धर्म-जाति के नाम पर नहीं मांग सकते वोट: उच्चतम न्यायालय

Update: 2017-01-02 16:28 GMT
सुप्रीम कोर्ट का कहना समुदाय या भाषा के आधार पर वोट मांगा जाना चुनाव कानून प्रावधान के तहत भ्रष्ट तरीका है।

नई दिल्ली (भाषा)। उच्चतम न्यायालय ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर वोट मांगा जाना चुनाव कानून प्रावधान के तहत भ्रष्ट तरीका है।

जनप्रतिनिधि कानून में भ्रष्ट तरीके को परिभाषित करने वाली धारा 123 (3) में इस्तेमाल शब्द ‘उसका धर्म’ के संदर्भ में प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर और तीन अन्य न्यायाधीशों ने तीन के मुकाबले चार के बहुमत से फैसला सुनाते हुए कहा कि इसका यह अभिप्राय मतदाताओं, उम्मीदवारों और उनके एजेंटों आदि समेत सभी के धर्म और जाति से है।

हालांकि तीन न्यायाधीशों- यू यू ललित, ए के गोयल और डी वाई चंद्रचूड़़ का अल्पमत यह था कि ‘उसका' धर्म का अभिप्राय सिर्फ उम्मीदवार के धर्म से है।

न्यायाधीशों के बीच बहुमत यह था कि ऐसे मुद्दों को देखते समय धर्मनिरपेक्षता का ख्याल रखा जाना चाहिए। बहुमत में शामिल चार न्यायाधीशों में एम बी लोकुर, एस ए बोबडे और एल एन राव शामिल थे।

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