सरकार का दावा, नीमकोटेड यूरिया के आने से रुका यूरिया का दुरुपयोग

2015-16 में उर्वरक विक्रेताओं द्वारा गैर कृषि उपयोग में यूरिया की आपूर्ति करने के 5 मामले सामने आए। इसके बाद 2016-17 में यह संख्या शून्य हो गयी और अब 2017-18 में एक मामला सामने आया है।

Update: 2018-08-03 13:00 GMT

नई दिल्ली। सरकार का दावा है कि नीमकोटेड यूरिया के चलन के बाद यूरिया का गैर कृषि कार्यों में उपयोग बहुत कम हो गया है। यह जानकारी शुक्रवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान रासायनिक एवं उर्वरक राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने दी।

राव इंद्रजीत सिंह ने बताया कि यूरिया को नीमकोटेड बनाने के बाद उर्वरकों के अवैध रूप से गैर कृषि उपयोग की शिकायतों की संख्या इस साल घटकर मात्र एक रह गई है। उन्होंने बताया कि 2015-16 में उर्वरक विक्रेताओं द्वारा गैर कृषि उपयोग में इसकी आपूर्ति करने के 5 मामले सामने आए। इसके बाद 2016-17 में यह संख्या शून्य हो गयी और अब 2017-18 में एक मामला सामने आया है।

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न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक, रासायनिक एवं उर्वरक राज्यमंत्री ने बताया, "नीमकोटेड यूरिया की वजह से उर्वरक के असर में बढ़ोतरी होने की वजह से यूरिया खाद का वजन 50 किलो से घटाकर अब 45 किलो कर दिया गया है। सिंह ने उर्वरक की मांग एवं आपूर्ति का संतुलन बेहतर होने के हवाले से किसानों को खाद की उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में होने का दावा किया। उन्होंने बताया, " इस साल यूरिया का उत्पादन 240 लाख टन हुआ, जबकि 298 लाख टन की मांग के एवज में इसकी उपलब्धता 317 लाख टन रही और बिक्री 303 लाख टन हुई। इस प्रकार बिक्री की तुलना में उपलब्धता की मात्रा ज्यादा होने से साफ है कि किसानों को खाद की कोई कमी नहीं हो रही है। इसी प्रकार डीएपी और अन्य उर्वरकों की आपूर्ति का भी स्तर है। यूरिया नीति की वजह से उर्वरक कारखाने बंद होने की आशंका को खारिज करते हुये सिंह ने कहा कि देश में सार्वजनिक क्षेत्र के 45 उर्वरक कारखाने हैं और निजी क्षेत्र के छोटे-बड़े 105 कारखाने कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि सरकार फिलहाल घाटे में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्र के पांच बड़े कारखानों को दुरुस्त करने पर ध्यान केन्द्रित कर रही है। 

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