवर हुआ था? क्योंकि बचपन में रयूमेटिक फीवर होने पर बाद में हृदय के वॉल्व में असामान्यता आ सकती है।

चूंकि एंडोकार्डिटिस उन लोगों को होने की संभावना अधिक रहती है जो इंट्रावेनस ड्रग का इस्तेमाल करते हैं या जिनकी कोई सर्जरी हुई हो, आपके डॉक्टर इन रिस्क फैक्टर से संबंधित प्रश्न पूछ सकते हैं। अगर रोगी शिशु हैतो डॉक्टर पूछ सकते हैं कि क्या परिवार परिवार में जन्मजात हृदयरोगों का कोई इतिहास है? चूंकि हृदय की कोई खास समस्या विशेष प्रकार के मर्मर का कारण बनती है। इस बारे में यह भी मायने रखता है कि दिल पंप करते समय मर्मर करता है या आराम करते समय।

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डॉ. मनीष बंसल कहते हैं कि ऐसे मामलों में व्यक्ति को लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। अगर किसी को लग रहा है कि उसके दिल से असामान्य आवाज़ आ रही है तो जितना जल्दी हो सके चिकित्सक से संपर्क कर लें और उचित परामर्श लेकर इलाज़ कराएं।

      

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