बाढ़ में कॉफी किसानों के 675 करोड़ रुपए डूबे, अब महंगा पड़ेगा कॉफी का शौक !

Update: 2018-08-27 06:42 GMT

बेंगलुरू। मूसलाधार बारिश और बाढ़ से कर्नाटक के कोडागू जिले सहित केरल में कहवा (कॉफी) बगानों में कॉफी तबाही मची है और देश के सबसे बड़े कॉफी उत्पादक क्षेत्रों में फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। उत्पादन घटने की आशंका भी जतायी जा रही है जिससे कॉफी की कीमतों में काफी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।

कॉफी बोर्ड के अध्यक्ष एमएस बोजे गौड़ा ने समाचार एजेंसियों से बातचीत में कहा, "इस साल हम कहवा की अच्छी पैदावार की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन भारी बारिश और बाढ़ के कारण कोडागू में करीब 60 फीसदी फसल बर्बाद हो चुकी है।"

उन्होंने बताया कि बारिश और भूस्खलन से ऊपरी मिट्टी का अपरदन हो गया है और नमी ज्यादा होने से कहवा बागान को नुकसान पहुंचा है। गौड़ा ने कहा कि सैकड़ों बागान मालिक और छोटे किसानों को अब नई बेरी (कहवे का फल) निकलने और पकने के लिए एक साल का इंतजार करना पड़ेगा।

देश में कॉफी उत्पादन में 20 फीसदी गिरावट आने का आशंका जतायी जा रही है। इसके ये भी तय है कि कीमतों में तेजी आयेगी। बाढ़ के कारण केरल में सैकड़ों लोग अब तक काल के गाल में समा चुके हैं। देश के कुल कॉफी उत्पादन में केरल और कर्नाटक का योगदान 90 फीसदी से ज्यादा है।


कॉफी एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रमेश राजा कहते हैं "पहले हमें उम्मीद थी कि इस साल कॉफी का उत्पादन काफी अच्छा होगा लेकिन अब बाढ़ की तबाही के बाद उत्पादन २० फीसदी तक घट सकता है।"

भारत के कॉफी बोर्ड के अनुसार, भारत विश्व का छठा सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक है। भारत ने 2017-18 के विपणन वर्ष 3,16,000 टन कॉफी का उत्पादन किया। इसमें 2,21,000 टन रोबोस्टा और 95,000 टन अरेबिका रही।

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कर्नाटक के कोडागू जिले के करीब 45,000 कहवा उत्पादक देश का 40 फीसदी कहवा का उत्पादन करता है और सुगंधित पेय पदार्थ के उत्पादन में इनका बड़ा योगदान है। कर्नाटक के पश्चिमी घाट स्थित चिकमंगलुरु और हासन इलाके में देश का 70 फीसदी कहवा का उत्पादन होता है।

गौड़ा ने कहा, "दक्षिण-पश्चिम मॉनसून से सितंबर तक और बारिश हो सकती है, इसलिए हमें चिंता है कि फसलों को आगे और नुकसान हो सकता है।"

इस जिले की अर्थव्यवस्था कहवा, मिर्च और धान के उत्पादन पर आधारित है। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान अरेबिका और रोबुस्ता वेरायटी के कुल 1.16 लाख टन कहवा का उत्पादन हुआ था।कर्नाटक प्लांटर्स एसोसिएशन के सदस्य एन. बोस मंडन्ना ने कहा, "कहवा उत्पादकों को बाढ़ से फसल की बर्बादी होने से 675 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।" 

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देश के कुल कहवा उत्पादन में 96 फीसदी योगदान तीन राज्यों का है। कर्नाटक का हिसा 70 फीसदी, केरल का 20 फीसदी और तमिलनाडु का छह फीसदी है। वहीं पूर्वात्तर के असम, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड, अरूणाचल प्रदेश और मणिपुर में अभी 6039 हेक्टेयर में काफी की खेती की जाती है। आंध्रपद्रेश में 58131 हेक्टेयर में काफी की खेती की जा रही है वहीं उड़ीसा में 3935 हेक्टेयर में खेती की जा रही है।

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