इंदौर के सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ती बंद होने से नौ मरीजों की मौत
इंदौर (भाषा)। मरीजों को ऑक्सीजन की आपूर्ती कथित तौर पर बंद होने से शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवायएच) में चार नवजात बच्चों समेत नौ मरीजों की मौत मामले की खबर को प्रशासन के एक आला अधिकारी ने खारिज किया है। उन्होंने अपना स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक समिति गठित होगी।
शहर में मीडिया के एक तबके की खबरों में दावा किया गया है कि 1,400 बिस्तरों वाले एमवायएच की मेडिकल गहन चिकित्सा इकाई (एमआईसीयू), ट्रॉमा सेण्टर और शिशु गहन चिकित्सा इकाई (पीआईसीयू) में आज तड़के चार बजे के आस-पास ऑक्सीजन की आपूर्ती कुछ देर के लिए बंद होने से चार नवजात बच्चों समेत नौ मरीजों की मौत हो गयी। इन खबरों के मद्देनजर इंदौर संभाग के आयुक्त संजय दुबे और प्रभारी जिलाधिकारी शमीमुद्दीन एमवायएच पहुंचे और अस्पताल के डॉक्टरों के साथ तीनों इकाइयों का निरीक्षण कर ऑक्सीजन की आपूर्ती और अन्य व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी ली।
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निरीक्षण के बाद दुबे ने संवाददाताओं से कहा, ' 'कुछ स्थानीय समाचारपत्रों में छपीं यह खबरें सही नहीं हैं कि एमवायएच के बिस्तरों को ऑक्सीजन की आपूर्ती रुकने से नौ मरीजों की मौत हो गयी। अस्पताल के किसी भी वॉर्ड में ऑक्सीजन की आपूर्ती बाधित नहीं हुई है। चूंकि यह संवेदनशील मामला है, इसलिए हम इसकी निष्पक्ष जांच के लिए एक समिति गठित करेंगे।' ' उन्होंने कहा कि एमवायएच के करीब 350 बिस्तरों को पाइपलाइन से ऑक्सीजन की आपूर्ती की जाती है और इसके लिए केंद्रीयकृत व्यवस्था है। अगर किसी गड़बड़ी से ऑक्सीजन लाइन में इस गैस का प्रवाह बाधित होता, तो इसका दुष्प्रभाव सभी बिस्तरों पर लेटे मरीजों पर पड़ना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
दुबे ने हालांकि माना कि एमवायएच में पिछले 24 घंटे में सात-आठ मरीजों की मौत हुई है, जिनमें एमआईसीयू में भर्ती पांच मरीज शामिल हैं। लेकिन साथ ही दावा किया कि इनमें से किसी भी मरीज की मौत उसके बिस्तर को ऑक्सीजन की आपूर्ती रकने से नहीं हुई है।
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संभाग आयुक्त ने एमवायएच में पिछले 24 घंटे के दौरान दम तोड़ने वाले मरीजों के बारे में विशिष्ट जानकारी नहीं दी। हालांकि, बताया कि वे सभी विभिन्न गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे और उनकी उम्र 27 से 85 वर्ष के बीच है। यानी इनमें कोई भी बच्चा शामिल नहीं है। उन्होंने कहा, ' 'एमवायएच 1,400 बिस्तरों वाला अस्पताल है और डॉक्टरों के तमाम प्रयासों के बावजूद इसके अलग-अलग वॉर्ड में आम तौर पर हर रोज औसतन 10 से 12 मरीजों की मौत होती है।' ' इस बीच, गैर सरकारी संगठन स्वास्थ्य अधिकार मंच के कार्यकर्ता चिन्मय मिश्र ने मांग की कि मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ' 'पिछले 24 घंटों में एमवायएच में मरे उन सभी मरीजों के शवों के पोस्टमॉर्टम कराये जाने चाहिए, जिनके बिस्तरों को ऑक्सीजन की आपूर्ती की जा रही थी। इन मरीजों से जुड़े रिकॉर्ड सील किये जाने चाहिए ताकि कोई इनसे छेड़खानी नहीं कर सके।' '
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