काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कुछ छात्र, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता सीएए और एनआरसी के खिलाफ पदयात्रा पर निकले थे। यह यात्रा 11 फरवरी को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर पहुंची तो यूपी पुलिस ने इस यात्रा से जुड़े लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इन्हें शांति भंग करने की आशंका के तहत जेल भेज दिया गया है।
इस पदयात्रा का नाम - 'नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा' था। यह उत्तर प्रदेश के चौरी चौरा से शुरू होकर दिल्ली के राजघाट पर खत्म होनी थी। इस दौरान पदयात्रा से जुड़े लोग सीएए और एनआरसी को लेकर लोगों से बात करने वाले थे।
गाजीपुर के एसडीएम सदर ने पदयात्रा से जुड़े लोगों के गिरफ्तारी के संबंध में जो आदेश जारी किया है उसके मुताबिक, 'पद यात्रा बिना परमिशन के की जा रही थी। यात्रा में शामिल लोग सीएए और एनआरसी के संबंध में लोगों को भ्रामक संदेश दे रहे थे। इस वजह से शांति भंग होने की प्रबल संभावना थी। इस वजह से जनता में बैर की भवना पैदा होगी और कोई अपराध भी हो सकता है।'
पत्रयात्रा में शामिल जिन लोगों को जेल भेजा गया है उनके नाम हैं- शेषनारायण ओझा, प्रियेश कुमार पाण्डेय, प्रदीपिका सारश्वत, अनन्त शुक्ला, अतुल यादव, नीरज राय, राजअभिषेक, रवीन्द्र कुमार, मुरारी कुमार और मनीष शर्मा। इन लोगों को जमानत के लिए 2.5-2.5 लाख के 2-2 बांड भरने हैं। साथ ही सभी को दो राजपत्रित अधिकारियों द्वारा गारंटी करानी होगी।
'नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा' से जुड़े विकास कुमार ने जमानत की इस शर्त को कठोर बताया है। उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा है कि कोई भी सरकारी राजपत्रित अधिकारी किसी की जमानत के लिए क्यों साइन करेगा। यह आदेश प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है।