प्रधानमंत्री ने कहा, देश के ख़जाने पर पहला हक किसानों का : राधा मोहन सिंह
नई दिल्ली। ‘बजट में जब फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाने की बात आई, तो साथ ही आर्थिक बोझ बढ़ने की भी बात उठी, इस पर प्रधानमंत्री ने कहा-देश के खजाने पर पहला हक किसानों का,” केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा।
केन्द्र द्वारा गाँव और किसानों की बेहतरी के लिए शुरू की गईं योजनाओं और बजट में खेती-किसानी को विशेष तवज्जो देने पर ‘गाँव कनेक्शन’ से विशेष बातचीत में भारत के कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा, “जिन फसलों का समर्थन मूल्य लागत का डेढ़ गुना है, वो भी किसानों को नहीं मिल पाता है, उसे दिलाना सुनिश्चित कराने के साथ ही बाकी सभी फसलों का खरीब सीजन से समर्थन मूल्य डेढ़ गुना करेंगे, इतना ही नहीं, राज्यों के साथ बात करके सुनिश्चित करेंगे कि बढ़ा समर्थन मूल्य किसानों को कैसे मिले?”
आम बजट-2018-19 में 63,836 करोड़ रुपये कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों के लिए आवंटित किए गए हैं।
कांग्रेस के अगुवाई वाली यूपीए सरकार के पिछले पांच वर्षों और मोदी सरकार के पांच वर्षों के खेती-किसानी के लिए आवंटित बजट की तुलना करते हुए कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा, “मोदी जी जब प्रधानमंत्री बने थे, तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि हमारी सरकार गाँव गरीब की सरकार है। मोदी सरकार के पिछले पांच बजटों को देखें और उसके पहले यूपीए के पांच बजटों को देखें, तो यूपीए सरकार ने पांच वर्षों में कृषि मंत्रालय का 01 लाख, 21 हजार करोड़ रूपये का बजटीय आवंटन किया था, जबकि मोदी सरकार ने पिछले पांच वर्षों में 02 लाख, 11 हजार करोड़ का अवंटन किया।”
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मार्केटिंग रिफार्म और नीम कोटेड यूरिया के फैसलों में हुई लेटलतीफी के बारे में बताते हुए राधा मोहन सिंह ने कहा, “ये फैसले दस वर्षों तक ठंडे बस्ते में पड़े रहे, नीम कोटेड यूरिया का फील्ड ट्रायल 2004 में हो गया था, इसी तरह पैसे के अभाव में देश की 99 सबसे बड़ी सिंचाई परियोजनाएं 20 से 25 वर्षों से लंबित पड़ी थीं। यूपीए के दस साल के कार्यकाल में सिर्फ बैठकें ही हुईं। ये सभी सुधार इधर दो-तीन वर्षों में ही हुए हैं। निश्चित ही इसके परिणाम जल्द ही आएंगे।”
किसानों की आय बढ़ाने के लिए कम लागत और उपज का उचित मूल्य का फार्मूला बताते हुए कृषि मंत्री ने कहा, “जैविक खेती की अब तक कोई संस्थागत योजना भारत सरकार की नहीं थी, हमारी सरकार ने देश में परंपरागत खेती की योजना शुरू की, इस तरह किसानों की लागत कम करने की हमने कई योजनाएं शुरू की हैं, निश्चित ही 2022 तक लागत में भारी कमी आएगी, साथ ही आय बढ़ेगी।”
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भारत के गाँवों को डिजिटल इंडिया की मुहिम से जोड़ते हुए हाइटेक बनाने के प्रयासों के बारे में कृषि मंत्री ने कहा, “डिजिटल इंडिया की सोच पर पहले लोग हंसते थे, कहते ये महानगरों का है, बड़े लोगों का है, अब अगले दो से तीन वर्षों में गाँवों को इसका पूरा लाभ होना शुरू हो जाएगा।”
फसल बंपर पैदा होने पर सड़कों पर फेंके जाने के मुद्दे पर राधा मोहन सिंह ने कहा, “उत्पादन अच्छा होना सौभाग्य की बात है, लेकिन हमारी पहले की योजनाएं उत्पादन आधारित रहीं, लेकिन मौजूदा केन्द्र सरकार ने आय केन्द्रित योजनाएं शुरू कीं। लागत और उत्पादन प्रबंधन के अलावा अब इससे अन्य जुड़े क्षेत्रों में भी जाना शुरू हुआ है। वर्ष 2022 तक किसान इस स्थिति में पहुंचेगा कि चुनौतियों का सामना करते हुए विजय प्राप्त करेगा।”
कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा, “पिछले 70 सालों में देश का दुर्भाग्य रहा कि अधिकतर योजनाएं फाइलों में बंद थीं, सबसे बड़ी उपलब्धि अगर मानें तो प्रधानमंत्री की मन की बात सुनते-सुनते देश के किसानों में जागरूकता आई है। इसका असर है कि राज्य सरकार हो या केन्द्र सरकार किसानों के लिए चलाई गईं योजनाओं के क्रियान्वयन को तेज करना पड़ रहा है,” आगे कहा, “कई राज्य सरकारें अच्छा काम कर रही हैं, लेकिन किसान की जागरुकता के अभाव में योजनाओं का लाभ उन तक कम पहुंचा नहीं पाते थे, या नीयत नहीं थी पहुंचाने की। लेकिन पिछले तीन वर्षों में जो किसानों में जागरुकता आई है, इसलिए सरकारें मजबूर हैं।”
बजटीय आवंटन के अलावा सरकार ने डेयरी प्रोसेसिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड बनाया है, इस तरह बजटीय आवंटन भी बढ़ाया और फंड भी 10,888 करोड़ का बनाया है, सिंचाई परियोजनाओं के लिए अलग फंड बनाया है, केन्द्र सरकार ने 585 मार्केट में ईनाम चालू किया, देश के 22 करोड़ ग्रामीण हाट को सशक्त बनाने के लिए 2000 करोड़ रूपये का एग्रो मार्केटिंग फंड बनाने के लिए अलग से इस बजट में व्यवस्था की गई है। पशुपालन और मत्स्यपालन के लिए 10,000 करोड़ रूपये का फंड बनाया गया है। ये जो बजटीय और गैर बजटीय प्रावधान है वो दर्शाता है कि सरकार की किसानों के प्राति कितनी प्रतिबद्धता है।
“पिछली सरकारों की योजनाएं उत्पादन केन्द्रित रहीं हैं, अगर आय केंद्रित होतीं तो यह नौबत नहीं आती, अधिकतर योजनाओं का निर्माण चुनाव के समय नारा लगाने के लिए होता था, किसान के सशक्तिकरण के लिए नहीं,” केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा, “ मोदी सरकार ने किसानों की आय केन्द्रित योजनाओं को शुरू किया, साथ ही, किसान के सशक्तिकरण में भारी निवेश किया है, उसका परिणाम निश्चित ही आएगा। इस ओर सरकार की गंभीरता का प्रकटीकरण इस बजट में किया गया है।”