लखनऊ। भारत में एलईडी बल्ब का कारोबार बड़ी तेजी से फल फूल रहा है, एक सर्वेक्षण एजेंसी नील्सन द्वारा जारी रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि बाजार में बिकने वाले करीब तीन चौथाई यानी 76 फीसदी एलईडी बल्ब सुरक्षा मानकों के अनुरूप नहीं हैं। इससे आपको और आपके परिवार को स्वास्थ्य संबंधी शिकायत हो सकती है।
इलेक्ट्रिक लैंप एंड कंपोनेंट मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (एलकोमा) के प्रेसीडेंट राकेश जुत्शी ने कहा, "इन नकली ब्रांड की वैध कारोबार कर रही कंपनियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इनकी वजह से सरकार को राजस्व हानि भी होती है।" फिलिप्स लाइटिंग इंडिया के वाइस चेयरमैन एवं एमडी सुमीत जोशी ने कहा, "हालात को देखते हुए सरकार को चाहिए कि वह नकली और गैर-ब्रांडेड उत्पादों के खिलाफ कार्रवाई करे।"
तीन चौथाई बल्ब नहीं करते मानकों को पूरा
नीलसन द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार, देश भर में बिकने वाले तीन चौथाई से अधिक एलईडी बल्ब सरकार की तरफ से जारी ग्राहक सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करते हैं। इससे लोगों की जान का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। एलईडी बल्ब से निकलने वाली गैस कई लोगों का स्वास्थ्य बिगाड़ रही है।
दिल्ली में सबसे ज्यादा बुरा हाल
सर्वे में देश भर के 200 से अधिक रिटेल आउटलेट्स पर मुंबई, हैदराबाद, अहमदाबाद और दिल्ली में किए गए सर्वे के अनुसार, ज्यादातर बल्ब मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। सबसे ज्यादा बुरा हाल राजधानी दिल्ली में है, जहां पर ऐसे बल्ब बड़ी संख्या में बिकते हैं, जो कि मानकों को पूरा नहीं करते हैं।
अगस्त में जारी किए गए थे मानक
भारतीय मानक ब्यूरो ने अगस्त में एलईडी बल्ब बनाने वाली सभी कंपनियों को आदेश दिया था कि वो अपने उत्पाद को ब्यूरो के साथ रजिस्टर करें, ताकि उनका सेफ्टी चेक किया जा सके। देश भर में चीन से चोर रास्ते से मंगाए गए सस्ते बल्ब ज्यादा बिक रहे हैं।
चीन के बल्ब सबसे ज्यादा हानिकारक
चीन में बने एलईडी बल्ब सबसे ज्यादा हानिकारक हैं, क्योंकि इनके उत्पादन में किसी प्रकार के मानकों का ध्यान नहीं रखा जाता है। इससे सरकार को टैक्स भी नहीं मिलता है। सर्वे में पता चला है कि 48 फीसदी बल्ब में बनाने वाली कंपनी का पता नहीं था, तो 31 फीसदी में बल्ब बनाने वाली कंपनी का नाम ही नहीं था।