पशुपालक इन बातों को ध्यान देंगे तो पड़िया सही समय पर देगी बच्चा

Update: 2018-11-03 09:41 GMT

लखनऊ। कुछ पडि़यां 4-5 साल की होने पर भी मद में नहीं आती और पशुपालक बिना लाभ के उसे पालता रहता है। जबकि इस उम्र की अच्छी नस्ल की मादा दो बार बच्चे दे चुकी होती है और साथ में दो ब्यांत का दूध भी। पडि़या के तैयार होने की उम्र मुख्य रूप से उसके खान-पान पर निर्भर करती है। याद रखना चाहिए कि आज की पडि़या कल की होने वाली भैंस है। जन्म से ही उसकी ठीक प्रकार से देख-भाल करने से भविष्य में वह एक अच्छी भैंस बन सकती है।

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पडि़या सही समय पर तैयार हो उसके लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिएः

  • पडि़यों को जन्म से ही समुचित मात्रा में संतुलित आहार और हरा दिया जाना चाहिए ताकि समय पर उनका वजन पूरा हो जाए और वह सही उम्र में गर्मी में आ जाए ।
  • पडि़यों को निश्चित उम्र की बजाय वजन के अनुसार गाभिन कराना चाहिए।
  • प्रथम गर्भाधान के समय पडि़या का वजन लगभग 300 किग्रा होना चाहिए। अच्छी खुराक देने पर यह वजन आमतौर पर ढ़ाई साल में आ जाता है।
  • पडि़यों को रोजाना 15-20 ग्राम खनिज लवण मिश्रण भी खुराक में मिलाकर देना चाहिए ।
  • पडि़यों को जन्म से ही परजीवियों से बचाना चाहिए और समय पर आवश्यक बीमारी रोधक टीके भी लगवाने चाहिए । इसके अलावा उनका सर्दी और गर्मी से बचाव का पूरा प्रबन्ध रखा जाना चाहिए।
  • पडि़यों को अगर संतुलित आहार, हरा चारा और खनिज लवण मिश्रण की पूरी उपलब्धता रहे तो वे निश्चित रूप से अपना वजन समय पर पूरा कर लेती हैं और गाभिन हो जाती हैं। यदि कुछ पडि़यां वजन पूरा होने पर भी गर्मी में नहीं आती हैं तो उनकी जांच पशु चिकित्सक से अवश्य करवाएं और उचित इलाज करायें। 

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