किसानों की मदद को सरकार ने दलहन और खाद्य तेलों पर बढ़ाया आयात शुल्क

सरकार ने देश में आयात की जाने वाली कृषिगत वस्तुओं खासकर दलहन और खाद्य तेलों पर निर्भरता कम करने के लिए इनमें आयात शुल्क की बढ़ोत्तरी करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।

Update: 2018-05-16 14:19 GMT

सरकार ने घरेलू किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए और देश में आयात की जाने वाली कृषिगत वस्तुओं खासकर दलहन और खाद्य तेलों पर निर्भरता कम करने के लिए बुधवार को इनमें आयात शुल्क की बढ़ोत्तरी करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।

सरकार ने दलहन में काबुली चना पर आयात शुल्क शून्य से बढ़ाकर 60 प्रतिशत, पीली मटर पर 0 से बढ़ाकर 50 प्रतिशत, मसूर पर शून्य से बढ़ाकर 30 प्रतिशत और तूर पर शून्य से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया है।
इसके अलावा सरकार ने तूर (अरहर), उड़द और मूंग के आयात पर पहले ही मात्रात्मक प्रतिबंध लगाए हैं। इनमें तूर (अरहर) के आयात पर प्रतिवर्ष 2 लाख टन, उड़द और मूंग के आयात पर प्रतिवर्ष 3 लाख टन और जून 2018 तक तीन महीनों के लिए मटर के आयात पर 1 लाख टन पर प्रतिबंध लगाया है।
दलहन की सभी किस्मों में निर्यात को अनुमति
दूसरी ओर दलहन की सभी किस्मों के निर्यात को अनुमति दे दी गई है। चने के निर्यात के लिए 7 प्रतिशत प्रोत्साहन दिए जाने की मंजूरी दी गई है। ऐसे में वर्ष 2016-2017 में दलहन का आयात 66 लाख टन की तुलना में 10 लाख टन कम होकर वर्ष 2017-18 में 56.5 लाख टन हो गया है। इससे सरकार की 9775 करोड़ रुपए की धनराशि की बचत हुई है।
खाद्य तेलों में आयात शुल्क बढ़ाया
वहीं, सरकार ने पाम ऑयल, जो हमारे खाद्य तेल के आयात का लगभग 60 प्रतिशत है, पर आयात शुल्क तेजी से बढ़ाया गया है। कच्चे तेल और रिफाइन्ड पाम ऑयल पर जो आयात शुल्क वर्ष 2015 में क्रमश: 12.5 और 20 प्रतिशत था, वहीं मार्च 2018 से सरकार ने कच्चे तेल पर आयात शुल्क बढ़ाकर 44 प्रतिशत और रिफाइन्ड पाम ऑयल पर 54 प्रतिशत कर दिया है।
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इतना ही नहीं, कच्चे सूरजमुखी, सरसों और तोरियां के तेल पर आयात शुल्क को बढ़ाकर 25 प्रतिशत और रिफाइन्ड सूरजमुखी, सरसों और तोरियां के तेल पर आयात शुल्क बढ़ाकर 35 प्रतिशत कर दिया गया। इसके अलावा शेष कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाकर क्रमश: 30 व 35 प्रतिशत कर दिया गया है।


खाद्य तेलों में भी निर्यात से प्रतिबंध हटाया
इतना ही नहीं, सभी प्रकार के खाद्य तेलों (सरसों के तेल के अलावा) के निर्यात पर से प्रतिबंध हटा लिया गया है ताकि स्वदेयशी खाद्य तेलों के निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके। इसके तहत रिफाइंड वनस्पति तेलों का आयात वर्ष 2016-17 में 29.4 लाख टन था, वह 2017-18 में 27.8 लाख टन हो गया है। वहीं, सोया आहार के लिए एमईआईएस लाभों में 5 प्रतिशत की तुलना में 7 प्रतिशत की वृद्धि होने के कारण सोयाबीन के घरेलू मूल्ये अचानक गिरकर कम हो गए।
गेहूं पर आयात शुल्क बढ़ाया
वहीं, सरकार ने नवंबर 2017 को गेहूं पर आयात शुल्क 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया, जिसके परिणामस्वूरूप इसका आयात वर्ष 2016-17 की तुलना में वर्ष 2017-18 में लगभग 72 प्रतिशत तक कम हो गया।
चार वर्षों में बढ़ा निर्यात
वहीं सरकार ने यह भी घोषणा की है कि पिछले वर्ष के दौरान मूल्य के मामले में कई कृषि उत्पादों के निर्यात में वृद्धि हुई जैसे बासमती चावल (24%), गैर-बासमती चावल (35%), मसालें (5%), समुद्री उत्पाद (20%) आदि। वर्ष 2017-18 के दौरान कृषि और संबद्ध उत्पादों के वर्ष-दर-वर्ष निर्यात वृद्धि 10.5% थी।
सरकार ने निर्यात वृद्धि मूल्य में चार वर्षों (2010-14) की तुलना पिछले चार वर्षों (2014-18) की तुलना करते हुए विभिन्न खाद्य पदार्थों में वृद्धि बताई है। इनमें समुद्री उत्पाद में 95 प्रतिशत, गैर-बासमती चावल में 84 प्रतिशत, ताजा फल में 77 प्रतिशत, तैयार मोटे अनाज में 64 प्रतिशत, प्रसंस्कृत फल में 54 प्रतिशत, ताजा सब्जियों में 43 प्रतिशत, मसालों में 38 प्रतिशत, काजू में 33 प्रतिशत और कॉफी में 29 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है।
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