मध्य प्रदेश में तैयार हो रही पशुओं के लिए चॉकलेट, जिसे खिलाने से बढ़ेगा दूध उत्पादन, बनेगी पशुओं की सेहत

नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर का पशु पोषण विभाग पशुओं के लिए चॉकलेट बना रहा है। विश्वविद्यालय के अनुसार इसके इस्तेमाल से न केवल दूध उत्पादन बढ़ा है, बल्कि पशुओं के प्रजनन और प्रतिरोधक क्षमता में भी सुधार हुआ है।

Update: 2021-10-18 12:38 GMT

पशु पालक अपनी गाय-भैंसों से बढ़िया दूध उत्पादन और उन्हें सेहतमंद रखने के लिए कई तरह का चारा खिलाते रहते हैं, ऐसे में वैज्ञानिकों ने पशुओं के लिए एक ऐसी चॉकलेट बनायी है, जिससे पशुओं की सेहत तो बनेगी ही, दूसरी फीड के मुकाबले यह सस्ता भी पड़ेगा।

मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, के पशु पोषण विभाग ने एक ऐसा ही चॉकलेट बनाया है, जिसे वैज्ञानिकों ने नर्मदा वेट मिन लिक नाम दिया है। पशु पोषण विभाग के हेड व प्रोफेसर डॉ सुनील नायक बताते हैं, "अच्छे दूध उत्पादन के लिए पशुपालक हरा चारा खिलाते हैं, लेकिन कई पशुपालक अपने पशुओं को हरा चारा नहीं खिला पाते हैं और न उनके लिए बाजार में मंहगे फीड को खरीद पाते हैं।"

वो आगे कहते हैं, "हम लंबे समय से इसका विकल्प तलाश रहे थे, ऐसा नहीं कि मार्केट में पहले से पशुओं के लिए केक नहीं मौजूद है, लेकिन हम सस्ता केक बनाना चाहते थे, जिसे छोटा पशुपालक भी आसानी से खरीद सके।"


विश्वविद्यालय ने मिनरल मिक्चर 'नर्मदा मिन' और यूरिया मोलासिस मिनिरल ब्लॉक यानी पशुओं के लिए चॉकलेट 'नर्मदा वेट मिन् लिक' तैयार किया है, इन दोनों उत्पादों को आईएसओ सर्टिफिकेट (ISO 9001:2015) भी मिल गया है।

विश्वविद्यालय ने इन्हें गाय, भैंस, भेड़ और बकरी जैसे जुगाली करने वाले जानवरों के खाने को दिया और इन पशुओं में दूध उत्पादन, प्रजनन क्षमता और रोग प्रतिरोधक क्षमता में बदलाव देखा गया। डॉ नायक बताते हैं, "ये केक जुगाली करने वाले पशुओं जैसे गाय, भैंस, भेड़, बकरियों के लिए ही बनाया गया है, इसका बेहतर परिणाम भी मिला है।

नर्मदा मिन यानी मिनरल मिक्चर पशुपालकों के लिए 75 रुपए किलो और नर्मदा विटामिन लिक 55 रुपए प्रति किलो उपलब्ध है, नर्मदा विटामिन अभी 3 किलो के वजन का बनाया जा रहा है। जबकि दूसरे मिनरल मिक्चर 100 रुपए प्रति किलो से ज्यादा में मिलते हैं।

पशुपालक अपने पशुओं को चॉकलेट दे सकते हैं, जिससे पशुओं को जरूरी सप्लीमेंट मिलते रहेंगे, सबसे अच्छी बात है पशु इसे खाते नहीं बल्कि चाटते रहते हैं, इस तरह से यह छह दिनों तक आराम से चल जाती है। यह चॉकलेट क्यों खास और इसको तैयार करने में कौन-कौन सी सामग्रियां डाली गईं हैं, इस पर डॉ सुनील कहते हैं, "इसको चाटने से पशुओं जरूरी सप्लीमेंट मिलते रहते हैं, लेकिन इसे तैयार करने के लिए हम क्या-क्या डालते हैं, यह नहीं बता सकते हैं।"


विश्वविद्यालय अभी मध्य प्रदेश में पशुपालकों को यह चॉकलेट और मिनरल मिक्चर उपलब्ध करा रहा है, मध्य प्रदेश में जितने भी कृषि विज्ञान केंद्र हैं, उनके जरिए यह किसानों तक पहुंच रहीं हैं।

विश्वविद्यालय के कुलपति सीता प्रसाद तिवारी कहते हैं, "हमने पशु पोषण विभाग को यह जिम्मेदारी दी थी कि वह पशुओं के लिए ऐसा कोईफूड सप्लीमेंट तैयार करें, जिससे पशुओं को तमाम पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मिल सकें। विशेषज्ञों ने ऐसा ही चॉकलेट तैयार किया है, जिसे जल्द ही दूसरे प्रदेशों तक भी पहुंचाया जाएगा।"

इससे पहले दूसरे संस्थानों ने भी तैयार किए हैं इस तरह के फीड

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान ने भी इसी तरह का पशु चॉकलेट और लड्डू तैयार किया है, जिसे पशुपालक इस्तेमाल कर रहे हैं। यहां पर दो किलो में 50 ब्लॉक बनाने के लिए 40 प्रतिशत शीरा, 40 प्रतिशत चोकर, 10 प्रतिशत यूरिया, 2 प्रतिशत खनिज लवण, एक प्रतिशत नमक, सात प्रतिशत सीमेंट का मिश्रण का इस्तेमाल किया जाता है। पशु को यह चॉकलेट खिलाने से पशु को भूख भी अच्छी लगती है और पशु के दूध उत्पादन में भी बढ़ता है।

इससे पशुओं में दूध उत्पादन भी बढ़ता है, आईवीआरआई के अनुसार पशुओं में 10 से 18 प्रतिशत दूध उत्पादकता बढ़ी है। प्रोटीन मात्रा क्योंकि इसमें पर्याप्त होता है, इसलिए पशुओं में गर्भ धारण की समस्या भी दूर हो जाती है। इसको किसान अपने घर पर आराम से बना सकता है। इसे बनाने के लिए यहां पर प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

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