वैज्ञानिकों की इस सलाह से बच सकती है गोभी की फ़सल

पत्ता गोभी की अगेती फ़सल तैयार हो रही है, लेकिन इस समय इनमें कीटों के आने का समय भी है, इसे सुरक्षित करने की जानकारी दे रहे हैं पूसा संस्थान के विशेषज्ञ डॉ श्रवण सिंह।

Update: 2023-09-15 11:51 GMT

अगेती पत्ता गोभी की फ़सल तैयार हो रही है, इस समय इसमें उचित सिंचाई प्रबंधन, खरपतवार नियंत्रण का सही समय होता है। इसलिए शुरू से ही कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण के लिए जब फ़सल 35 से 40 दिन की हो जाती है तो निराई गुड़ाई करके मिट्टी चढ़ाना चाहिए। इस समय प्रति हेक्टेयर की दर से 60 किलो नाइट्रोजन डालना चाहिए।

रोग और कीटों की बात करें तो अगेती फ़सलों में दो मुख्य रोग हैं, जिसको काली पत्ती धब्बा रोग कहते हैं, इसका दूसरा नाम भूरी पत्ती धब्बा रोग भी कहते हैं, और दूसरा काला सड़न इसमें जो भूरा पत्ती रोग हैं गोल आकार के पत्तों पर धब्बे बनते हैं जो धीरें धीरें फूलों पर भी दिखायी देते हैं। जिससे गोभी का बाजार भाव कम हो जाता हैं।

इस बीमारी की रोकथाम के लिए मैंकोजेब या इंडोफिल एम-45, 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में छिड़काव करें, ज़रूरत पड़ने पर 10 दिन बाद दोबारा छिड़काव करें।

ऐसी ही एक बीमारी काली सड़न या ब्लैक रॉट बीमारी भी होती है, जिसमें पत्तियों में काले धब्बे बन जाते हैं, जोकि जीवाणु जनित बीमारी होती है।


इसकी रोकथाम के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 400 ग्राम और स्प्रेक्ट्रोसाइक्लिन 40 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें साथ ही इन दोनों बीमारियों से ग्रसित जो भी पत्तियाँ हो उन्हें खेत से निकालकर मिट्टी में दबा दें।

कीड़ों की बात करें तो दो मुख्य कीड़े इस समय फसल को नुकसान पहुँचाते हैं, जिसको तम्बाकू की सुंडी कहते हैं। तम्बाकू की सुंडी हल्के मटमैले रंग की होती है। वहीं पत्ता गोभी की सुंडी हरे रंग की होती है, लेकिन उस पर काले धब्बे होते हैं।

इन दोनों की विशेषताएँ हैं, शुरुआती अवस्था में ये पत्ती को खुरचकर खाते हैं। ऐसे पत्तों को नीचे की तरफ देखे तो झुंड में बहुत सारी सुण्डियाँ दिखायी देती हैं, इसलिए किसान भाई ऐसे पत्तों को खेत से निकालकर मिट्टी में दबा दें, जिससे ज़्यादा तितलियाँ न बनें। इनसे बचाव की बात करें तो इन्डोक्साकार्ब प्रति लीटर के हिसाब से छिड़काव करें।

समय रहते अगर किसान ट्रैप (फेरोमोन ट्रैप) लगाते हैं तो तम्बाकू की सुंडी समस्या कम हो जाती है। इसके लिए 13 से 15 ट्रैप को प्रति हेक्टेयर की दर से लगाना होता है।

साथ ही अगर आप पछेती गोभी की बुवाई कर रहे हैं तो शुरू से ही कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।

खेत की तैयारी लगभग 25 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर मिलाएँ और 120 नत्रजन 50 से 60 किलोग्राम फास्फोरस, 50 से 60 पोटाश अवश्य दें। साथ ही साथ जो किसान अगेती फूल की खेती कर रहे हैं और उन खेतों में बोरान की कमी दिखाई देती हैं कैल्शियम की कमी दिखाई देती हैं।

बोरेक्स 0.3 प्रतिशत का छिड़काव करते हैं और कैल्शियम के लिए 300 किलोग्राम बुझा चूना प्रति हेक्टेयर की दर से अवश्य दें।

(डॉ श्रवण सिंह, आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में वैज्ञानिक हैं) 

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