लखनऊ। 19 अप्रैल 1975 ही वह दिन था जब इसरो ने अंतरिक्ष युग की दुनिया में प्रवेश कर एक अभूतपूर्व कीर्तिमान रचा था। इसी दिन भारतीय वैज्ञानिकों ने भारत के पहले उपग्रह आर्यभट्ट को अंतरिक्ष में छोड़ा था। बंगलुरू के पीन्या में तैयार किए गए इस उपग्रह का नाम पांचवी सदी के महान खगोलविद और गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रखा था।
हालांकि इस उपग्रह को पीन्या में तैयार किया गया था लेकिन इसका प्रक्षेपण सोवियत यूनियन की सहायता से कॉस्मॉस-3 एच से किया गया था। इसके एवज में 1972 में इसरो के वैज्ञानिक यूआर राव ने सोवियत संघ रूस के साथ एक एग्रीमेंट साइन किया था जिसके अनुसार सोवियत संघ रूस भारतीय बंदरगाहों का इस्तेमाल जहाजों को ट्रैक करने के लिए कर सकता था। खगोल विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान, एक्स-रे और सौर भौतिकी में जानकारी हासिल करने के लिए इस्तेमाल किए गए इस उपग्रह का वजन 360 किलोग्राम था। यह इसरो द्वारा लॉन्च किया गया पहला उपग्रह था जिससे इसरो ने अंतरिक्ष में संचालन का अनुभव प्राप्त किया था।
इस उपग्रह का डेटा रिसीविंग सेंटर बंगलुरू में था, जहां एक शौचालय का कायाकल्प करके इस काम के लिए तैयार किया गया था। यही नहीं इसकी विद्युत ऊर्जा प्रणाली में आई एक कमी के कारण यह उपग्रह चार दिन तक अंतरिक्ष में ही रुका रहा था।
शुरुआत में ऐसा अनुमान लगाया था कि इस सैटेलाइट को बनाने से लेकर लॉन्च करने तक में तीन करोड़ रुपये का खर्च आएगा लेकिन फर्नीचर और बाकी कुछ चीजों को खरीदने के कारण बाद में यह खर्च कुछ हद तक बढ़ गया।
1975 में इस सैटेलाइट के लॉन्च होने के इस ऐतिहासिक क्षण को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 1976 में दो रुपये के नोट के पिछले हिस्से पर छापा। 1997 तक दो रुपये के नोट पर आर्यभट्ट उपग्रह की तस्वीर छापी गई, बाद में इसके डिजाइन में बदलाव हो गया।
इस उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए भारत और रूस दोनों ने मिलकर स्मृति के रूप में स्मृति टिकट भी लॉन्च किया था। अपने लॉन्च के 17 वर्ष बाद 11 फरवरी 1992 को अंतरिक्ष से वापस लौटकर पृथ्वी पर आया।
1975 से शुरू हुए अंतरिक्ष अनुसंधान के इस सफर में आज भारत इतना आगे निकल चुका है कि न सिर्फ वह तीन टन से भी अधिक वजन वाले अपने दूरसंचार उपग्रह छोड़ने की काबिलियत अर्जित कर चुका है, बल्कि चंद्रमा और मंगल ग्रह तक अपने उपग्रह भेजने लगा है। 2014 में अंतरिक्ष में भेजा गया मंगल यान भी इसरो के लिए एक अविस्मरीणय और महान उपलब्धि रही है।