ब्रायलर मुर्गी पालन से यह किसान कमा रहा लाखों, जानिए कैसे

Update: 2018-10-12 12:13 GMT

सीतापुर। भारत में छोटे-बड़े स्तर पर मुर्गी पालन व्यवसाय बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इस व्यवसाय से आज कई किसान लाखों का मुनाफा कमा रहे है। उन्हीं में से बड़ा गाँव के रिंकू कुमार हैं जिन्होंने अपने मेहनत से छोटे व्यवसाय को एक बड़ा रूप दिया है।

वर्ष 2016 में रिंकू ने ब्रायलर मुर्गी पालन की शुरूआत की। शुरू में इनके पास एक हजार पक्षी से थे लेकिन आज इनके पास करीब 30 हजार पक्षी है। रिंकू बताते हैं, "लगभग आधे एकड़ में मैंने मुर्गी फार्म को बनाया हुआ है। पूरा फार्म आधुनिक है इसमें ऑटोमेटिक मशीन है जिसके जरिए मुर्गियों के पास खाना अपने आप पहुंच जाता है।" सीतापुर जिले से 20 किमी दूर महोली ब्लॉक के बड़ा गाँव के रिंकू ने जब ब्रायलर मुर्गी पालन की शुरूआत की तो काफी दिक्कतें आई थी लेकिन बहुत कम लागत से शुरू इस व्यवसाय से आज वह अच्छी कमाई कर रहे है।

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फार्म में मुर्गियों को रोगों से बचाने के लिए रिंकू ने बायोसिक्योरिटी यानी जैव सुरक्षा को अपनाया हुआ है। कई संगठित पोल्ट्री इनका ख्याल रखती हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी असंगठित पोल्ट्री किसान इसको नज़रअंदाज कर देते हैं, जिससे पोल्ट्री किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। "फार्म में जब पक्षी को लाते है तो पूरी जांच कर लेते है। पूरे फार्म में फेनसिंग कराई है ताकि कोई जानवर न आ सके। इसके लिए फार्म में कोई भी जाता है तो जूतों में दवा छिड़क देते है ताकि पक्षियों को कोई बीमारी न फैले।" रिंकू ने बताया।

रिंकू मुर्गियों को गंभीर बीमारियों को बचाने के लिए नियमित टीकाकरण, साफ-सफाई और डीवार्मिंग कराते है। "फार्म की साफ-सफाई का बहुत ध्यान रखना पड़ता है अगर फार्म में नमी हो गई, तो बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। समय-समय पर उस ज़मीन पर धान की भूसी और लकड़ी का बुरादा डालते रहते हैं।"फार्म के रखरखाव के बारे में रिंकू ने बताया, "मुर्गियों के लिए बाड़े में बिजली की भी पूरी व्यवस्था है। इसके अलावा मुर्गियों को दिन में तीन बार दाना देते है और पानी में दवा मिलाकर दी जाती है, जो उन्हें बीमारियों से बचाती है।" रिंकू अपने इस व्यवसाय को आगे बढ़ाना चाहते है।

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सरकार भी कर रही मदद-

मुर्गी पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार भी काम कर रही है।उत्तर प्रदेश सरकार कुक्कुट विकास नीति 2013 के तहत दस हजार कामर्शियल लेयर फार्मिंग की यूनिट भी स्थापित की जा सकती है। इस योजना में पहले 30 हजार पक्षियों की कामर्शियल यूनिट संचालित की जाती थी, जिसमें मुर्गी पालकों को एक करोड़ 80 लाख रुपए की लागत आती थी, लेकिन अब किसान दस हजार पक्षियों की कामर्शियल यूनिट भी स्थापित कर सकेंगे जिसमें 70 लाख रुपए का खर्चा आएगा। इस योजना से एक लाभार्थी अधिकतम दो यूनिट स्थापित कर सकता है।   

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