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जंगल जैसा खेत: 1000 पेड़-पौधों के साथ खेती का नया मॉडल
जंगल जैसा खेत: 1000 पेड़-पौधों के साथ खेती का नया मॉडल

By Gaon Connection

मेहसाणा के लुनासन गाँव में एक किसान ने खेती को जंगल में बदल दिया और जंगल की तरह खेती को। अमोल खडसरे ने पर्माकल्चर मॉडल अपनाते हुए 1000 से अधिक पेड़-पौधों, औषधियों, सब्जियों और जंगली घासों को एक साथ उगाया, बिना केमिकल, बिना तनाव और बिना अत्यधिक पानी के। आज उनका खेत सिर्फ कृषि उत्पादन नहीं, बल्कि एक जीवित इकोसिस्टम है

मेहसाणा के लुनासन गाँव में एक किसान ने खेती को जंगल में बदल दिया और जंगल की तरह खेती को। अमोल खडसरे ने पर्माकल्चर मॉडल अपनाते हुए 1000 से अधिक पेड़-पौधों, औषधियों, सब्जियों और जंगली घासों को एक साथ उगाया, बिना केमिकल, बिना तनाव और बिना अत्यधिक पानी के। आज उनका खेत सिर्फ कृषि उत्पादन नहीं, बल्कि एक जीवित इकोसिस्टम है

महिलाओं की परेशानी से शुरू हुई जंगल उगाने की यात्रा
महिलाओं की परेशानी से शुरू हुई जंगल उगाने की यात्रा

By Gaon Connection

जब नृत्य बन जाता है साधना: भील समुदाय का आदिवासी होली
जब नृत्य बन जाता है साधना: भील समुदाय का आदिवासी होली

By Divendra Singh

होली से पहले उपवास, पहाड़ से लाए गए पत्थरों के रंग और ढोलक-नगाड़ों की थाप, महाराष्ट्र के भील आदिवासियों का होली नृत्य सिर्फ़ उत्सव नहीं, एक जीवित परंपरा है। नंदूरबार के कलाकार गौतम खर्डे और उनकी मंडली इस लोककला को गाँव से राष्ट्रीय मंच तक पहुँचा रहे हैं।

होली से पहले उपवास, पहाड़ से लाए गए पत्थरों के रंग और ढोलक-नगाड़ों की थाप, महाराष्ट्र के भील आदिवासियों का होली नृत्य सिर्फ़ उत्सव नहीं, एक जीवित परंपरा है। नंदूरबार के कलाकार गौतम खर्डे और उनकी मंडली इस लोककला को गाँव से राष्ट्रीय मंच तक पहुँचा रहे हैं।

जंगली सूअरों के कहर से टूटा सब्र: कोयंबटूर के किसान खुद बचाएँगे अपनी फ़सल
जंगली सूअरों के कहर से टूटा सब्र: कोयंबटूर के किसान खुद बचाएँगे अपनी फ़सल

By Gaon Connection

लगातार जंगली सूअरों के हमलों से फसल बर्बाद होने और सरकारी कार्रवाई न के बराबर होने से कोयंबटूर के किसान मजबूर हो चुके हैं। अब उन्होंने अपने खेत बचाने के लिए 15 किसानों की विशेष टीम बनाकर खुद ही हालात संभालने का फैसला लिया है।

लगातार जंगली सूअरों के हमलों से फसल बर्बाद होने और सरकारी कार्रवाई न के बराबर होने से कोयंबटूर के किसान मजबूर हो चुके हैं। अब उन्होंने अपने खेत बचाने के लिए 15 किसानों की विशेष टीम बनाकर खुद ही हालात संभालने का फैसला लिया है।

जंगल ही खेत, प्रकृति ही गुरु: गोवा के एक किसान का खेती का अनोखा मॉडल
जंगल ही खेत, प्रकृति ही गुरु: गोवा के एक किसान का खेती का अनोखा मॉडल

By Gaon Connection

गोवा की पहाड़ियों में एक किसान पिछले 38 सालों से नंगे पाँव प्राकृतिक खेती कर रहा है- बिना जुताई, बिना केमिकल, बिना पेड़ काटे। संजय पाटिल ने 10 एकड़ जंगल को खेती में बदल दिया और साबित किया कि प्रकृति को न छेड़ें, तो वह दोगुना लौटाती है।

गोवा की पहाड़ियों में एक किसान पिछले 38 सालों से नंगे पाँव प्राकृतिक खेती कर रहा है- बिना जुताई, बिना केमिकल, बिना पेड़ काटे। संजय पाटिल ने 10 एकड़ जंगल को खेती में बदल दिया और साबित किया कि प्रकृति को न छेड़ें, तो वह दोगुना लौटाती है।

कुड़ुख भाषा को गीतों में बुनकर बचा रहीं दो आदिवासी बहनें
कुड़ुख भाषा को गीतों में बुनकर बचा रहीं दो आदिवासी बहनें

By Divendra Singh

दो आदिवासी बहनें जब मंच पर गाती हैं, तो उनकी आवाज़ सिर्फ संगीत नहीं, संस्कृति की पुकार बन जाती है। उनके गीत पूरे आदिवासी समाज से पूछते हैं कि क्या हम अपनी जड़ों, अपनी पहचान और अपनी कुड़ुख भाषा से दूर जाते जा रहे हैं?

दो आदिवासी बहनें जब मंच पर गाती हैं, तो उनकी आवाज़ सिर्फ संगीत नहीं, संस्कृति की पुकार बन जाती है। उनके गीत पूरे आदिवासी समाज से पूछते हैं कि क्या हम अपनी जड़ों, अपनी पहचान और अपनी कुड़ुख भाषा से दूर जाते जा रहे हैं?

एक जनजातीय वैद्य की विरासत: सरोजिनी कैसे बचा रहीं दुर्लभ औषधीय पौधे
एक जनजातीय वैद्य की विरासत: सरोजिनी कैसे बचा रहीं दुर्लभ औषधीय पौधे

By Divendra Singh

छत्तीसगढ़ की जनजातीय वैद्य सरोजिनी पनिका पारंपरिक औषधीय ज्ञान को न सिर्फ़ जिंदा रख रही हैं, बल्कि उसे आधुनिक वैज्ञानिक समझ से जोड़कर ग्रामीण महिलाओं के लिए आजीविका के नए रास्ते खोल रही हैं। लुप्तप्राय औषधीय पौधों की खेती से लेकर 200 महिलाओं के हर्बल यूनिट तक, उनकी कहानी परंपरा, जंगल और आत्मनिर्भरता की अनोखी मिसाल है।

छत्तीसगढ़ की जनजातीय वैद्य सरोजिनी पनिका पारंपरिक औषधीय ज्ञान को न सिर्फ़ जिंदा रख रही हैं, बल्कि उसे आधुनिक वैज्ञानिक समझ से जोड़कर ग्रामीण महिलाओं के लिए आजीविका के नए रास्ते खोल रही हैं। लुप्तप्राय औषधीय पौधों की खेती से लेकर 200 महिलाओं के हर्बल यूनिट तक, उनकी कहानी परंपरा, जंगल और आत्मनिर्भरता की अनोखी मिसाल है।

जंगलों की खुशबू, नदियों की लय और पहाड़ों की साँस: ‘रिदम ऑफ़ द अर्थ’ का सफ़र
जंगलों की खुशबू, नदियों की लय और पहाड़ों की साँस: ‘रिदम ऑफ़ द अर्थ’ का सफ़र

By Divendra Singh

बारह जनजातियाँ, चवालीस कलाकार, एक सपना-आदिवासी संगीत को उसके सही सम्मान तक पहुँचाना। ‘रिदम ऑफ़ द अर्थ’ एक आंदोलन है, एक यात्रा है, एक बयान है।

बारह जनजातियाँ, चवालीस कलाकार, एक सपना-आदिवासी संगीत को उसके सही सम्मान तक पहुँचाना। ‘रिदम ऑफ़ द अर्थ’ एक आंदोलन है, एक यात्रा है, एक बयान है।

संवाद 2025: जब समुदाय, संस्कृति और धरती की धड़कनें एक सुर में मिलीं
संवाद 2025: जब समुदाय, संस्कृति और धरती की धड़कनें एक सुर में मिलीं

By Divendra Singh

संवाद केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक एहसास है, जहाँ कोई मंच पर बोलता है, तो वह सिर्फ अपने समुदाय की बात नहीं करता, वह अपने पुरखों की धड़कनें, जंगलों की खुशबू और अपनी मिट्टी की स्मृतियाँ साथ लेकर आता है।

संवाद केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक एहसास है, जहाँ कोई मंच पर बोलता है, तो वह सिर्फ अपने समुदाय की बात नहीं करता, वह अपने पुरखों की धड़कनें, जंगलों की खुशबू और अपनी मिट्टी की स्मृतियाँ साथ लेकर आता है।

अमेज़न फिर से सांस ले रहा है, लेकिन जलवायु की जंग अभी भी है अधूरी
अमेज़न फिर से सांस ले रहा है, लेकिन जलवायु की जंग अभी भी है अधूरी

By Gaon Connection

ब्राज़ील ने 2024 में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 17% की ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की, जो 2009 के बाद सबसे बड़ी कमी है। यह सफलता मुख्यतः अमेज़न और सेराडो क्षेत्रों में वनों की कटाई घटने से मिली। लेकिन सूखे और जंगल की आग ने नए खतरे भी पैदा किए हैं - जो बताते हैं कि जलवायु की जंग अभी जारी है।

ब्राज़ील ने 2024 में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 17% की ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की, जो 2009 के बाद सबसे बड़ी कमी है। यह सफलता मुख्यतः अमेज़न और सेराडो क्षेत्रों में वनों की कटाई घटने से मिली। लेकिन सूखे और जंगल की आग ने नए खतरे भी पैदा किए हैं - जो बताते हैं कि जलवायु की जंग अभी जारी है।

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