मुर्गीपालन को मुनाफ़े का सौदा बनाना है तो इस किसान की कहानी पढ़िए

Update: 2018-11-20 14:28 GMT

गोरखपुर। पांच वर्ष पहले प्रदीप यादव ने एक हजार पक्षियों से ब्रायलर मुर्गीपालन व्यवसाय की शुरुआत की थी लेकिन सही प्रबंधन, उचित देखरेख और नियमित टीकाकरण से आज प्रदीप का व्यवसाय आगे तो बढ़ा ही है साथ वह इस व्यवसाय से सलाना लाखों रुपए की कमाई भी कर रहे हैं।

गोरखपुर जिले के कैंपियरगंज ब्लॉक के साहबगंज गाँव में प्रदीप का पोल्ट्री फार्म बना हुआ है, जिसमें करीब 5000 पक्षी हैं। "मुर्गियों को बीमारी तभी होती है जब बाड़े का तापमान बाहर के तापमान अनुकूल नहीं होता है। इसलिए सर्दी, गर्मी और बरसात में तापमान का खास ध्यान रखना चाहिए।" प्रदीप ने बताया, ''सर्दियां शुरू हो गई है हमने अपने फार्म में पर्दे लगा दिए और बल्ब की भी व्यवस्था की है।''

देश में पोल्ट्री उद्योग का कुल कारोबार 90 हजार करोड़ का है, जिसमें 65 प्रतिशत हिस्सा चिकन मीट का और 35 फीसदी हिस्सा अंडे का है। कम लागत और ज्यादा मुनाफा देने वाला यह व्यवसाय भारत में बहुत तेज़ी के साथ बढ़ रहा है। विश्व में चिकन उत्पादन के क्षेत्र में अमेरिका, चाइना, और ब्राजील के बाद भारत का चौथा स्थान है।

बाड़े में साफ-सफाई के बारे में प्रदीप बताते हैं, ''मुर्गियों के बैठने के स्थान पर नमी न आए इसलिए रोजाना मिट्टी को पलटते हैं ताकि मुर्गियों को बीमारी न हो। बाड़े में मकड़ी के जाले न लगे इसका ध्यान रखते हैं। मुर्गियों को समय पर दाना-पानी देते हैं और रोजाना उनके फीडर और ड्रिंकर की साफ-सफाई की जाती है।" मुर्गियों को गंभीर बीमारी से बचाने के लिए प्रदीप समय टीकाकरण कराते हैं। सात दिन पर रानीखेत का टीका, 14 दिन पर गंबोरो 21 दिन पर रानीखेत, लसोटा का टीका लगवाते हैं। पशुओं के वजन के लिए हेस्टर कंपनी का प्रोटीन-सी प्रयोग करते हैं।

यह भी पढ़ें- पोल्ट्री करोबार से कमाना है तो पढ़िए इस सफल मुर्गीपालक की कहानी


मुर्गीपालन व्यवसाय के लिए सरकार भी कर रही मदद

मुर्गीपालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने कुक्कुट विकास नीति 2018 की योजना शुरू की है। इस योजना के तहत छोटे-बड़े किसान मुर्गी पालन व्यवसाय को शुरू कर सकते है। इस योजना के तहत मुर्गी पालक तीन तरह इकाइयां (30 हजार पक्षी क्षमता, 10 हजार पक्षी क्षमता ब्रायलर पैरेंट फार्मिंग) स्थापित कर सकते है।

तीस हजार पक्षियों की कामर्शियल यूनिट संचालित करने के लिए मुर्गी पालकों को एक करोड़ 60 लाख रुपए की लागत लगानी पड़ेगी जिसमें लाभार्थी को 54 लाख और एक करोड़ 26 लाख का बैंक ऋण पास कराना होगा। वहीं दस हजार पक्षियों की कामर्शियल यूनिट स्थापित करने के लिए मुर्गी पालकों को 70 लाख रुपए का खर्चा आएगा, जिसमें 21 लाख रुपये लाभार्थी को लगाना होगा और 49 लाख रुपये का बैंक ऋण होगा। ब्रायलर पैरेंट फार्मिंग लागत दो करोड़ छह लाख रुपये होगी। इस योजना तहत एक लाभार्थी कई यूनिट स्थापित कर सकता है। इसके लिए कोई बाध्यता नहीं है।

यह भी पढ़ें- जानें मुर्गियों में होने वाली बीमारियां और उनके टीके

ब्रायलर पालन शुरू करने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

चूजों का चुनाव: ब्रायलर पालन में चूजों का चुनाव सबसे महत्वपूर्ण होता है। चुस्त, फुर्तीले, चमकदार आंखों वाले तथा समान आकार के चूजे उत्तम होते हैं। स्वस्थ चूजों की पिण्डली या पैर की खाल चमकदार होती है। इनके वजन में अन्तर न हो क्योंकि वजन में जितना अन्तर होगा आमदनी उतनी घटती जाती है। चूजे किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थाओं से खरीदे जा सकते हैं।

आवास की व्यवस्था: किसी भी पालन में आवास की व्यवस्था जरूरी होती है। यह पालन विशेष तौर पर चूजों की ब्रूडिंग क्रिया पर निर्भर करता है। कम जगह में ज्यादा से ज्यादा चूजों को पाल सकते हैं।

तापमान: चूजों को ब्रूडर में रखने के बाद इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि तापमान उनके लिए उपयुक्त है या नहीं क्योंकि तापमान की कमी और अधिकता से चूजों की बढ़वार पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

Full View


Similar News