यहां नेपाली नागरिक तय करेंगे भारतीयों का चेयरमैन

Deena NathDeena Nath   25 Nov 2017 10:22 AM GMT

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यहां नेपाली नागरिक तय करेंगे भारतीयों का चेयरमैनप्रतीकात्मक तस्वीर 

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

बढ़नी (सिद्धार्थनगर)। नेपाल सीमा से सटे भारतीय कस्बे बढ़नी में नेपाली नागरिक यहां का चेयरमैन चुनते हैं। भारत की मतदाता सूची में फर्जी तरीके से नाम डलवाने के अलावा ये नेपाली नागरिक भारतीय योजनाओं का लाभ भी उठाते हैं।

नेपाल सीमा से सटे सिद्धार्थनगर का बढ़नी कस्बा सुरक्षा की दृष्टि से अति संवेदनशील रहा है। दो दशक में इस सीमा पर आईएसआई एजेन्ट समेत लश्कर-ए-तैयबा के खूंखार आतंकी भी गिरफ्तार हो चुके हैं। लेकिन नेताओं व अधिकारियों ने इससे कोई सबक नहीं लिया। हालत यह है कि नेपाल के सैकड़ों लोग बढ़नी कस्बे की मतदाता सूची में नाम दर्ज करवा चुके हैं। गाँव कनेक्शन को नेपाल के कृष्णानगर नगरपालिका की मतदाता सूची में ऐसे तमाम नाम मिले जो भारत के बढ़नी नगरपंचायत की मतदाता सूची में दर्ज हैं।

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बढ़नी बाजार के व्यवसायी सागर लाल गुप्ता (38 वर्ष) कहते हैं, ‘‘बढ़नी नगर पंचायत के प्रत्याशी वोट के लालच में नेपाल के लोगों का नाम यहां दर्ज करवा देते हैं। बढ़नी नगर पंचायत के कुल 11 वार्डों में करीब एक हजार नेपाली नागरिकों का नाम दर्ज है।’’

वो आगे बताते हैं, ‘‘नेपाली नागरिकों ने फर्जी निर्वाचन कार्ड व आधार कार्ड के जरिए न सिर्फ भारतीय मतदाता सूची में नाम दर्ज करवाया है, बल्कि राशन कार्ड भी बनवा लिया है।”

उदाहरण के लिए नेपाल के कपिलवस्तु जिला की नगरपालिका कृष्णनगर के वार्ड नम्बर दो की मतदाता सूची में गोविंद प्रसाद जैसवाल का नाम दर्ज है। इनका नाम भारत की बढ़नी नगर पंचायत के वार्ड नम्बर-10 में भी दर्ज है। दोनों तरफ की मतदाता सूचियों का मिलान करने पर राजकुमार, अशोक कुमार, गौरीशंकर, घनश्याम प्रसाद सहित दर्जनों नाम आसानी से मिल जाते हैं।

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हैं भारत के वोटर, लड़ रहे नेपाल में चुनाव

वर्तमान में नेपाल में चुनाव हो रहे हैं। इसमें ऐसे प्रत्याशी भी हैं, जिनका भारतीय मतदाता सूची में दर्ज है। इस बारे में बढ़नी नगर पंचायत के अध्यक्ष रामनरेश उपाध्याय मामले को स्वीकार करते हुए कहते हैं, ‘‘पचास वर्षों से ऐसा चल रहा है। दोनों देशों में लोगों की सम्पत्तियां हैं। वोटर कार्ड बना होने के कारण उन्हें वोट देने से रोका भी नहीं जा सकता।” शोहरतगढ़ के उपजिलाधिकारी सत्यप्रकाश सिंह बताते हैं, “शिकायत मिली थी, जिसके बाद जांच में कई लोगों का नाम काटा गया है। ये प्रक्रिया लगातार चलती है।”

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