मध्य प्रदेश के बाद बंगाल में फैली हिंसा की आग, सेना तैनात, हजारों सैलानी फंसे

Update: 2017-06-09 10:12 GMT
बंगाल में स्कूलों में बंगाली पढ़ाए जाने को अनिवार्य किए जाने के फैसले के खिलाफ हो रहा प्रदर्शन।

दार्जलिंग। देश के कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं, कहीं किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, तो कहीं बंगाली भाषा की राजनीति ने हिंसक रूप ले लिया है। ताजा मामला बंगाल का है जहां ममता बनर्जी के पूरे बंगाल में स्कूलों में बंगाली पढ़ाए जाने को अनिवार्य किए जाने के फैसले के खिलाफ हो रहा प्रदर्शन हिंसक हो गया है। स्थिति पर नियंत्रण के लिए आर्मी तैनात की गई है। आज 12 घंटे का बंद है। दार्जिलिंग घुमने आए हजारों सैलानी बंद के कारण फंसे गए हैं।

पश्चिम बंगाल सरकार ने स्थिति पर नियंत्रण के लिए आर्मी की मदद मांगी थी। राज्य सरकार की मांग पर केंद्र सरकार ने आर्मी की दो टुकड़ियां भेजी हैं। ये दोनों टुकड़ियां दार्जिलिंग स्थित सेना के बेस की हैं। हर टुकड़ी में 80 जवान हैं। दूसरी ओर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया है।

पूरे बंगाल के स्कूलों में बंगाली पढ़ाए जाने को अनिवार्य किए जाने और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दौरे के खिलाफ गोरखा जनमुक्ति मोर्चा पूरे पहाड़ी इलाके में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर रही है। इसी प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े ताकि प्रदर्शनकारियों को अलग-थलग किया जा सके। विरोध प्रदर्शन के चलते कई सारे पर्यटक पहाड़ी इलाकों में फंसे हुए हैं।

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा की मांग है कि नेपाली को भाषा के रूप में पढ़ाया जाए या जरूरत हो तो हिंदी पढ़ाया जाए, लेकिन गोरखा जन मुक्ति मोर्चा ममता के निर्णय के बिल्कुल खिलाफ है। जीजेएम के हजारों समर्थकों काले झंडों के साथ सड़कों पर उतर आए हैं।

राज्य सरकार के लिए दार्जिलिंग वाले इलाके की महत्ता को दर्शाने के लिए ममता बनर्जी ने पहली बार इस इलाके में कैबिनेट बैठक की है। इसके बाद से जीजेएम का विरोध प्रदर्शन हर घंटे तेजी से बढ़ता जा रहा है। विरोध प्रदर्शन बैठक स्थल से मात्र 100 मीटर की दूरी पर हो रहा है, जहां प्रदर्शनकारी ममता सरकार विरोधी नारे लगाने के साथ मुख्यमंत्री का पुतला जला रहे हैं।

नियंत्रण से बाहर प्रदर्शनकारी

हालांकि प्रदर्शनकारी बहुत देर तक खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाए और प्रदर्शन काबू से बाहर हो गया। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। साथ ही प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले भी छोड़े। जवाब में प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी और पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया।

अलग गोरखालैंड की मांग

ममता बनर्जी के आने से पहले और आने के बाद हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। 'जय गोरखा' के नारे के साथ हजारों जीजेएम समर्थक दार्जिलिंग की सड़कों पर काले झंडों के साथ गोरखालैंड की मांग कर रहे हैं। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के संस्थापक बिमल गुरंग ने कहा कि मैं सभी लोगों का धन्यवाद करना चाहता हूं जो तीन दिवसीय रैली में हिस्सा लेने दूर-दूर से आए। उन्होंने कहा कि सड़कों पर उतरेंगे लोग अपनी भाषा को बचाना चाहते हैं।

ममता ने की शांति बनाए रखने की अपील

उन्होंने कहा, 'ममता ने 'गोरखालैंड' का ऑडिट कराने की बात कही थी, मैं कहता हूं कि शारदा, चिटफंड, नारदा को ऑडिट कराएं। उनके मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त रहे हैं. उनकी 'दादागिरी' बहुत हो गई। हम इसी जमीन से उन्हें राजनीतिक लाभ नहीं लेने देंगे। हम एक जुट होकर निश्चित रूप से गोरखालैंड बनाएंगे।'

बीजेपी+जीजेएम का गढ़ है दार्जिलिंग

गौरतलब है कि दार्जिलिंग वाला यह पूरा इलाका गोरखा जनमुक्ति मोर्चा और बीजेपी का गढ़ रहा है। जीजेएम एक लंबे समय से बंगाल से अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर आंदोलन करती रही है। इसी गोरखालैंड के लिए बिमल गुरंग ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा का गठन किया।

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