मालिनी अवस्थी और एसटीएफ के अमिताभ यश ही नहीं कई दिग्गज हो चुके हैं सोशल मीडिया के ‘शिकार’

Update: 2017-09-29 00:25 GMT
सोशल मीडिया का एंटी सोशल इस्तेमाल

लखनऊ। लोकगायिका मालिनी अवस्थी की एक उस बयान को लेकर आलोचना हो रही है, जो उन्होंने दिया ही नहीं। बीएचयू लाठीचार्ज केस में एक घायल लड़की की फोटो तेजी से वायरल की गई जिसका उससे संबंध ही नहीं था। इसी तरह सुपर कॉप कहे जाने वाले यूपी एसटीएफ के मुखिया अमिताभ यश एक अपुष्ट ख़बर के लिए आलोचना का शिकार बने।

ये तीन ख़बरें बताती हैं, कैसे सोशल मीडिया का एंटी सोशल और छींटाकसी के लिए इस्तेमाल हो रहा है। तीनों खबरों ने एक सवाल व्हाट्सऐप पत्रकारिता पर भी उठाया। ज्यादातर मामलों में फर्जी फोटो/ख़बर वायरल करने वाले लोग मामला बढ़ने पर पोस्ट/ख़बर हटाकर छुटकारा पा लेते हैं, जबकि पीड़ित व्यक्ति खुद को बेगुनाह साबित करता रह जाता है।

लोक गायिका मालिनी अवस्थी पर बीएचयू लाठीचार्ज को लेकर आपत्तिजनक बयान देने का आरोप लगा। फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सऐप पर उनके खिलाफ मैजेस और आपत्तिजनक पोस्ट होने लगे। देश में लोककला को आगे बढ़ाने वाली मालिनी खुद सोशल मीडिया में काफी सक्रिय हैं।

उन्होंने अफवाह फैलने के बाद फेसबुक पर लिखा, “मैं ये देख रही हूं कि झूठ के पाँव कितने तेज़ भागते हैं। एक अनर्गल मिथ्या प्रपंची खबर के लिए मुझे भी जवाब देना पड़ेगा, हद है, कैसे युग में आ गए हम! ज़ी न्यूज़ ने खेद प्रकट कर अपना लिंक हटा लिया, भास्कर वाले अभी भी चला रहे हैं। यदि मैंने ऐसा कुछ कहा है, जैसा कि बताया जा रहा है, तो उसका ऑडियो वीडियो प्रूफ दीजिये। जो कहा, उसके साक्ष्य दीजिये नहीं तो माफी मांगे वे सभी जो मेरे नाम के साथ ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण असत्य खबर चला रहे हैं और माफी मांगें वे सभी जिन्होंने इसे अपनी वॉल पर लिखा है।’

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यूपी एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश पर भी चली थी अपुष्ट ख़बर

पिछले दिनों यूपी पुलिस की एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) के आईजी अमिताभ यश को लेकर एक ख़बर तेजी उड़ी, जिसने एसटीएफ को कटघरे में खड़ा कर दिया। जिन पुलिस अधिकारी अमिताभ यश से अपराधी खौफ खाते थे और उन्हें देश भर में सुपर कॉप के नाम से जाना जाता था, उन्हें सोशल मीडिया ने कटघरे में खड़े करने में देर नहीं की। जबकि उन पर लगे आरोपों पर जांच जारी थी।

इस बारे में जब आईजी अमिताभ यश ने गाँव कनेक्शन से कहा, "मुझे निजी तौर पर सोशल मीडिया पर शिकार बनाया जाता तो इससे कुछ अधिक फर्क नहीं पड़ता, लेकिन जिस तरह एसटीएफ जैसी विंग पर लोगों ने सवाल उठाया और गलत आरोप लगा कर मुझे घेरने का प्रयास किया गया, इससे मेरी प्रोफेशनल स्किल पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।”

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अमिताभ यश (आईपीएस) , एसटीएफ के आई हैं।

वो आगे बताते हैं, “सोशल मीडिया पर यूपी पुलिस को बदनाम करने के लिए कुछ ट्रोल अकाउंट सक्रिय हैं, जो बगैर तथ्य के भ्रामक खबर फैला पूरे पुलिस महकमे को बदनाम करने का प्रयास करता है। सोशल मीडिया की इस मुहिम में कुछ मीडियाकर्मी भी बगैर सबूत और तथ्य जाने खबर चला इसे हवा देने का प्रयास करते हैं, जिससे पत्रकारिता जैसी निष्ठावान प्रोफेशन पर सवाल उठाने को मजबूर कर देता है।”

बिना सोचे समझे और तत्थों की जांच पड़ताल के लोग कैसे अफवाह और ट्रोल आर्मी के शिकार होते हैं, इसका तीसरा उदाहरण बीएचयू ही है। बनारस हिंदू विश्वविद्याल में लाठीचार्ज के बाद एक गंभीर रूप से घायल लड़की की ख़बर तेजी से वायरल होने लगी। कई वरिष्ठ पत्रकारों और लाखों-लाख फॉलोवर वाले ट्वीटर हैंडल, फेसबुक, व्ह्टसएप ग्रुप में ख़बर चलाते हुए यूपी पुलिस और प्रदेश सरकार को निशाना बनाया गया। जबकि उस फोटो का वास्ता बनारस नहीं लखीमपुर से था। जो एक मनलचे के हमले में गंभीर रूप से घायल हुई थी।

फर्जी बयान, फोटो और कमेंट के आधार पर सोशल मीडिया में हंगामा कोई आज की बात नहीं है। सोशल मीडिया पर फोटो, और वीडियो से छेड़छाड़ कर उससे हिंसा और सामाजिक ताने-बाने को तोे़ड़ने की कोशिश की गई हैं। झारखंड के जमशेदपुर में सोशल मीडिया पर फैली बच्चा चोरी की एक अफवाह ने 7 लोगों की जान ले ली थी। सरकार के मुताबिक दादरी कांड में भी बीफ की सिर्फ अफवाह थी। उत्तर प्रदेश के मुज्फ्फरनगर में दंगों की असली वजह एक वीडियो था, जिसमें दो लड़कों की पिटाई की गई, जो भारत के भी नहीं थे।

सोशल मीडिया के एंटी इस्तेमाल पर अमिताभ यश कहते हैं, “कुछ लोग बगैर आरोप साबित हुए किसी को कभी भी किसी चीज का सिर्फ आरोपी नहीं बल्कि दोषी बना देते हैं। यह एक गलत चलन चलन है, जिसका शिकार कोई भी हो सकता है। सोशल मीडिया पर ट्रोल एकाउंट पर तो अंकुश लगा पाना बेहद मुश्किल है, लेकिन इन अफवाहों को लेकर खबर करना बगैर तथ्यों के बेहद ही गलत है।

एसटीएफ पर लगे खालिस्तानी के आतंकी को छोड़ने के आरोपों को निराधार बताते हुए वो कहते हैं, “जिस निष्ठा से मैंने पुलिस की सेवा दी है, सोशल मीडिया पर फैली गलत ख़बर बहुत झटका लगा, लेकिन इन आरोपों से हमारा काम नहीं रुकेगा, कुछ लोग ऐसी ख़बरें फैलाकर अपराधियों की मदद करना चाहते हैं, लेकिन एसटीएफ अपना काम दोगुने उत्साह से करेगी।’

फेसबुक ने शुरू किया फर्जी ख़बरों के खिलाफ अभियान

सोशल साइट्स ऐसे मैसेज और ख़बर फैलाने का बड़ा जरिया होते हैं। ऐसे में खुद फेसबुक ने आगे बढ़कर ऐसी खबरों रोकने का तरीका निकाला है और फर्जी ख़बरों के खिलाफ मुहिम शुुरू की है। फेसबुक जिन प्रोफाइल (अकाउंट) से भड़काऊ, फर्जी पोस्ट मैसेज या ख़बरें लगातार शेयर होती हैं, उन्हें ब्लॉक भी कर देता है। फेसबुक ने ऐसी ख़बरों के लिए बाकायदा एक जागरूकता मैसेज भी जारी किया है।

क्या होता है ट्रोल

सोशल मीडिया ने लोगों को अपनी बात रखने का मौका दिया, लोगों को मंच दिया, हजारों लोगों को मुकाम मिला, लेकिन इसका एंटी सोशल इस्तेमाल काफी नुकसानदायक साबित हो रहा है। ये नुकसान किसी शख्स, पार्टी, संगठन की छवि या फिर पूरे समाज को पहुंचता है। सोशल मीडिया की दुनिया में इसे ट्रोल कहते हैं।

ट्रोलिंग का सरल मतलब होता है, किसी व्यक्ति को टार्गेट कर उसे बुरा या अच्छा साबित कर देना। उदाहरण ऐसे समझिए जैसे किसी ने कोई बयान दिया,या लोगों ने उसका आशय निकाला यहां तक की फर्जी बयान बनाया (जैसा की मालिनी अवस्थी केस में हुआ) फिर उसके नाम के साथ (टैग करते हुए पोस्ट करना शुरु कर दिया। इसे तकनीकी भाषा में पार्टिसिपेट करना भी कहते हैं, यानि या तो उसके काम को अपनी टाइम लाइन पर शेयर करना, ट्वीट करना और आगे बढ़ाना, वो पोस्ट, ख़बर फोटो फिर लाखों लोगों तक पहुंचती है, जिसे ट्रोल कहते हैं।

सिर्फ फिल्म स्टार, नेता, अधिकारी नहीं, देश के महापुरुष महात्मा गांधी से लेकर नेहरू तक की फोटो और कई बार फर्जी बयानों को खूब शेयर किया जाता है। (ख़बर में नीचे इस संबंध में विस्तार से पढ़ें)

झारखंड की जानलेवा अफवाह

सोशल मीडिया पर तैर रही अफवाह बच्चा चोरी गिरोह को लेकर थी। हत्या के बाद दो समुदायों के आमने-सामने आने से इलाके में तनाव और बढ़ गया था। दोनों गुटों के बीच जमकर पत्थरबाजी हुई थी। अफवाह का असर लोगों पर इस कदर हावी रहा कि 18 मई, 2017 को सरायकेला के राजनगर में ग्रामीणों ने 4 युवकों को बच्चा चोर समझकर पीट-पीटकर मार डाला था।  वहीं उसी रात तीन पुरुष और एक बुजुर्ग महिला काफी तेजी में इलाके से गुजर रहे थी कि, इसी दौरान गांव के कुछ लोगों ने उन्हें भी बच्चा चोर समझ लिया और उनकी खंभे से बांधकर बेरहमी से पिटाई शुरू कर दी। इस पिटाई से  तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि बुजुर्ग महिला की हालत नाजुक बनी हुई थी।

यूपी का मुजफ्फरनगर दंगा

मुजफ्फरनगर दंगों की वजह, जातीय विवाद के साथ ही एक वीडियो भी बना था, जिसमें एक धर्म विशेष के दो युवकों की पीट-पीटकर हत्या दिखाई गई थी। दंगों की जांच करने वाली एसआईटी ने इसके लिए लापरवाही भरी रिपोर्टिंग के साथ इस वीडियो को भी जिम्मेदार ठहराया था। जांच में पता चला कि वो वीडियो मुजफ्फरनगर तो दूर भारत का भी नहीं था। यानि किसी ने साजिश के तहत उस वीडियो को एडिट कर वायरल किया। इन वीडियो और तस्वीरों का काम सिर्फ लोगों की भावनाओं को भड़काकर अपना हित साधना होता है। इसके लिए तमाम प्रसिद्ध और समाज में अपना दखल रखने वालों की दर्जनों फर्जी आईडी बनाई गई हैं।

रतन टाटा हुए ट्रोल

फोटो के जरिए भी सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाने का काम होता है। पिछले वर्ष वायरल हुए एक पोस्ट में रतन टाटा की फोटो के साथ लिखा गया है, तुम गद्दार हो सकते हो, मैं नहीं। इस पोस्ट में मुम्बई के 26/11 के आतंकी हमले के बाद होटल ताज में हुए नुकसान के नवीनीकरण का टेंडर किसी भी पाकिस्तान को न देने की बात टाटा की ओर से लिखी गई है। जेएनयू विवाद के बाद फेसबुक ट्विटर और व्हाट्सएप पर एक पोस्ट वायरल की जा रही है। इस पोस्ट में कहा गया है कि अब से टाटा कंपनी किसी जेएनयू स्टूडेंट को नौकरी नहीं देगी। नीचे लिखा है जो देश का नहीं हुआ वो कंपनी का क्या होगा। जय हिंद। फोटो तेजी से वायरल हुई तो टाटा ग्रुप ऑफिशियल आईडी से बताया गया कि रतन टाटा ने कोई बयान जारी नहीं किया है।

महात्मा गांधी की फोटो

महात्मा गांधी की एक फोटो अक्सर सोशल साइट्स पर छाई रहती है। फोटो में राष्ट्रपिता एक विदेशी महिला साथ नजर आ रहे हैं, जबकि वास्तविक फोटो में महिला की जगह जवाहर लाल नेहरू हैं। यानि फेसबुक से छेडख़ानी के बाद महिला की फोटो पोस्ट की गई है।

देखिए कैसे नेहरू जी और महात्मा गांधी की तस्वीर से छेड़खानी की गई।

दादरी में बीफ खाने की अफवाह

यूपी के दादरी इलाके में गोमांस खाने की फर्जी अफवाह ने एक परिवार की जिंदगी बर्बाद कर दी। कुछ समुदाय विशेष के 200 लोगों ने मिलकर दादरी के बिसहड़ा गाँव में रहने वाले आखलाक के घर पर धावा बोला और उसकी जान लेली। हादसे के बाद जांच हुई और पता चला कि उसके घर में गोमांस होने के सबूत नहीं मिले। दरअसल इलाके में गोमांस खाने की अफवाह एक वॉट्सएप मैसेज के जरिए वायरल हुई। किसी को नहीं पता ये वॉट्सएप मैसेज किसने वायरल किया। किसी ने भी ना तो इस वॉट्सएप मैसेज को जांचा ना परखा, बस भीड़ के साथ हो लिए और अखलाक की जान चली गई।

संघ कार्यकर्ताओं ने कब दी महारानी को सलामी?

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर अक्सर वायरल होती रहती है। तस्वीर में आरएसएस के कार्यकर्ताओं को ब्रिटेन की महारानी को गार्ड ऑफ ऑनर देते दिखाया गया। दरअसल, ये तस्वीर भी फर्जी थी। इसे फोटोशॉप के जरिए मॉर्फ करके बनाया गया था। ये तस्वीर कुछ इस कदर वायरल हुई है कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने अपने सोशल साइट्स पर कटाक्ष करते हुए लिखा कि आरएसएस के स्वयं सेवकों की हकीकत ये है कि वो ब्रिटिश महारानी को सलामी दे रहे हैं और हमें देशभक्ति सिखाने चले हैं।

आरएसएस की तस्वीर, जिससे छेड़खानी की गई।

क्या है आरएसएस के तस्वीर की हकीकत

दरअसल, आरएसएस के कार्यकर्ता न तो कोई सलामी दे रहे थे और ना ही ये फोटो ब्लैक एंड व्हाइट थी। असली तस्वीर रंगीन थी, जिसे छेड़छाड़ के बाद ब्लैक एंड व्हाइट बना दिया गया था। ताकि देखने में ये तस्वीर अंग्रेजों के जमाने की लगे। पहले फोटो को ब्लैक एंड व्हाइट किया गया और फिर ब्रिटिश महारानी की तस्वीर में यह दिखाने की कोशिश की गई कि जैसे ब्रिटिश महारानी आरएसएस स्वयंसेवकों से गार्ड ऑफ ऑनर ले रही हैं।

दुनिया में सबसे ज्यादा फेसबुक यूजर्स भारत में

दुनियाभर में सोशल मीडिया व टेक्नॉलाजी से संबंधित गतिविधियों पर नजर रखने वाली वेबसाइट the next रिपोर्ट ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बताया था कि भारत में 241 मिलियन फेसबुक अकाउंट हैं जो दुनिया में सबसे ज्यादा हैं। दूसरे नंबर पर यूएस यानि अमेरिका है।

फेसबुक चला रहा है फर्जी खबरों के खिलाफ अभियान।

सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों का ऐसे लगाएं पता, फेसबुक ने बताए 10 प्वाइंट्स

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