सात साल में नहीं पूरी हो पाई 'बदायूं सिंचाई परियोजना', 345 गांवों के किसानों को लाभ पहुंचाने का था लक्ष्य

Update: 2019-09-02 11:14 GMT

"बारिश होती नहीं और बिजली का कोई भरोसा नहीं है। पंपसेट से खेतों की सिंचाई करना बहुत महंगा पड़ता है। सरकार की सिंचाई परियोजना कब शुरू होगी इसका कोई अंदाजा नहीं है।" बदायूं के 55 साल के किसान निहाल सिंह बताते हैं।

निहाल सिंह 'बदायूं सिंचाई परियोजना' की परियोजना की बात कर रहे थे। बंदायू और बरेली जिले के 345 गांवों के किसानों को राहत देने के लिए 2012 में इस परियोजना की शुरूआत हुई थी, जिसे 2015 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। 470 किमी लंबी इस नहर परियोजना से कई नहरें, शाखाएं और डिवाइन नहरें बनाने की योजना थी। लेकिन 55 किलोमीटर का काम होने के बाद यह परियोजना ठप पड़ गई।

बरेली बाढ़ खंड नोडल अधिकारी कुंदन सिंह गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "शुरूआत में शासन ने इसके लिए 630 करोड़ रुपये दिए थे। इस धनराशि से करीब 311 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण हुआ। रामगंगा पर बैराज बनने के साथ कुछ काम भी हुए। बाद में जमीन का दाम चार गुना बढ़ने पर इस योजना का कुल बजट लगभग 2200 करोड़ तक पहुंच गया। बजट और जमीन की समस्‍या के कारण कुछ समय के लिए रोक दिया गया।"

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किसानों ने कहा- सिंचाई पड़ रही हैं महंगी

बदायूं जिले के मोहम्‍मदपुर मई के रहने वाले किसान राहुल शर्मा बताते हैं, "हमारे इलाके में सिंचाई किसानों की मुख्‍य समस्‍या है। सरकार सिंचाई की जो व्‍यवस्‍था कर रही है उसे पूरा होने में पता नहीं कितना समय लग रहा है। हम लोगों ने तो अब उम्‍मीद ही करना छोड़ दिया है।"

राहुल आगे कहते हैं, "हम किसानों को सबसे बड़ी समस्‍या ये है कि हम अपनी फसल में सिंचाई के माध्‍यम से लागत तो लगा सकते हैं लेकिन आगे चलकर उसका कोई लाभ नहीं मिलने वाला है। ऐसे में हम आर्थिक रुप से भी कमजोर होते जा रहे हैं।"

वहीं परौली गांव के किसान जनमेजय पाठक ने बताया "हम खेती करने के लिए पूरी तरह से बारिश और पंपसेट पर निर्भर हैं। कुछ लोग ने नलकूप से कनेक्‍शन कर खेतों की सिंचाई कर रहे हैं। उसमें भी बिजली का काफी खर्च आता है। फिलहाल हमें सरकार की सिंचाई व्‍यवस्‍था की किसी नीति का लाभ नहीं मिल रहा है।"

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बरेली बाढ़ खंड नोडल अधिकारी, कुंदन सिंह बताते हैं, "बदायूं सिंचाई परियोजना के लिए लगभग 2100 करोड़ रुपए का बजट बनाया गया था। जिसमें शुरूआती चरण में 630 करोड़ रुपए भी दिए गए। अभी 1470 करोड़ का काम होना है। इसके लिए शासन को रिवाइज्ड एस्टीमेट भेज दिया गया है।"

अधिकारी ने कहा- जमीन की वजह से रुका रहा काम

कुंदन सिंह ने आगे बताया, "2012 में इस परियोजना की शुरूआत के समय जमीनों का अधिग्रहण किया गया था। लेकिन 2015 में कुछ किसान जमीन के रेट से चौगुने दाम की मांग करने लगे। इसी वजह से परियोजना का काम प्रभावित हुआ।" हालांकि कुंदन सिंह ने जानकारी दी, "फिलहाल किसानों की मांग का अनुमोदन शासन ने कर लिया है। जल्द ही जमीन का अधिग्रहण कर परियोजना को फिर से शुरू कराया जाएगा।"

जब गांव कनेक्शन ने इस संबंध में बदायूं जिले के सिंचाई अभियंता एपी सिंह से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि इस परियोजना पर बीच में कुछ समय के लिए काम रूक गया था लेकिन अभी फिर से चालू कर दिया गया है। उम्मीद है 2021 तक यह परियोजना पूरी हो जाएगी।

वहीं बदायूं सदर के भाजपा विधायक डॉ. महेश चंद्र गुप्‍ता ने भरोसा दिलाया कि परियोजना की शुरूआत हुई है तो जल्‍द ही इसका निर्माण कार्य भी पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों की सुविधा के लिए सरकार और अधिकारी हर संभव मदद के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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