लखनऊ। बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और बागी नेता शरद यादव को खुली चुनौती दी है कि अगर उनमें ताकत और हिम्मत है तो जदयू को तोड़कर दिखाएं।
पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद राष्ट्रीय परिषद के नेताओं को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने शरद यादव और राजद सुप्रीमो लालू यादव पर भी भड़ास निकाली। शरद यादव को चुनौती देते हुए नीतीश ने कहा कि अगर पार्टी में ज्यादा विधायकों का समर्थन हासिल है तो दो तिहाई सदस्यों के साथ पार्टी तोड़ लें। अन्यथा पार्टी की सदस्यता गंवाने के लिए तैयार रहें। नीतीश ने अपने भाषण के शुरुआत में ही स्पष्ट कर दिया कि शरदजी अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं।
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नीतीश ने व्यंग्य किया कि शरद जी कहा करते थे कि लोकतंत्र लोक-लाज से चलता है लेकिन अब वह खुद लोक-लिहाज भूल गए हैं। उन्होंने कहा कि जदयू अटूट है। कोई भी उनकी पार्टी को नहीं तोड़ सकता। टूट की बात पर नीतीश ने कहा कि क्या राजद के बल पर जदयू को तोड़िएगा। शरद के अलावा नीतीश ने लालू पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आप भ्रष्टाचार करेंगे और धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देकर उससे बचना चाहेंगे तो ऐसा नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि 20 महीनों की सरकार के दौरान बहुत अपमान झेले। नीतीश ने कहा कि हर वक्त उन्हें यह जताया गया कि उन्हें उनलोगों ने मुख्यमंत्री बनाया है।
नीतीश ने कहा कि उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया है, किसी के कृपा से मुख्यमंत्री नहीं बने हैं। नीतीश ने तेजस्वी यादव पर भी तंज कसा और कहा कि कहां जनादेश का अपमान हुआ है। जनादेश इसके लिए नहीं मिला था कि आप लूट करें। जनादेश बिहार के कल्याण के लिए, बिहार के विकास के लिए जनता ने दिया था। बाढ़ और सृजन घोटाले पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि जो लोग कल तक सीबीआई की आलोचना करते थे वो आज सीबीआई से जांच की मांग कर रहे हैं। नीतीश ने कहा कि जैसे ही मेरी जानकारी में आया कि वहां गड़बड़ी हुई है तो मैंने तुरंत अदिकारियों को बेजकर जांच करने को कहाष पिर सीबीआई को भी मामला सौंप दिया। उन्होंने कहा कि इसमें चाहे कोई भी शामिल रहा हो, वो बच नहीं सकता है।
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नीतीश और शरद के बीच विवाद क्यों
रेलवे टेंडर घोटाले में तेजस्वी पर सीबीआई द्वारा एफआईआर दर्ज करने और उसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरफ से तथ्यों के साथ बातों को रखने में तेजस्वी की नाकामी के बाद जिस तरह का नाटकीय घटनाक्रम चला वह बिहार की राजनीति का एक दिलचस्प पल था। नीतीश कुमार ने 26 जुलाई को इस्तीफा दिया और उसके अगले दिन सुबह 27 जुलाई को फिर से उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
नीतीश कुमार ने 29 जुलाई को सदन में विश्वासमत भी हासिल कर लिया। लेकिन, पांच दिन तक मौन रखने के बाद जेडीयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने अचानक चुप्पी तोड़ते हुए भाजपा-जेडीयू गठबंधन को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। शरद यादव ने नीतीश के इस कदम को जनता के मत के खिलाफ बताया। शरद यादव के इस बयान ने नीतीश कुमार को असहज करके रख दिया।
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शरद यादव ने कहा- "जो वर्तमान स्थिति बनी है वहा काफी दुखदायक है। बिहार के ग्यारह करोड़ मतदाताओं ने महागठबंधन बनाकर हुए समझौते पर अपना मत दिया था। इस महागठबंधन के टूटने पर मैं काफी दुखी हूं। चुनाव के समय जो समझौता होता है वह हमारे लिए एक बड़ा संकल्प होता है। यह गठबंधन नहीं टूटना चाहिए था। इस महागठबंधन के टूटने से काफी उदास हूं। मैं पार्टी के लोगों की बात कर रहा हूं। इससे ज्यादा और कुछ कहना ठीक नहीं होगा। शरद यादव ने आगे कहा कि आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव, नीतीश और उन्होंने इस गठबंधन को बनाया था और केन्द्र सरकार के शासन को चुनौती देने का बडा़ प्रयास किया था।"