कोरोना वायरस: 'आइसोलेशन वार्ड से भागिए मत, हम आपका ख्‍याल रखेंगे'

Update: 2020-03-18 11:50 GMT

''कोरोना को लेकर हम पूरी तरह तैयार हैं। हम मरीजों का अच्‍छे से ख्‍याल रखेंगे। उन्‍हें डरने की जरूरत नहीं है, भागने की जरूरत नहीं है।'' यह बात कहते हुए लखनऊ के बलरामपुर अस्‍पताल में काम करने वाली 42 साल की हेड नर्स दुर्गावती विश्‍वास के भाव से भरी मालूम देती हैं। दुर्गावत‍ी दिखाती हैं कि कैसे कोरोना के मरीजों के ल‍िए साफ सुथरे आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं। वार्ड में वेंटिलेटर से लेकर साफ पीने के पानी तक की व्‍यवस्‍था है।

पिछले द‍िनों कई ऐसी खबरें आई जहां कोरोना के संद‍िग्‍ध मरीज आइसोलेशन वार्ड से भाग गये। इसके पीछे उनके अपने अपने तर्क हैं जैसे किसी को आइसोलेशन वार्ड की व्‍यवस्‍था अच्‍छी नहीं लगी तो कोई अकेला रहने से घबरा रहा था। ऐसे मामलों को लेकर कोरोना से लड़ाई में सबसे अगली पंक्‍ति में खड़ी नर्सों का कहना है कि 'मरीजों का भागना अच्‍छी बात नहीं है। इससे उन्‍हें तो खतरा है ही, उनके पर‍िवार और समाज को भी खतरा है। मरीजों को कोई द‍िक्‍कत हो तो हमें बताएं, हम उसे हल करेंगे। हम उनका ख्‍याल रखने, उनको बेहतर इलाज देने के ल‍िए ही काम कर रहे हैं।'

भारत में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। देशभर में 18 मार्च तक 148 मामले सामने आए हैं और तीन मरीजों की मौत हो चुकी है। 148 मामलो में से 123 भारतीय और 25 व‍िदेशी हैं। देश में 21 जनवरी से 17 मार्च तक 11,500 लोगों के सैंपल टेस्‍ट क‍िए गए हैं, ज‍िनमें से यह मामले सामने आए हैं। एक राहत की बात यह है कि इन मामलों में से 14 लोग ठीक हो गये हैं और उन्हें ड‍िस्‍चार्ज भी कर दिया गया है।

लखनऊ के बलरामपुर अस्‍पताल का आइसोलेशन वार्ड। 

दुन‍ियाभर में फैले कोरोना वायरस के ल‍िए अभी कोई दवा नहीं बनी है। ऐसे में मरीजों को आइसोलेट (अलग रखना) करके उनकी देखभाल और इलाज करने की व्‍यवस्‍था है। इसके ल‍िए देशभर में आइसोलेशन सेंटर तैयार क‍िए गए हैं और अनुभवी डॉक्‍टर्स की टीम और नर्सों को इन वार्ड की ज‍िम्‍मेदारी सौंपी गई है। ऐसा ही एक आइसोलेशन सेंटर दिल्‍ली के छावला में आईटीबीपी (भारत-त‍िब्‍बत सीमा पुल‍िस बल) ने तैयार किया है। इस सेंटर में व‍िदेश से भारत आए लोगों को दो हफ्ते तक रखा जाता है और अगर कोरोना टेस्‍ट नेगेट‍िव आते हैं तो उन्‍हें घर जाने की इजाजत होती है।

इसी आइसोलेशन सेंटर में चीन के वुहान युनिवर्स‍िटी में काम करने वाले 34 साल के गौरव शुक्‍ला भी रखे गए थे। गौरव इस आइसोलेशन सेंटर के बारे में बताते हैं कि ''मुझे एक कमरे में रखा गया था, जिसमें मेरे साथ एक और लड़का था। हमारा टाइम टू टाइम चेकअप होता। डॉक्‍टर अच्‍छे से ख्‍याल रख रहे थे। साफ-सफाई भी बहुत अच्‍छी थी। 14 द‍िन बाद जब मेरे टेस्‍ट नेगेट‍िव आए तो मुझे घर जाने की इजाजत म‍िल गई। अभी मैं घर में भी सेल्‍फ आइसोलेटेड हूं। कुछ द‍िन ऐसे रहूंगा तो मेरे पर‍िवार के ल‍िए अच्‍छा होगा।''

आइसोलेशन वार्ड से लोगों की भागने की खबरों पर गौरव दुख जाहिर करते हुए कहते हैं, ''यह अच्‍छी बात नहीं है। यकीन मानिए इन लोगों की नादानी बहुत भारी पड़ सकती है। मैं चीन के वुहान से आया हूं, वो शहर ज‍िसने इसे सबसे ज्‍यादा झेला है। यह वायरस बहुत खतरनाक है। भागने से कुछ नहीं होगा, आइसोलेशन में रहना आपके ल‍िए और दूसरों के ल‍िए भी अच्‍छा होगा।''

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आइसोलेशन वार्ड को लेकर जैसा गौरव का एक्‍सपीरियंस रहा है। ऐसा ही कई और लोगों का रहा है। उत्‍तर प्रदेश के लखनऊ के स‍िव‍िल अस्‍पताल में भी एक आइसोलेशन वार्ड तैयार किया गया है। इस वार्ड में 12 बेड लगे हैं। हाल ही में कोरोना का एक संद‍िग्‍ध मरीज इस वार्ड में दो द‍िन ठहरा था। बाद में टेस्‍ट नेगेटिव आने पर उसे छुट्टी दे दी गई।

इस मरीज ने नाम ने ल‍िखने की शर्त पर बताया, ''आइसोलेशन वार्ड की व्‍यवस्‍था अच्‍छी है। बेड से लेकर बाथरूम तक साफ हैं। मेरा टेस्‍ट करने के ल‍िए जो डॉक्‍टर आते थे वो प्रॉपर ड्रेस में होते, जिससे कि वो इस वायरस से न इंफेक्‍टेड हो जाएं। सफाइकर्मी भी यह ड्रेस पहने रहते हैं।''

कोरोना एक संक्रामक वायरस है। ऐसे में डॉक्‍टर और नर्स मरीजों के संपर्क में आने से पहले पर्सनल प्रोटेक्‍शन ईक्‍युपमेंट (पीपीई) किट पहनते हैं ताकी वो इस वायरस से बचे रहें। इन किट के बाद भी कई डॉक्‍टर और नर्स इससे इंफेक्‍टेड हो जाते हैं। ऐसा ही चीन के उस डॉक्‍टर के साथ हुआ ज‍िसने सबसे पहले कोरोना वायरस के बारे में बताया था। साथ ही इटली में ढाई हजार से ज्‍यादा स्‍वास्‍थ्‍यकर्मी इस वायरस के चपेट में आ चुके हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि मरीजों का इलाज कर रहे लोग कितना जोखिम उठा रहे हैं।


इन्‍हीं जोख‍िम के बारे मे बात करते हुए लखनऊ के बलरामपुर अस्‍पताल के डायरेक्‍टर राजीव लोचन कहते हैं, "हमें पता है क‍ि यह खतरनाकर काम है, लेकिन हम इससे पीछे नहीं हट सकते। यह हमारा दाय‍ित्‍व है कि मरीज की सेवा करें। इटली में स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों के इस वायरस से ग्रसित होने की खबरें हमने भी पढ़ी हैं, यह थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन हमारा फोकस अभी कोरोना से लड़ना है और हम इस लड़ाई के ल‍िए तैयार हैं।''

ऐसा नहीं कि स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों के इस जज्‍बे की सराहना नहीं हो रही है। आइसोलेशन सेंटर के कई ऐसे वीडियो भी सामने आ रहे हैं जहां लोग स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों और कोरोना को लेकर किए गए इंतजाम की तारीफ करते दिखते हैं। ऐसा ही एक वीड‍ियो इन द‍िनों सोशल मीडियो में खूब वायरल हो रहा है। देखें यह वीडियो-

इसके अलावा केरल के एक आइसोलेशन वार्ड के ब्रेकफास्‍ट की तस्‍वीर भी वायरल हो रही है। यह तस्‍वीर एरनाकुलम के सरकारी मेड‍िकल कॉलेज में बने आइसोलेशन वार्ड की है -


अपनी तैयारियों को बताते हुए लखनऊ के बलरामपुर अस्‍पताल की नर्स उर्मिला कहती हैं, ''हमने स्‍वाइन फ्लू के वक्‍त भी काम किया है। अब कोरोना के मरीजों को ठीक करने के ल‍िए भी काम करना है। हमें डर नहीं है इसका। एक द‍िन तो मरना ही है, लेकिन किसी की जान बचाकर मरें यह सबसे भाग्‍य में नहीं होता। यह सेवा का कमा है और हम लोग पूरी लगन से यह करने को तैयार हैं।'' 

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