कोरोना से अब तक नहीं उबर पाए पोल्ट्री व्यवसायी, यूपी और हरियाणा में दोबारा नहीं शुरू हो पायीं कई हैचरियां

उत्तर प्रदेश और हरियाणा की हैचरियों से कई प्रदेशों में चूजे सप्लाई होते हैं, लेकिन लाॅकडाउन के बाद से अब तक कई हैचरियां फिर से शुरू नहीं हो पायीं।

Update: 2020-11-19 03:59 GMT

हर दिन पांच हजार से ज्यादा चूजों की सप्लाई करने वाले प्रवीण की हैचरी में इस समय हर दिन सौ चूजे भी नहीं बिकते हैं, लॉकडाउन के बाद से जून में हैचरियां फिर से शुरू तो हो गईं, लेकिन चूजों की मांग न होने से बहुत सी हैचरियां बंद हो गईं हैं।

प्रवीण यूपी के प्रयागराज जिले के नैनी में किसान हैचरी चलाते हैं, जहां से यूपी के कई जिलों के साथ ही बिहार और मध्य प्रदेश के व्यवसायी चूजे खरीदकर ले जाते हैं, लेकिन पिछले कुछ महीनों में हैचरी का व्यवसाय पूरी तरह से बंद पड़ा है। प्रवीण बताते हैं, "मार्च-अप्रैल के पहले तक हर दिन सौ से ज्यादा ग्राहक आ जाते थे, जून के बाद से हैचरी शुरू तो कर दी गई है, लेकिन मुश्किल से अब दस लोग आते हैं। पहले हर दिन 15-20 हजार के चूजे बिक जाते थे, अब एक दो हजार की बिक्री होती है।"


प्रयागराज के नैनी में सौ ज्यादा हैचरियां हैं, जहां से हर दिन यूपी के साथ ही बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों में चूजे सप्लाई होते हैं, लॉकडाउन के बाद से जून में एक बार फिर हैचरियां शुरू हो गईं, लेकिन पांच महीने बाद अभी भी सभी हैचरियां शुरू नहीं हो पाईं हैं।

प्रयागराज के नैनी में हरियाणा से अंडे आते हैं, यहां पर उन अंडों से चूजों का उत्पादन होता है। हरियाणा के हरियाणा के जींद, कैथल, पानीपत, कुरुक्षेत्र, गुरुग्राम, बरवाला अंडा-ब्रायलर चिकन का सबसे बड़ा केंद्र है। हरियाणा के जिंद जिले में श्योराण हैचरी चलाने वाले संजय श्योराण गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "हमारे यहां से पूरे देश में चूजे सप्लाई होते हैं, मार्केट में जैसे चूजों की मांग होती है, उसी हिसाब से चूजों का प्रोडक्शन होता है। लेकिन अभी मार्केट में डिमांड ही नहीं तो चूजों का प्रोडक्शन भी नहीं हो रहा है। यहां की ज्यादातर हैचरियों का यही हाल है।"


हरियाणा के जींद, कैथल, पानीपत, कुरुक्षेत्र, गुरुग्राम, बरवाला अंडा-ब्रायलर चिकन का सबसे बड़ा केंद्र है। जहां पर डेढ़ करोड़ से ज्यादा मुर्गियों का पालन होता है।

जींद में धर्मवीर पोल्ट्रीज नाम से पोल्ट्री फार्म चलाने वाले मलकीत के फार्म पर मार्च तक 20 हजार मुर्गियां थीं, लेकिन अप्रैल तक उनका फार्म पूरी तरह से बंद हो गया। उन्होंने पोल्ट्री फार्म के व्यवसाय को कम कर दिया है। पहले कोरोना की अफवाह उसके बाद लॉकडाउन ने उनके इस व्यवसाय को पूरी तरह से घाटे पर ला दिया। मलकीत बताते हैं, "मार्च-अप्रैल में सस्ते में मुर्गे-मुर्गियों को बेच दिया, यहां पर बहुत से लोगों के साथ ही ऐसा हुआ है। पहले अफवाह फिर लॉकडाउन से बहुत नुकसान हो गया। अब फिर से बड़ा व्यवसाय शुरू करने में बहुत समय लगेगा।"

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अनुसार देश में प्रमुख पोल्ट्री मीट उत्पादक राज्यों में पहले नंबर पर आंध्र प्रदेश, उसके बाद पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्य आते हैं।


हरियाणा के कई जिलों में मुर्गी पालकों का समूह चलाने वाले दिलबाग मलिक से 250 से ज्यादा मुर्गी पालक जुड़े हुए हैं। इनमें से अधिकतर लोग लॉकडाउन के बाद से फिर पोल्ट्री फार्म का बिजनेस नहीं शुरू कर पाएं हैं। दिलबाग मलिक कहते हैं, "मार्च-अप्रैल महीने से पोल्ट्री से जुड़े लोगों को नुकसान शुरू हुआ, इतने महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक लोग पूरी तरह से उबर नहीं पाएं हैं।

पोल्ट्री वल्र्ड वेबसाइट के अनुसार भारत में हर हफ्ते 750,000 ब्रॉयलर का उत्पादन होता है। कोविड-19 से फरवरी से अप्रैल 2020 में भारत में पोल्ट्री उद्योग को चार बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है। 

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अनुसार देश में प्रमुख अंडा उत्पादक राज्यों में आंध्र प्रदेश (19.1 %), तमिलानाडू (18.2 %) तेलंगाना (13.2 %) , पश्चिम बंगाल (8.3 %) , हरियाणा (5.2 %) प्रमुख राज्य हैं। इसके पंजाब, उत्तर प्रदेश जैसे राज्य आते हैं।


भारत में सबसे अधिक अंडा उत्पादन करने वाले राज्य आंध्र प्रदेश में लॉकडाउन और कोरोना के अफवाहों के चलते बहुत सारे पोल्ट्री फार्म बंद हो गए हैं। आंध्र प्रदेश के माचिरेदडिगरिपल्ले (Machireddigaripalle) में राजशेखर पोल्ट्री फार्म चलाने वाले राजशेखर नायडू भी उन पोल्ट्री व्यवसायियों में से एक हैं, जिन्हें काफी नुकसान हुआ।

राजशेखर नायडू गाँव कनेक्शन को बताते हैं, "हमारे 20 हजार मुर्गियों का फार्म है, इस साल फरवरी के बाद से नुकसान शुरु हुआ जो अभी तक चल रहा है। पहले साल ब्रायलर में साल में छह बैच (बार) पालते थे, इस बार एक ही चल पाया है। कोरोना की वजह से पहले सस्ते में ब्रायलर और लेयर मुर्गे-मुर्गियों को बेचना पड़ा। जिस कंपनी से दवाई आती थी, वो भी नहीं ले पाए, जिसकी वजह बीमारी से भी बहुत सी मुर्गियां मर गईं। इसलिए प्रोडक्शन बहुत कम हो गया है।"

पोल्ट्री फार्म के बंद होने से मीट और अंडे के रेट भी ज्यादा हुए हैं। दिसम्बर से फरवरी तक अंडे और पोल्ट्री मीट की मांग बढ़ जाती है, लेकिन इस बार उत्पादन ही नहीं हो रहा है, जिससे अंडे और मीट की कीमतें बढ़ सकती हैं।

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में कई पोल्ट्री फार्म अभी तक नहीं शुरू हो पाएं हैं। फोटो: दिवेंद्र सिंह

उत्तर प्रदेश पोल्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष अली अकबर ने गाँव कनेक्शन को बताया, "पिछले एक-दो साल से ही पोल्ट्री व्यवसाय घाटे में जा रहा है फिर कोरोना से बहुत से फार्म बंद हो गए हैं, अब लोगों के पास पैसे ही नहीं बचे हैं कि फिर से चूजे लेकर प्रोडक्शन शुरू कर पाएं। पोल्ट्री व्यवसाय को फिर से फायदे में आने में अभी आने वाले एक दो-साल लग जाएंगे।"

नेशनल एग कोऑर्डिनेशन कमेटी (NECC) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजीत सिंह कहते हैं, "दाम बढ़ने के का एक ही कारण है, पोल्ट्री फार्म बंद होना। किसान मार्च-अप्रैल में नए चूजे लेकर आते हैं, जिससे अक्टूबर-नवंबर के नया प्रोडक्शन शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार फार्मर्स के पैसे ही नहीं थे कि वो फिर पोल्ट्री शुरू कर पाते। बहुत से फार्म में तो मुर्गियों को जमीन में दफना दिया गया। ऐसे में जाहिर सी बात है अगर पॉपूलेशन कम हुई है तो अंडों का प्रोडक्शन भी कम ही होगा। नंवबर से फरवरी तक अभी दाम और भी ज्यादा बढ़ेगा। इससे दोनों उपभोक्ता को भी परेशानी होगी, जबकि पोल्ट्री फार्मर पहले से ही नुकसान उठा रहे हैं।"

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