नई दिल्ली (भाषा)। माकपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान महिलाओं को निर्वाचित निकायों में 33 फीसदी आरक्षण देने के वादे को पूरा नहीं किए जाने पर निशाना साधा है। साथ ही विधेयक को तुरंत पारित कराने की मांग की। माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने यहां सर्वदलीय बैठक के बाद कहा, ''लोकसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री ने महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने का वादा किया था। सरकार को अब इसे पारित कराना सुनिश्चित करना चाहिए।''
संसद का मानसून सत्र कल से शुरू हो रहा है और 11 अगस्त तक चलेगा। महिला आरक्षण विधेयक या संविधान (108वां संशोधन विधेयक), 2008 में लोकसभा राज्य विधान मंडलों में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीट आरक्षित रखने की व्यवस्था है।
2010 में राज्यसभा से पारित होने के बाद भी खारिज
राज्यसभा ने मार्च 2010 में विधेयक को पारित कर दिया था। लेकिन लोकसभा में इसे पारित नहीं किया जा सका और इसके बाद यह खारिज हो गया। इसी तरह के विधेयक 1990 के दशक में तीन बार पारित कराए गए थे, लेकिन लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही विधेयक भी खारिज हो गया। संप्रग प्रथम के कार्यकाल के दौरान मई 2008 में लाए गए विधेयक में प्रस्ताव था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित कुल सीटों का एक तिहाई सीट इन समुदाय की महिलाओं के लिए आरक्षित रहेगा।
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